आरोग्य साहाय्य समिति का ‘एक सफल अभियान : औषधियों के मूल्य घटे’ वेबिनार संपन्न !

केंद्रशासन सभी औषधियों पर उत्पादन मूल्य के 30 प्रतिशत अधिकतम दर से बेचने का कानून बनाए, ऐसी जनता मांग करे ! – श्री. पुरुषोत्तम सोमानी

औषधियों के विक्रय मूल्य पर केंद्रशासन का किसी प्रकार का नियंत्रण न होने के कारण औषधियां बनानेवाले और विक्रय प्रतिष्ठानों का देशभर में लाखों करोडों रुपयों का महाघोटाला चल रहा है । औषधियां बनानेवाले प्रतिष्ठान और विक्रय करनेवाले प्रतिष्ठान 100 रुपए मूल्य की औषधि मनमानी पद्धति से 6 हजार से 3 हजार रूपयों का अधिकतम मूल्य (MRP) लगाकर बेच रहे हैं । इस लूट में औषधि बनानेवाले प्रतिष्ठानों सहित (फार्मा कंपनियों सहित) थोक औषधि विक्रेता (होलसेलर), फुटकर औषधि विक्रेता (मेडिकल स्टोर), चिकित्सालय, डॉक्टर्स आदि की बडी श्रृंखला है । इसके विरुद्ध गत चार वर्षों से संघर्ष चल रहा है । इस संघर्ष को संज्ञान में लेकर प्रधानमंत्री मा. नरेंद्र मोदी ने पहले चरण में कर्करोग की (कैन्सर की) 526 औषधियों पर 30 प्रतिशत का ‘ट्रेड मार्जिन कैप’ लगाया है । (अर्थात 100 रुपयों की औषधि अधिकतम 130 रुपयों में बेच सकते हैं ।) इसलिए 36 लाख कर्करोग से पीडित रोगियों को बडी राहत मिली है । उसके साथ अब जीवनरक्षक औषधियों सहित (लाइफ सेविंग ड्रग्ज) सभी औषधियों पर उत्पादन व्यय की अपेक्षा 30 प्रतिशत अधिकतम मूल्य से बेचने की सीमा बनाने के लिए जनता को केंद्र सरकार से मांग करनी चाहिए, ऐसा आवाहन तेलंगाना के उद्योगपति तथा ‘निजामाबाद चेंबर्स ऑफ कॉमर्स’ के अध्यक्ष श्री. पुरुषोत्तम सोमानी ने किया है । वे ‘आरोग्य साहाय्य समिति’ और ‘सुराज्य अभियान’ द्वारा ‘एक सफल अभियान : औषधियों का मूल्य घटा !’ इस विषय पर आयोजित ‘वेबिनार’ में बोल रहे थे ।

इस समय ‘आरोग्य साहाय्य समिति’ के डॉ. मानसिंह शिंदे ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्री. सोमानी से संवाद किया । इस समय महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और राजस्थान के डॉक्टर तथा जिज्ञासुओं द्वारा पूछे गए प्रश्‍नों के उत्तर श्री. सोमानी ने दिए । इस समय श्री. सोमानी ने आगे कहा कि, अधिकांश जनता को यह ज्ञात नहीं होता कि, बाजार की 97 प्रतिशत औषधियां जेनेरिक हैं । कोई भी उनका उत्पादन कर सकता है । इसलिए वे सस्ती होनी चाहिए; परंतु अनेक प्रसिद्ध औषधियां बनानेवाले प्रतिष्ठान वे औषधियां स्वयं का नाम लगाकर 10 से 20 गुना अधिक मूल्य से बेचते हैं । चिकित्सालय तथा डॉक्टर भी स्वयं के स्वार्थ के लिए रोगियों को औषधियों के घटक (सॉल्ट) लिखकर देने के स्थान पर अनेक बार ब्रांडेड (बडे प्रतिष्ठानों की) औषधियां लिखकर देते हैं । जिसमें 10 से 20 गुना अधिक राशि लूटी जाती है । वास्तव में औषधियों के घटक लिखकर देने से सस्ती जेनेरिक औषधियां उपलब्ध होती हैं । मुझे स्वयं के हृदयरोग पर प्रत्येक महीने में 3,500 रुपयों की औषधियां लगती थीं । वे अब 150 रुपयों में उपलब्ध हो रही हैं । जेनेरिक औषधियां ब्रांडेड औषधियों के समान ही परिणामकारक भी होती हैं; परंतु अनेक रोगियों को भ्रम होता है कि ब्रांडेड औषधियां अच्छी होती हैं ।

लोगों को सस्ती और अच्छी औषधियां मिलने के लिए क्या करना चाहिए, यह बताते हुए श्री. सोमानी ने कहा कि, आज भारत में 800 से अधिक जेनेरिक अथवा प्रधानमंत्री जनऔषधि दुकानें हैं, जहां सस्ती औषधियां मिलती हैं तथा 10 लाख से अधिक अन्य औषधियों की दुकाने हैं । जहां अधिक मूल्य से औषधियां बेची जाती हैं । इस पर केंद्र सरकार सभी औषधियों पर उत्पादन व्यय की अपेक्षा केवल 30 प्रतिशत अधिक मूल्य से विक्रय करने का ट्रेड मार्जिन कैप लगाए । जिससे कोई भी अधिक मूल्य से औषधियां नहीं बेच पाएगा । इसके साथ ही डॉक्टर तथा चिकित्सालयों को औषधियां लिखकर देते समय ब्रांडेड औषधियां लिखकर देने की अपेक्षा औषधियों के घटक (सॉल्ट) लिखकर देना अनिवार्य करे । जिससे लोगों को सस्ती जेनेरिक औषधियां सहज उपलब्ध हो पाएंगी । इसके लिए ‘इंडियन मेडिकल काउन्सिल’ को आगे आना चाहिए । इस मांग की पूर्ति शीघ्रातिशीघ्र होने के लिए जनता को जिलाधिकारी, तहसीलदार और जनप्रतिनिधियों को निवेदन देकर सरकार पर दबाव बनाने की आवश्यकता है, ऐसा भी श्री. सोमानी ने कहा ।

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