हिन्दुओं को जागृत करने हेतु उन्हें गुरुपरंपरा के साथ जोडना आवश्यक – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी

‘जम्बू टॉक्स कॉनफ्लूएंस २०२१’ विचारगोष्ठी में ‘भारत की दिव्यता’ विषय पर विचारमंथन !

सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी

जयपुर (राजस्थान) : हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने यह मार्गदर्शन करते हुए कहा कि जिसकी प्रज्ञा जागृत होती है, वह है जागृत हिन्दू ! हिन्दुओं को जागृत करने हेतु पहले उन्हें गुरुपरंपररा के साथ जोडा जाना चाहिए । हिन्दुओं को साधना कर स्वयं में विद्यमान दैवीय और आध्यात्मिक शक्ति जागृत करने की आवश्यकता है । छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप ने दैवीय शक्ति की सहायता लेकर ही संघर्ष किया था । मुघलों द्वारा आक्रमण किए जाने पर देशभर के कई संतों ने संबंधित स्थानों की परंपराओं को जागृत रखा । साधना एवं धर्मबल के आधार पर समाज में जागृति लाना और संगठन करना ही हिन्दुओं की सभी समस्याओं का उपाय है । भगवान श्रीकृष्ण भगवद्गीता के रूप में ही अवतरित हो ही गए हैं । अब हिन्दुओं को केवल अर्जुन और पांडवों की भांति कार्य करना आवश्यक है । ‘जंबू टॉक्स कॉनफ्लूएंस २०२१’ विचारगोष्ठी के पहले दिन आयोजित सत्र में वे ऐसा बोल रहे थे ।

यहां की श्री. निधीश गोयल की यू ट्यूब वाहिनी ‘जम्बू टॉक्स’ पर २२ से २६ दिसंबर की अवधि में ५ दिवसीय विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया है । उसमें २२ दिसंबर को ‘भारत की दिव्यता’ विषय पर विचारगोष्ठी ली गई ।

इस विचारगोष्ठी में प्रसिद्ध कीर्तनकार एवं प्रवचनकार श्री. सच्चिदानंद शेवडे और भारत की वैभवशाली परंपरा के संकलन करनेवाला जालस्थल ‘ द धर्मा डिस्पैच’ के संस्थापक एवं मुख्य संपादक श्री. संदीप बालकृष्णन ने भी अपने विचार रखे । श्री. उपेंद्र मिश्रा ने इस विचारगोष्ठी का सूत्रसंचालन किया ।

हिन्दुओं को हिन्दू धर्म के विषय में शोधकार्य करनेवालों का साथ देना चाहिए ! – सच्चिदानंद शेवडे, प्रसिद्ध कीर्तनकार एवं प्रवचनकार

डॉ. सच्चिदानंद शेवडे, लेखक-व्याख्याता

ब्रिटीशों ने भारत पर राज्य कर भारत के हिन्दुओं की बुद्धि का हरण किया । उदाहरणार्थ, उन्होंने ऐसा बताना आरंभ किया कि शिखा रखने में कोई आपत्ति नहीं है; परंतु वह गंवारा दिखाई देता है । उसके कारण हिन्दुओं ने शिखा रखना छोड दिया । इस प्रकार उन्होंने हिन्दुओं की बुद्धि पर ही आघात किया । अब कुछ लोग धर्म का अध्ययन और शोधकार्य कर रहे हैं । इसलिए हिन्दुओं को ऐसे लोगों का साथ देना चाहिए ।

धर्मविरोधी कृत्य करने पर चुनाव लडने के लिए अपात्र प्रमाणित किया जाए ! – संदीप बालकृष्णन्, संपादक, ‘द धर्मा डिस्पैच’ जालस्थल

श्री. संदीप बालकृष्णन्

कुछ लोगों ने संविधान के अस्तित्व के आने से पूर्व ही यह बताया था कि संविधान में ‘धर्म’ शब्द न होने के कारण वह अधिक समयतक टिक नहीं रह सकेगा । संविधान की नींव मजबूत होती, तो उसमें अभीतक इतने संशोधन नहीं किए जाते । इस्राईल की संविधान में ज्यू पंथ के विरुद्ध कृत्य करने पर चुनाव लडने के लिए अपात्र प्रमाणित किया जाता है । भारत में यदि ऐसा हुआ, तो राजसत्ता पर धर्मसत्ता का अंकुश लग सकता है ।

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