Sign Petition : धर्मनिरपेक्ष भारत में धर्म के आधार पर चल रही ‘हलाल प्रमाणपत्र’ व्‍यवस्‍था तत्‍काल बंद करें !

वर्तमान में भारतीय मुसलमानों द्वारा प्रत्‍येक पदार्थ, वस्‍तु इस्‍लाम के अनुसार वैध अर्थात ‘हलाल’ होने की मांग की जा रही है । यह मांग केवल मांस तक मर्यादित न होकर अनाज, फल, सौंदर्यप्रसाधन, औषधि इत्‍यादि उत्‍पादन भी हलाल नामांकित हो, ऐसी मांग मुसलमानों द्वारा की जा रही हैं । इसके लिए व्‍यापारियों को आवश्‍यकता न होते हुए भी प्रत्‍येक उत्‍पादन के लिए २१ हजार ५०० रुपए भर कर ‘हलाल प्रमाणपत्र लेना पडता है । सबसे महत्त्वपूर्ण अर्थात यह प्रमाणपत्र खाद्य और औषधि प्रशासन से नहीं, अपितु ‘जमियत-उलेमा-ए-हिंद’ नामक मुसलमान संगठन द्वारा दिया जाता है । इस हलाल अर्थव्‍यवस्‍था ने पूरे विश्‍व में वर्चस्‍व निर्माण किया है तथा भारत की अर्थव्‍यवस्‍था जितना अर्थात २ ट्रिलीयन डॉलर्स का स्‍तर भी पार किया है । हिन्‍दुओं के व्‍यापार और व्‍यवसाय में हस्‍तक्षेप कर समांतर आर्थिक व्‍यवस्‍था निर्माण करने का, यह वैश्‍विक षड्‍यंत्र है । इस अर्थव्‍यवस्‍था के कारण अल्‍पसंख्‍यक मुसलमानों की बहुसंख्‍यकों पर एक प्रकार की तानाशाही आरंभ है ।

देशभक्‍त एवं धर्मप्रेमी हिन्‍दू इस ऑनलाईन याचिका (पेटिशन) द्वारा केंद्र शासन से ये मांग करे !

देशभक्‍त एवं धर्मप्रेमी हिन्‍दुओं से निवेदन है कि, कृपया नीचे दिए गए ‘Send Email’ इस बटन पर क्लिक कर इस मांग को इ-मेल द्वारा माननीय प्रधानमंत्री को भेजें ! साथ ही इस इ-मेल की प्रतिलिपि (Copy) हमें [email protected] इस पते पर इ-मेल करें ! 

(Note : ‘Send Email’ यह बटन केवल मोबाईल से क्लिक करने पर ही कार्य करेगा !)
Send Email

 

तथापि इस संदर्भ में हम आपका ध्‍यान निम्‍न सूत्रों की ओर आकर्षित करना चाहेंगे…

१. भारत सरकार ने शरीयत आधारित ‘इस्‍लामिक बैंक’ भारत में आरंभ करने की मांग निरस्‍त की । इसलिए सीधे धर्म के आधार पर निधि एकत्रित करने की नई योजना मुसलमानों ने खोजी है । कोई भी ग्राहक संविधान द्वारा दी गई धार्मिक स्‍वतंत्रता का लाभ लेकर उसके धर्मानुसार अनुमोदित साहित्‍य और पदार्थ की मांग कर सकता है । इसका लाभ लेकर मुसलमानों द्वारा प्रत्‍येक पदार्थ, वस्‍तु इस्‍लाम के अनुसार वैध अर्थात ‘हलाल’ होने की मांग की जाने लगी है ।

२. देश में केवल १५ प्रतिशत अल्‍पसंख्‍यक मुसलमान समाज को इस्‍लाम के अनुसार अनुमोदित ‘हलाल मांस’ खाना है, इसलिए शेष ८५ प्रतिशत जनता पर भी उसे लादा जाने लगा है । अब तो यह ‘हलाल प्रमाणपत्र’ केवल मांस तक मर्यादित न रहते हुए खाद्यपदार्थ, सौंदर्यप्रसाधन, औषधि, चिकित्‍सालय, गृहसंस्‍था, मॉल के लिए भी लागू किया जाने लगा है । ‘नमकीन’ से सूखा मेवा, मिठाई, अनाज, तेल से लेकर साबुन, शैम्‍पू, टूथपेस्‍ट, नेलपॉलिश, लिपस्‍टिक इत्‍यादि सौंदर्यप्रसाधनों का समावेश है । इसलिए हलाल प्रमाणपत्र के आधार पर मांस सहित इन अन्‍य पदार्थां का व्‍यवसाय भी हिन्‍दू उद्यमियों से छीना जा रहा है ।


अधिक पढ़े : ‘हलाल मुक्त दीपावली’ अभियान में सहभागी हो ! – हिन्दू जनजागृति समिति


३. यह मांग अब केवल निजी प्रतिष्‍ठानों तक मर्यादित न रहते हुए इसमें धर्मनिरपेक्ष भारत सरकार की रेल्‍वे सेवा और ‘पर्यटन महामंडल’ में भी ‘हलाल’ अनिवार्य किया गया है । ऐसा कहा जाता है कि ‘भारत देश धर्मनिरपेक्ष है ।’, ऐसा होते हुए भी केवल ‘इस्‍लाम’ को मान्‍य उत्‍पादन रेल्‍वे और एयर इंडिया में कैसे बेचे जा सकते हैं ? इस प्रकार किसी हिन्‍दू उद्योजक ने कोई उत्‍पादन निर्माण कर उसके द्वारा प्रमाणित की गई वस्‍तु लें, ऐसा निर्णय अनिवार्य करती तो क्‍या शासन की रेल्‍वे और एयर इंडिया जैसे सरकारी प्रतिष्‍ठान स्‍वीकार करते ?

४. भारत सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय के अंतर्गत ‘खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण’, साथ ही प्रत्‍येक राज्‍य के स्‍वतंत्र ‘खाद्य और औषधि प्रशासन’ विभाग अस्‍तित्त्व में है । एक ओर खाद्यपदार्थों से संबंधित प्रमाणपत्र देनेवाली ‘सेक्‍युलर’ शासन की व्‍यवस्‍था होते हुए भी ‘हलाल प्रमाणपत्र’ देने की अनुमति निजी इस्‍लामिक धार्मिक संस्‍थाओं को क्‍यों दी गई है ? साथ ही सरकार जब ऐसे पदार्थों को प्रमाणपत्र देती है, तब उसकी जांच की जाती है । ‘हलाल’ प्रमाणपत्र देते हुए शासन के किसी भी नियम का पालन नहीं किया जाता । ऐसे होते हुए भी धार्मिक आधार पर किसी निजी संस्‍थान द्वारा हलाल प्रमाणपत्र के नाम पर लिया जानेवाला शुल्‍क वैध क्‍यों ठहराया जा रहा है ? इन खाद्यपदार्थों से किसी को गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या निर्माण हुई, तो उसका दायित्‍व कौन लेगा ?

५. हलाल उत्‍पादनों द्वारा लाभ कमाना और वह लाभ इस्‍लामिक बैंक द्वारा उत्‍पादनों की वृद्धि के लिए उपयोग करना, साथ ही इस्‍लामिक बैंक से हलाल उत्‍पादन बनानेवालों को आर्थिक सहायता उपलब्‍ध करवाना और वैश्‍विक स्‍तर के बाजार पर नियंत्रण प्राप्‍त करने का प्रयास करना । इस प्रकार पूर्ण शृखंला पर नियंत्रण होने से इस्‍लामिक बैंक की स्‍थिति में विलक्ष्णीय परिवर्तन हुआ । बैंक की संपत्ति जो वर्ष २००० में ६.९ प्रतिशत थी, वह वर्ष २०११ में २२ प्रतिशत हुई । ‘हलाल इंडस्‍ट्री’ पूरे विश्‍व में सर्वाधिक गति से बढनेवाली व्‍यवस्‍था बन गई है । अर्थात इस्‍लाम के आधार पर ‘हलाल इंडस्‍ट्री’ और ‘हलाल अर्थव्‍यवस्‍था’ के आधार पर ‘इस्‍लामिक बैंक’ बडी होती जा रही है ।

६. भारत में हलाल प्रमाणपत्र देनेवाली अनेक निजी संस्‍थाएं है । उनमें प्रधानता से ‘हलाल इंडिया प्रा. लिमिटेड’, ‘हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेस इंडिया प्रा. लिमिटेड’, ‘जमियत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्‍ट’, ‘जमियत उलेमा-ए-महाराष्‍ट्र’ समाविष्‍ट है ।

७. मुसलमान व्‍यक्‍ति द्वारा प्राप्‍त मांस ही हलाल माना जाता है , जिससे मांस का ६३,६४६ करोड रुपयों का व्‍यापार मुसलमानों के पास गया है । इसलिए हिन्‍दू खाटीक समाज और हिन्‍दू व्‍यापारी बेरोजगार होते जा रहे हैं ।

‘जमियत उलेमा-ए-हिंद’ संगठन के विषय में

भारत में हलाल प्रमाणपत्र देनेवाले संगठनों में से ‘जमियत उलेमा-ए-हिंद’ यह एक मुख्‍य संगठन है । भारत में ब्रिटिशों की राजसत्ता को विरोध करने के लिए वर्ष १९१९ में इस संगठन की स्‍थापना की गई । कांग्रेस के साथ यह संगठन कार्यरत था और उन्‍होंने विभाजन का विरोध किया था । विभाजन के समय इस संगठन के २ टुकडे होकर उनमें से ‘जमियत उलेमा-ए-इस्‍लाम’ संगठन ने पाकिस्‍तान का समर्थन किया था । जो आज भी शक्‍तिशाली मुसलमान संगठन के रूप में पहचानी जाती है ।


अधिक पढ़े : ‘हलाल सर्टिफिकेट’ – भारत को इस्‍लामीकरण की ओर ले जानेवाला आर्थिक जिहाद !


हाल ही में इस संगठन के बंगाल के अध्‍यक्ष सिद्दीकुल्ला चौधरी ने ‘नागरिकत्‍व सुधारणा कानून’ के विरोध में ‘केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा को विमानतल से बाहर नहीं निकलने देंगे’, ऐसी धमकी दी थी । इसी संगठन ने घोषित किया कि उत्तरप्रदेश के हिन्‍दू नेता कमलेश तिवारी के हत्‍या प्रकरण में आरोपियों की ओर से अभियोग लडेंगे । इस संगठन ने ७/११ का मुंबई रेल्‍वे बमविस्‍फोट, वर्ष २००६ का मालेगांव बमविस्‍फोट, पुणे का जर्मन बेकरी बमविस्‍फोट, २६/११ के मुंबई आक्रमण, मुंबई के जावेरी बाजार में शृखंला बमविस्‍फोट, देहली की जामा मस्‍जिद विस्‍फोट, कर्णावती (अहमदाबाद) शहर के विस्‍फोट ऐसे अनेक आतंकवादी घटनाओं के मुसलमान आरोपियों के लिए कानूनी सहायता उपलब्‍ध करवाई है । ऐसे कुल ७०० लोगों के अभियोग जमियत लड रही है । इस हेतु खर्च होनेवाला धन हलाल प्रमाणपत्र द्वारा हिन्‍दू ही उन्‍हें दे रहे हैं । इससे स्‍पष्‍ट होता है कि हलाल निधि का उपयोग आतंकवाद के आरोपियों की सहायता करने के लिए किया जा रहा है ।

अत: इस संदर्भ में हम निम्‍न मांग करते हैं…

१. केवल धर्म के आधार पर निर्मित ‘हलाल प्रमाणपत्र’ व्‍यवस्‍था अन्‍य समाज घटकों पर लादी जा रही है । मुसलमान समाज की मांग के कारण बहुसंख्‍यंक हिन्‍दू समाज, साथ ही मुसलमानों को छोडकर अन्‍य अल्‍पसंख्‍यक समाज को ‘हलाल प्रमाणित’ पदार्थ अथवा उत्‍पादन लेने के लिए बाध्‍य करना, यह धार्मिक अधिकारों का हनन है । इसलिए धार्मिक भेदभाव करनेवाले ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ पर भारत में प्रतिबंध लगाया जाएं ।

२. जिन निजी प्रतिष्‍ठानों को ‘हलाल प्रमाणपत्र’ देने की अनुमति दी गई है, उन सभी प्रतिष्‍ठानों की यह अनुमति तत्‍काल निरस्‍त की जाए ।

३. शासन की रेल्‍वे, एयर इंडिया इन सरकारी प्रतिष्‍ठानों में ‘हलाल प्रमाणित’ पदार्थ ही दिए जाते हैं, यह व्‍यवस्‍था तत्‍काल बंद की जाएं ।

४. जो संस्‍थाएं ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ देती है, उन सभी संस्‍थाओं की सीबीआई द्वारा जांच कर क्‍या इस निधि का उपयोग आतंकवादियों की सहायता करने के लिए हुआ है ?, इससे राष्‍ट्रीय सुरक्षा को कोई संकट तो नहीं ?, इसकी विस्‍तृत जांच की जाएं ।

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​