जांभळी (नगर) के नवजात शिशु की मृत्यु प्रकरण में दोषियों पर कार्यवाही करें ! – आरोग्य साहाय्य समिति

नगर जिले के जांभळी, तालुका राहुरी की निवासी श्रीमती रामेश्‍वरी बाचकर नामक महिला को प्रसव हेतु नगर ले जाने के लिए समय पर रुग्णवाहिका (एंबुलेंस) की आवश्यकता थी; परंतु स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण रुग्णवाहिका समय पर न मिलने के कारण महिला को दुपहिए वाहन से नगर ले जाना पडा । खराब रास्ते पर दुपहिए वाहन द्वारा यात्रा करने के कारण प्रसूति के कुछ समय उपरांत ही श्रीमती बाचकर के नवजात शिशु की मृत्यु हो गई । हाल ही में घटित हुए इस प्रकरण में अब तक कोई भी कार्यवाही हुई दिखाई नहीं देती है । यह अत्यधिक खेदजनक है । इस प्रकरण में दोषियों पर कठोर कार्यवाही की जाए, ऐसी मांग ‘आरोग्य साहाय्य समिति’ के समन्वयक डॉ. उदय धुरी ने की है । इस संबंध में बयान को जिला कलेक्टर की ओर से निवासी जिल्हाधिकारी एवं दंडाधिकारी श्री संदीप विष्णु निचित ने स्वीकार किया.

आरोग्य साहाय्य समिति ने यह निवेदन ‘अभियान संचालक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान, महाराष्ट्र’, ‘मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जि.प. नगर’ और ‘जिला स्वास्थ्य अधिकारी, जि.प. नगर’ को भी कार्यवाही के लिए भेजा है । जिलाधिकारी को भेजे गए निवेदन में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान अंतर्गत ‘प्रजनन और बाल आरोग्य’ उपक्रम का प्रमुख उद्देश्य ‘माता-मृत्यु और शिशु-मृत्यु दर अल्प करना’ है । मृत्यु-दर अल्प करने के लिए शासन ने जिलों को प्रचुर मात्रा में धन उपलब्ध करवाया है । ऐसा होते हुए भी रुग्णवाहिका के अभाव में गर्भवती महिला को सेवा न मिलना, जिस कारण उसके नवजात शिशु की मृत्यु होना, यह घटना स्वास्थ्य विभाग की अक्षम्य लापरवाही दर्शाता है ।

‘प्रजनन और बाल स्वास्थ्य योजना’ की ‘जननी सुरक्षा योजना’ में गांव के स्तर पर प्रतिवर्ष प्रत्येक स्वास्थ्य उपकेंद्र को सक्षम करने के लिए 10 हजार रुपए की निधि ग्राम स्वास्थ्य, पोषण, पानी आपूर्ति, स्वच्छता समिति को भी प्रति वर्ष 10 हजार रुपए की निधि; सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की ‘रोगी कल्याण समिति’ को एक लाख रुपए की निधि; ‘प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों’ को प्रतिवर्ष 25 हजार रुपए की ‘अबंधित निधि’ दी जाती है । संक्षेप में गांव के स्तर पर उपकेंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला स्तर पर इस अभियान के अंतर्गत करोडों रूपए की निधि उपलब्ध है । संदर्भ सेवा हेतु खर्च करने की अनुमति होते हुए भी सामान्य नागरिकों को उनके मूलभूत अधिकार अंतर्गत स्वास्थ्य संदर्भ सेवा प्राप्त न होना और उस कारण मृत्यु होना, ये जिलास्तरीय प्रशासन से ग्रामस्तरीय प्रशासन तक सभी की विफलता है । रुग्णवाहिका उपलब्ध न हो, तो गांव की निजी वाहन सेवा द्वारा गर्भवती महिला को संदर्भसेवा दी जा सकती थी । तथापि गर्भवती महिला को समय पर रुग्णवाहिका उपलब्ध न होने हेतु उत्तरदायी सभी की तत्काल जांच की जाए । अलग-अलग समितियों को प्राप्त निधि के उपयोग की भी जांच की जाए और उसमें दोषी पाएं जानेवालों पर तत्काल कठोर कार्यवाही करे, ऐसी मांग भी इस निवेदन द्वारा डॉ. धुरी ने की ।

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