आनेवाले भीषण आपातकाल का सामना करने हेतु साधना ही आवश्यक – सद्गुरु (कु.) स्वाती खाडये

हिन्दूसंगठन एवं धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु हिन्दू जनजागृति समिति

पुणे में हिन्दू जनजागृति समिति के जालस्थल पर प्रोफाईल मेंबर्स के लिए ऑनलाइन धर्मशिक्षावर्ग की वर्षपूर्ति समारोह का आयोजन !

पुणे : कोरोना महामारी की दूसरी लहर में नागरिकों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजाली, डॉक्टरों और चिक्त्सिालयों द्वारा की गई कालाबाजारी का सामना करना पडा । यातायात बंदी के कारण अनेक लोगों की नौकरियां गईं, व्यवसाय बंद पडष और अनेक लोगों को प्राण गंवाने पडे । उसके तुरंत पश्‍चात ही तौक्ते और यास चक्रवाती तूफानों के कारण जनजीवन और अधिक ठप्प हुआ । ऐसी स्थिति होते हुए धर्मांध अलग-अलग प्रकार के जिहाद कर रहे हैं । पिछले वर्ष कोरोना जिहाद के कारण देश में महामारी फैली । पिछले महिने में ही मध्य प्रदेश में एक धर्मांध परिचारिका इंजेक्शन में टीका न भरकर ही हिन्दुओं को सुईं चुभा रही थी । तो यह टीका तो एक जिहाद है, ऐसा कहने में क्या अनुचित है ? दूसरी ओर अमेरिका स्थित ईसाई संस्थाएं हिन्दुओं का धर्मांतरण करने के लिए भारत में प्रतिवर्ष करोडों रुपए की राशि भेज रहे हैं । भारत को ईसाई राष्ट्र बनाने का बडा षड्यंत्र चल रहा है । इसे रोकने हेतु हिन्दुओं को संगठित होना आवश्यक है । अनेक संतों और द्रष्टाओं ने इससे पूर्व ही ‘आनेवाला समय और भी अधिक कठिन होगा’, ऐसा बताया ही है । इस स्थिति का सामना करने हेतु केवल भगवान ही हमारी सहायता कर सकते हैं और उसके लिए साधना करना ही अनिवार्य है । सनातन संस्था की धर्मप्रचारक सद्गुरु (कु.) स्वाती खाडयेजी ने यह मार्गदर्शन किया ।
पिछले वर्ष कोरोना महामारी के कारण लागू की गई यातायात बंदी की अवधि में हिन्दू जनजागृति समिति के प्रोफाईल मेंबर्स के लिए ऑनलाइन धर्मशिक्षावर्ग आरंभ किया गया । इस वर्ग को एक वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हाल ही में इस वर्षपूर्ति समारोह का आयोजन किया गया था ।
इस समारोह में १०३ से भी अधिक प्रोफाईल मेंबर्स सहभागी थे । इस समारोह का सूत्रसंचालन प्रोफाईल मेंबर श्री. मिलिंद कालगांवकर ने किया, तो अन्य एक प्रोफाईल मेंबर श्री. अमित खेडकर ने इस समारोह का उद्देश्य स्पष्ट किया । इस कार्यक्रम में हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने भी मार्गदर्शन किया ।

हिन्दुओं की समस्याओं दूर करने हेतु भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की आवश्यकता ! – सुनील घनवट, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति

१. आज के समय में मंदिर सरकारीकरण के कारण मंदिरों की भूमि हडप ली गई हैं । इसके लिए कारण बने वर्ष १९५१ में बनाया गया मंदिर अधिग्रहण कानून, साथ ही वर्ष १९९१ का प्लेसेस ऑप वरशिक कानूनों को रद्द कर देना चाहिए । इस समस्या तथा देश के हिन्दुओं की अन्य समस्याओं के उपाय के रूप में भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए । अनेक साधु-संत भी इसके लिए प्रयास कर रहे हैं । हाल ही में हरिद्वार में शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष प.पू. स्वामी आनंदस्वरूप महाराज ने पूरे देश के साधु, संत, महंत, अखाडों, मठों, धर्मगुरुओं और सभी शंकराचार्यों को एकत्रित कर इस देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग को लेकर महाअभियान आरंभ किया है ।

२. धर्मनिरपेक्ष भारत में पंजाब के मुख्यमंत्री तथा कांग्रेसी नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुसलमानबुहुल क्षेत्र को अलग जनपद घोषित किया है । क्या इस देश में मुघलाई आरंभ हुई है ?

३. भारत से अफगानिस्तान जाकर वहां आतंकी संगठन इसिस में सहभागी महिलाओं को पुनः भारत लौटने की अनुमति देने की कांग्रेस मांग कर रही है । ये महिलाएं वहां ‘टूरिस्ट’ के रूप में नहीं, अपितु ‘टेररिस्ट’ (आतंकी) के रून में वहां गई थीं । क्या उन्हें आतंकी कृत्य करने के लिए देश में लेना चाहिए ?

४. आज भारत में एन्.सी.ई.आर्.टी. के पाठ्यक्रम में सर्वत्र हिन्दूद्वेष ही दिखाई देता है । हिन्दू नाम ‘हरि’ नामक लडका लडकियों को छेडता है, तो ‘अब्दुल’ नाम का लडका सभी की सहायता करता है’, ऐसा इस पुस्तक में लिखा गया है । १२ वर्ष के शिरीषकुमार ने छातीपर गोलियां झेलीं; परंतु तिरंगे को नीचे गिरने नहीं दिया । एन्.सी.ई.आर्.टी. अपनी पुस्तकों से ऐसे देशप्रेमी क्रांतिकारियों का इतिहास न पढाकर जिन मुघलों ने इस देश पर आक्रमण किए, उनका उदात्तीकरण कर रही है । इस शिक्षाव्यवस्था का कारण है कि स्वतंत्रता के उपरांत कांग्रेस ने २० वर्षतक केवल मुसलमान व्यक्तियों को ही शिक्षामंत्री बनाया था; इसलिए छात्रों को सच्चा इतिहास ज्ञात होने के लिए वर्तमान शिक्षाप्रणाली में परिवर्तन किया जाना आवश्यक है ।

धर्मशिक्षावर्ग में नियमितरूप से उपस्थित प्रोफाईल मेंबर्स के मनोगत

१. श्री. विनायक रोडगे : इस धर्मशिक्षावर्ग के माध्यम से त्योहार-उत्सव और व्रतों का शास्त्र, पूजाघर में देवताओं की रचना, देवतापूजन, नामस्मरण का महत्त्व, आदर्श दिनचर्या, स्वभावदोष निर्मूलन जैसे अनेक विषय ज्ञात हुए । मैने इसके अनुसार धर्माचरण करना आरंभ किया है ।

२. श्री. दौलत माने : पिछले वर्ष से मैं धर्मशिक्षावर्ग में नियमितरूप से जुडता हूं । धर्मशिक्षावर्ग में कौनसा नामजप करना चाहिए, यह ज्ञात हुआ । नामजप आरंभ करने से मुझे बहुत अच्छा लग रहा है । पहले मुझे बहुत समस्याएं आती थीं, जो नामजप के कारण न्यून हुई हैं । पहले मैं मांसाहारी था; परंतु वर्ग में जुडने से मेरी मांसाहार की इच्छा अपनेआप ही न्यून होती गई ।

३. श्री. शुभम जाधव : पहले मेरा बहुत समय व्यर्थ हाते था । धर्मशिक्षावर्ग के माध्यम से समय का उचित नियोजन कैसे करना चाहिए ?, यह मुझे ज्ञात हुआ । तब से मैं समय का सदुपयोग कर रहा हूं । धर्मशिक्षावर्ग में मुझे नामजप का महत्त्व ध्यान में आया । प्रतिदिन नामस्मरण करना आरंभ करने के कारण ही मैं सुरक्षित रह सका हूं ।

४. श्री. कुणाल गवारी : पहले मेरे मन में बहुत नकारात्मक विचार आते थे । समिति के धर्मशिक्षावर्ग में आने से मुझे अनेक विषय ज्ञात हुए । समिति का कार्य देखकर मेरे मन में सकारात्मक विचार बढे । इस कार्य में सहभाग लेते हुए मुझे बहुत आनंद मिल रहा है ।

५. श्री. उद्धव तोडकर : हिन्दू जनजागृति समिति के संपर्क में आने से लेकर मैं नियमितरूप से स्वरक्षा एवं धर्मशिक्षावर्ग में सहभागी हो रहा हूं । तबसे मुझे आनंद एवं संतुष्टि मिल रही है ।

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