देश में धर्मांधों की बढती जनसंख्या ही अखंड भारत के विभाजन का मूल कारण ! – सुनील घनवट

  • यू ट्यूबवाहिनी ‘जम्बू टॉक्स’ पर प्रसारित ऑनलाइन कार्यक्रम में हिन्दू जनजागृति समिति का अंतर्भाव !
  • कार्यक्रम के माध्यम से संपूर्ण देश में धर्मांतरणबंदी कानून बनाने हेत अभियान का आरंभ करने का हिन्दुत्वनिष्ठों का आवाहन

मुंबई : स्वतंत्रतावीर सावरकरजी ने कहा है कि ‘धर्मांतरण होने पर राष्ट्रांतरण होने के लिए समय नहीं लगता ।’ इसिस को भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है, तो ईसाईयों को भारत को ईसाईमय बनाना है, बौद्धों को नया राष्ट्र चाहिए; तो धर्मपरिवर्तन किसका होता है ? इतिहास और आज की घटनाओं को देखा जाए, तो भारत में केवल हिन्दुओं का ही धर्मांतरण होता है, यह ध्यान में आता है । प्रतिवर्ष देश में १५ लाख हिन्दुओं का धर्मांतरण होता है । आज देश के ९ राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक बन गए हैं । वर्ष १८७६ से अखंड भारत का विभाजन होकर अफगानिस्थान, नेपाल, भूतान, तिब्बत, म्यानमार, श्रीलंका, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश बने । इन सभी विभाजनों का मूल कारण देश में धर्मांधों की बढती हुई जनसंख्या ही है । जब धर्मांधों की जनसंख्या बढती है, तब अलग प्रदेश की मांग की जाती है । पोप जॉन पॉल ने ‘पूरे एशिया को ईसाईमय बनाने की मेरी इच्छा है’, ऐसा वक्तव्य दिया था । पूर्वोत्तर भारत आज संपूर्णरूप से ईसाईमय बन गया है । वहां के ईसाई अलग राज्य की मांग कर रहे है, जो देश की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत घातक है । हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने ऐसा प्रतिपादित किया । यू ट्यूब पर कार्यरत वाहिनी ‘जम्बू टॉक्स’ पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में वे ऐसा बोल रहे थे । इस कार्यक्रम का सूत्रसंचालन जम्बू टॉक्स के निदेशक श्री. निधीश गोयल ने किया । इस कार्यक्रम में श्री. घनवट ने कोरोना के काल में भी चल रहा धर्मांतरण का षड्यंत्र और अबतक के धर्मांतरण के कारण हिन्दुओं की बनी भयावहन स्थिति से दर्शकों को अवगत कराया । साथ ही उन्होंने धर्मांतरण की समस्या के समाधान के लिए हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का पूरे देश में धर्मांतरणबंदी कानून लागू करने की मांग के लिए अभियान चलाने का आवाहन किया । ९२० धर्मप्रेमियों ने इस ऑनलाइन कार्यक्रम का लाभ उठाया ।

श्री. सुनील घनवट द्वारा भेंटवार्ता में रखे गए कुछ महत्त्वपूर्ण सूत्र

ईसाईयों द्वारा धर्मप्रचार के नामपर हिन्दुओं का दिशाभ्रम कर धर्मांतरण !

इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भारत जब ‘सेक्युलर’ (धर्मनिरपेक्ष) बना, उसके उपरांत ईसाई मिशनरियों ने सरकार पर दबाव बनाकर संविधान में धर्मप्रचार करने का प्रावधान करा लिया । ईसाई मिशनरी धर्मप्रचार करने के नामपर निर्धन, भोले और अशिक्षित हिन्दुओं का दिशाभ्रम कर उनका धर्मांतरण करते हैं । फ्रान्स के पादरी रॉबर्ट नेवली ने स्वयं को तत्त्वबोध स्वामी कहलवाकर ‘हिन्दुओं के चार वेदों के उपरांत यीशू पांचवा वेद है’, ऐसा बताया, साथ ही ईसाई क्रिश्‍न संकल्पना बताकर हिन्दुओं का दिशाभ्रम किया जाता है । यह एक बडा षड्यंत्र है तथा हिन्दू समाज इन लोगों के झांसे में न आकर अपने हिन्दू देवताओं के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए ।

धर्मांतरण करने के उपरांत ये ईसाई मिशनरी धर्मांतरित हिन्दू से १०० रुपए के बाँड पर ‘मैं अपनी इच्छा से धर्मांतरण कर रहा हूं और इसके लिए मुझपर किसी ने दबाव नहीं डाला है’, ऐसा लिखकर लेते हैं । इस प्रकार कानूनी स्तर पर भी धर्मांतरण को संरक्षण प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है ।

कोरोना काल में भी ईसाईयों द्वारा हिन्दुओं का धर्मांतरण !

अनफोल्डिंग वर्ल्ड के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) डेविड रीव्स ने बताया कि कोरोना काल में भी ईसाईयों ने १ लाख हिन्दुओं का धर्मांतरण किया है । छत्तीसगढ में कोविड सेंटर बनाकर रोगियों का धर्मांतरण किया जा रहा है । विविध स्वयंसेवी संगठनों को विदेशों से धर्मांतरण के लिए धन मिलता है । ‘इंडियन मेडिकल काऊंसिल के अध्यक्ष डॉ. जॉनरोज जयलाल ने खुलेआम ही ‘यीशू से प्रार्थना करने से कोरोना ठीक होता है’, यह वक्तव्य दिया । आदिवासी क्षेत्रों में कोरोना चिकित्सा करते समय धर्मांतरण का प्रयास करनेवाली परिचारिकों को पकडा गया । कोरोना काल में झारखंड के मुख्यमंत्री ने आदिवासी हिन्दू नहीं हैं, अपितु उनका धर्म अलग है, ऐसा बताकर आगामी जनगणना में उनकी प्रविष्टि अलग स्तंभ में करने की मांग की है ।

अवैधरूप से धर्मांतरण करनेवाले ईसाईयों के संदर्भ में पुलिस विभाग उदासीन !

मध्य प्रदेश के न्यायालय के न्यायाधीश ने ‘धर्म का प्रचार करने’ का अर्थ बलपूर्वक धर्मांतरण करना नहीं है’, ऐसा बताया । उसके कारण कानून में प्रावधान होते हुए भी इन ईसाईयों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही नहीं की जाती । ऐसी स्थिति में ‘प्रशासनिक अधिकारियों की ईसाई मिशनरियों के साथ मिलीभगत तो नहीं है ?’, यह प्रश्‍न उठता है । ‘ड्रग्ज एन्ड रेमिडीज’ कानून के अनुसार रोग ठीक करने के नाम पर किए जानेवाले अवैज्ञानिक दावों के विरुद्ध कार्यवाही की जानी चाहिए; परंतु ‘आपका डॉक्टर आपका रोग ठीक नहीं कर सकता; इसलिए हम यीशू को प्रार्थना करते हैं’ का खुलेआम दावा करनेवालों के विरुद्ध किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जाती । महाराष्ट्र में केवल हिन्दू धर्म में निहित प्रथाओं और परंपराओं को नष्ट करने हेतु अंधविश्‍वास निर्मूलन कानून लाया गया; परंतु यही अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिवाले और नास्तिकतावादी पुणे में स्थित दापोडी, साथ ही वसई के चर्च में रोग ठीक करने के नामपर जो दावे किए जाते हैं, उसपर कुछ नहीं बोलते । धर्मांतरण को रोकने के लिए कानूनी संरक्षण प्राप्त है; परंतु पुलिस और प्रशासन को उसकी कठोरता से कार्यवाही करनी चाहिए ।

मूल ईसाईयों द्वारा धर्मांतरित ईसाईयों के साथ किया जानेवाला भेदभावपूर्ण व्यवहार !

धर्मांतरण करने से पूर्व धर्मांतरित होनेवाले हिन्दुओं को पैसे दिए जाते हैं; परंतु एक बार धर्मांतरित होने के उपरांत जब उन्हें समस्याएं आती हैं, तो कोई भी उनकी ओर ध्यान नहीं देता । धर्मांतरित लोगों को दलित ईसाई, पिछडी जाति के ईसाई जैसा बोलकर मूल ईसाई उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार करते हैं । जब हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन धर्मांतरित लोगों को पुनः अपने धर्म में लेते हैं, तब यही सेक्युलरवादी आक्रोश करने लगते हैं । तो धर्मांतरण होते समय ये लोग कहां होते हैं ? आज अनेक धर्मांतरित लोगों को घरवापसी करनी है ।

पूरे देश में धर्मांतरणबंदी कानून तुरंत लागू कीजिए !

आज पूरे देश में यथाशीघ्र धर्मांतरणबंदी कानून लागू किया जाना चाहिए । इसके लिए हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को अभियान चलाना चाहिए । ईसाई मिशनरियों को टूरिस्ट (यात्री) वीजा नहीं देना चाहिए । धर्मांतरण करनेवालों के पास पैसे कहां से आते हैं ?, इसकी जांच होनी चाहिए । सेवा के नामपर ग्रामीण क्षेत्रों में जानेवालों को वहां जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए । साथ ही पत्रकों का वितरण करनेवाले ईसाईयों को इन पत्रकों को सरकार को दिखाना अनिवार्य बनाना चाहिए । चिकित्सालय में नन्स को नौकरियां नहीं दी जानी चाहिए; क्योंकि वे वहां बडी मात्रा में धर्मांतरण कर रही हैं । प्रार्थना एवं आशीर्वाद सभाओं के माध्यम से चल रहे धर्मांतरण के विरुद्ध समाज को आवाज उठानी चाहिए ।

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