दिल्ली दंगा : आप के पूर्व पार्षद ताहिर को दिल्ली HC ने पांच केस में दी जमानत

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दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की पांच जमानत याचिकाएं मंजूर कर लीं। उन्हें सभी पांच मामलों में जमानत मिल गई है। ये सभी मामले 2020 में दयाल पुर पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए थे।

ताहिर हुसैन के खिलाफ हत्या की कोशिश, दंगा और आपराधिक साजिश के आरोप में केस दर्ज किया गया था। हाईकोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ इन पांचों मुकदमों में ताहिर को जमानत दे दी है। करीब साढ़े तीन साल बाद ताहिर को राहत मिली है। हालांकि ताहिर अभी जेल में ही रहेगा, क्योंकि सभी मामलों में उसे जमानत नहीं मिली है।

दिल्ली दंगों में आइबी इंस्पेक्टर अंकित शर्मा की हत्या समेत कई अन्य मामले में आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को आरोपी बनाया था। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में साल 2020 फरवरी में ये दंगे हुए थे। दंगों में कई लोगों की जान गई थी। ताहिर हुसैन पर दंगे भड़काने और फंडिंग करने के आरोप लगे थे। इसके अलावा भी कई आरोप हैं।

दंगों के समय ताहिर हुसैन आम आदमी पार्टी के पार्षद था, लेकिन आरोपी साबित होने पर आप ने ताहिर को निष्कासित कर दिया था। दंगों में आईबी के इंस्पेक्टर अंकित शर्मा की हत्या की गई थी। इसके अलावा दो दिन तक चले दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। 11 पुलिस थाना इलाकों के अंतर्गत आने वाले कई इलाकों में दंगाइयों ने जमकर उत्पात मचाया था।


24 मार्च

अंकित शर्मा की हत्या मामले में ताहिर हुसैन समेत 11 लोगों के खिलाफ आरोप तय

साल 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली के इलाके में हुई हिंसा से जुड़े मामले में दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। कोर्ट ने एमसीडी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और दस अन्य के खिलाफ साजिश, दंगा, हत्या और समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं।

दिल्ली की न्यायालय ने इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में यह फैसला दिया है। वहीं कोर्ट ने इस हत्या में ताहिर हुसैन की भूमिका को भी अहम माना है। कड़कड़डूमा कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयानों से स्पष्ट परिलक्षित होता है कि सभी आरोपी घटनास्थल पर मौजूद थे। कोर्ट ने कहा कि ताहिर भीड़ को उकसा रहा था और यह सब घटना के दौरान लोगों को निशाना बनाने के लिए किया गया था।

इन धाराओं के तहत किए आरोप तय

कड़कड़डूमा कोर्ट ने IPC की धारा 147, 148, 153A, 302 और 120B के तहत मामला आरोप तय किए। कोर्ट ने कहा भीड़ लोगों और उनकी संपत्ति पर हमला करने के लिए पूरी तरह तैयार की गई थी। ताहिर हुसैन ने भी लोगों को मारने और भीड़ को उकसाने की भूमिका निभाई कि लोगों को न छोड़ा जाए। कोर्ट ने कहा कि जब अंकित भीड़ के सामने आया तो ताहिर हुसैन भीड़ को उकसाया।

न्यायालय ने यह भी कहा कि हुसैन निरंतर भीड़ की निगरानी कर रहा था और निर्देश दे रहा था और यह सब एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाने के लिए किया गया है। कोर्ट ने कहा भीड़ में मौजूद सभी व्यक्ति ने एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाने के लक्ष्य से उसमें शामिल हुए। भीड़ लोगों को मारने-हानि पहुंचाने के स्पष्ट उद्देश्य से काम कर रही थी। कोर्ट ने कहा आरोपी के खिलाफ मौजूद प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि वो दंगा करने और लोगों की संपत्ति को नष्ट करने और उनको हानि पहुंचाने वाले आपराधिक षड़यंत्र में शामिल था।


6 अगस्त 2021

ताहिर हुसैन को कोर्ट से झटका, जमानत याचिका खारिज: दिल्ली दंगो और अंकित शर्मा हत्या का है आरोपित

दिल्ली हिंदू विरोधी हिंसा के मामले में आरोपित और आम आदमी पार्टी से निष्कासित पूर्व निगम पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत याचिका को दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने शनिवार को खारिज कर दिया है। इसके बाद अब ताहिर हुसैन को फिलहाल जेल में ही रहना होगा। दरअसल ताहिर हुसैन को दिल्ली पुलिस ने आईबी अंकित शर्मा की हत्या और दिल्ली हिंसा में संलिप्तता के चलते गिरफ्तार किया गया था।

दरअसल, अपनी जमानत याचिका में ताहिर हुसैन ने कहा था कि वो निर्दोष है। दिल्ली हिंसा में उसका हाथ नहीं है और पुलिस के पास उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत भी नहीं हैं। पुलिस उसे गलत तरीके से फँसा रही है। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने ताहिर हुसैन के खिलाफ कठोर अवैध गतिविधियाँ अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है।

आपको बता दें कि ताहिर हुसैन पर आइबी कॉन्स्टेबल अंकित शर्मा की हत्या में शामिल होने के साथ-साथ, दिल्ली में हिंसा भड़काने, साजिश रचने समेत कई अन्य मामले दर्ज किए गए हैं। इससे पहले ताहिर हुसैन को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा मामले में 5 मार्च को गिरफ्तार किया था। दरअसल ताहिर हुसैन अपने वकील के साथ राऊज एवेन्यू कोर्ट में मुँह पर मास्क लगाए सरेंडर करने के लिए पहुँचा था, लेकिन पहले से वहाँ मौजूद दिल्ली पुलिस के विशेष जाँच दल ने गिरफ्तार कर लिया था।

चश्मदीदों के अनुसार, उसकी इमारत में करीब तीन हजार दंगाई जमा थे। वहॉं से हिंदुओं को निशाना बना पत्थरबाजी हुई। पेट्रोल बम फेंके गए। गोलियॉं चलाई गई। उसकी इमारत से पत्थरों और पेट्रोल बम का जखीरा बरामद किया गया था। शुरुआत में आम आदमी पार्टी ने उसका बचाव करने की कोशिश की, लेकिन, जब एक के बाद एक सबूत सामने आते गए तो निलंबित कर आम आदमी पार्टी ने उससे पल्ला झाड़ने की कोशिश की।

उल्लेखनीय है कि सीएए, एनआरसी विरोध के नाम पर 23-24 फरवरी को दिल्ली में शुरू हुई हिंदू विरोधी हिंसा में 53 लोगों ने अपनी जान गँवा दी थी। इस हिंसा में 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस दौरान दंगाइयों ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में सरकारी और निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुँचाया था।

हिंसक भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूँक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया था। इस हिंसा मे राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की गोली लगने से मौत हो गई थी और डीसीपी और एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। वहीं आईबी में कार्यरत अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश को नाले में फेंक दिया गया था।

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