‘हमें भरतनाट्यम सीखना है लेकिन नटराजा-सरस्वती को प्रणाम नहीं करेंगे, जीसस’वाले स्टेप डालो’

नृत्य और पूजा के मामले पर तार्किक रूप से सोचने की बजाय ईसाई दंपती माँग करने लगे कि, उनके मजहब से जुडी चीजें, जीसस से जुडे गाने भरतनाट्यम के रूप में सिखाए जाने चाहिए। इसकी जिम्मेदारी भरतनाट्यम शिक्षिका पर डाल बखेडा खडा कर दिया !

निहारिका गौडा नाम की एक ट्विटर यूजर ने अपनी माँ, जो कि, भरतनाट्यम शिक्षिका भी हैं, के साथ हुई एक घटना लिखी है, जिसे पढकर कोई भी हैरान रह जाएगा ! निहारिकाद्वारा शेयर की गई घटना से हमें पता चलता है कि, समाज में असहिष्णुता और पंथिक कट्टरता कितनी ज्यादा बढती जा रही है !

दरअसल, एक ईसाई दंपती ने अपने बच्चों को भरतनाट्यम में दाखिला दिलाने के बाद नटराजा की आरती करने से मना कर दिया ! उन्होंने अपने पंथ से जुडी हुई चीजें भरतनाट्यम में जोडकर सिखाए जाने की मॉंग भी की !

तो फिर  . . . 

पूजा का सामान खुद लेकर आए

निहारिका के अनुसार, जब कोई भरतनाट्यम क्लास ज्वाइन करता है, तो उसे नटराजा की पूजा करनी होती है, यही प्रचलन है ! जब २ नए बच्चों ने क्लास ज्वाइन की, तो इसके बारे में शिक्षिका (निहारिका की माँ) ने पहले ही उनके पैरेंट्स को बता दिया था। निहारिका के अनुसार, उन अभिवावकों ने इसके लिए एडवाँस धनराशि दी और पूजा का सामान भी बच्चों के लिए खरीद कर लाए !

लेकिन, शिक्षिका ने जब पूजा के बाद उन बच्चों से आरती करने के लिए कहा तो महज दूसरी कक्षा में पढनेवाले उन बच्चों ने आरती करने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया, क्योंकि, वे ईसाई हैं ! इस पर भरतनाट्यम शिक्षिका ने उनके अभिवावकों को समझाने की कोशिश की कि, अगर वे महज आरती से इतना बिदक रहे हैं, तो भरतनाट्यम सीखेंगे कैसे ? चूँकि, भरतनाट्यम में अधिकाँश नृत्य तो गणेश, सरस्वती, कृष्ण आदि के बारे में ही होते हैं !

“आपकी जिम्मेदारी है हमारे मजहब के बारे में भी सिखाओ”

निहारिका अपने ट्वीट में लिखतीं हैं, नृत्य और पूजा के मामले पर तार्किक रूप से सोचने की बजाय दोनों बच्चों के अभिवावक माँग करने लगे कि, उनके मजहब से जुडी चीजें, जीसस से जुडे गाने भरतनाट्यम के रूप में सिखाए जाने चाहिए ! यही नहीं, इसे उन्होंने निहारिका की माँ (भरतनाट्यम शिक्षिका) की ‘जिम्मेदारी’ बताया और बखेडा करने लगे !

निहारिका लिखतीं हैं कि, हालाँकि, इस ईसाई दंपती को भरतनाट्यम में जो-जो चीजें आतीं हैं- श्लोक, आरती, देवी-देवताओं के गाने आदि, उन सभी से समस्या है और इसके बावजूद भी वे अपने बच्चों को भरतनाट्यम सिखाना चाहते हैं !

ईसाई भी विरोध में

जिन्हें लग रहा है कि, वह ईसाई दंपती गलत नहीं कर रहे हैं, उन्हें देखना चाहिए कि, कैसे बहुत से ईसाई धर्म के लोग भी सोशल मीडिया पर इस दंपती की बुराई और निहारिका की माँ का समर्थन कर रहे हैं ! अनीता लोबो के अनुसार, जब उन्होंने संगीत सीखना शुरू किया तो वे रोज भगवती सरस्वती की आरती करतीं थीं और उनके परिवार ने कभी भी इस पर आपत्ति नहीं की ! उन्होंने बताया कि, उनकी बहन भी भरतनाट्यम और कथक की प्रशिक्षित नृत्यांगना हैं !

स्त्रोत : ऑप इंडिया

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