हिन्दु राष्ट्र का उद्घोष कीर्तन के माध्यम से करने का कीर्तनकारों का निश्चय

हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से श्रीक्षेत्र आळंदी में कीर्तनकार सम्मेलन संपन्न

घोषणा देते हुए उपस्थित कीर्तनकार

श्री क्षेत्र आळंदी (जिल्हा पुणे) : कीर्तनकार-प्रचनकारों ने कीर्तनसेवा के माध्यम से हरिकथा के साथ राष्ट्र एवं धर्म पर आनेवाली  विपत्तियां तथा उनकी रक्षा के उपाय, साथ ही हिन्दुसंगठन के संदर्भ में प्रबोधन करने का निश्चय व्यक्त किया । साधारण रूप से प्रवचन-कथा के माध्यम से पौराणिक कथा बताकर लोगों को भक्तिमार्ग की ओर ले जाने की परंपरा है; किंतु सद्यस्थिती देखते हुए ब्राह्मतेज के साथ क्षात्रतेज का भी जागर करना आवश्यक है । इसी उद्देश्य से हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से गोपाळपुरा के देविदास धर्मशाला में १ मार्च के दिन एक दिवसीय कीर्तनकार सम्मेलन का आयोजन किया गया था । यवतमाळ, जालना से  कुछ महाराज इस सम्मेलन के लिए उपस्थित थे । अनावरण सत्र के पश्चात् किए गए प्रबोधन सत्र में हिन्दुभूषण ह.भ.प. श्याम महाराज राठोड, राष्ट्रीय वारकरी सेना के यवतमाळ जिल्हाध्यक्ष ह.भ.प. बाळू महाराज पाटिल, हिन्दु विधीज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने उपस्थितों को संबोधित किया ।

राष्ट्र-धर्म विषयक जागृति करना, यह कीर्तनकारों का कर्तव्य ही है ! – हिन्दुभूषण ह.भ.प. श्याम महाराज राठोड

हिन्दुभूषण श्याम महाराज राठोड ने बताया कि, ‘राष्ट्र एवं धर्म पर आनेवाली आपत्तियों के संदर्भ में तथा उनकी रक्षा के उपायों पर जागृति करना, कीर्तनकारों का कर्तव्य ही है । प्रवचन, कथा, भागवत उनके माध्यम हैं । संतों के कथनानुसार ‘धर्म का पालन करना ही पाखंडी खण्डन है ।’ अपितु यदि कीर्तन, प्रवचनों के माध्यम से समाज को मार्गदर्शन करना संभव नहीं है, तो वह खेदजनक बात है । दुर्जनों की दुर्जनता की अपेक्षा सज्जनों की निष्क्रीयता अधिक घातक स्वरूप की है । हिन्दु धर्म में भी कुछ ‘स्लीपर सेल्स प्रवृत्ति के लोग हैं, जो हिन्दु धर्म में विभाजन करने का प्रयास कर रहे हैं । उनसे दूर रहने की आवश्यकता है । जो विरोधक तथा समर्थक भी नहीं है, उनसे सावध रहें ।’ साथ ही महाराज ने यह प्रश्न भी उपस्थित किया कि, क्या यह अपराध है कि, प्रवचनों में राममंदिर के संदर्भ में वक्तव्य करना ?

कीर्तनों में हिन्दु धर्म के संदर्भ में प्रबोधन करने के पश्चात् ही कीर्तनकारों का प्रमाण सिद्ध होगा ! – ह.भ.प. बाळू महाराज पाटिल

साधुसंतों को संगठित होने की कालावधी अभी यह आया है । कीर्तन में केवल पौराणिक कथा कथन की करने की अपेक्षा धर्मरक्षा पर भी मार्गदर्शन करना आवश्यक है । उसके पश्चात् ही कीर्तनकारों का वास्तविक प्रमाण सिद्ध होगा ।

मंदिर सरकारीकरण के माध्यम से अर्पण पर आंख रखनेवालों से पूरीतरह से धनप्राप्त करेंगे ! – अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर

सरकारीकरण हुए पंढरपुर के श्री विठ्ठल रुक्मिणी देवस्थान, कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर तथा अन्य ३ सहस्र ६७ मंदिरों का कार्य संभालनेवाली पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति, मुंबई के श्री सिद्धीविनायक ट्रस्ट, साईमंदिर की व्यवस्था देखनेवाले शिर्डी देवस्थान ने देवस्थान का कार्य संभालते समय चरम सीमा का भ्रष्टाचार किया है । मंदिरों की व्यवस्था में सुधार लाने के नाम पर सरकार ने इन मंदिरों का सरकारीकरण किया; किंतु तत्पश्चात् अधिक गुना भ्रष्टाचार किया । देवनिधी पर आंख रखनेवालों की ओर से पूरीतरह से धनप्राप्ति करने के प्रयास हम कर रहे हैं । साथ ही कीर्तनकारों को भी यह सूचित करता हूं कि, ‘हिन्दु मंदिरों में किए गए इस भ्रष्टाचार को स्पष्ट कर समाज में जागृति करें ।

कीर्तनकार सम्मेलन की क्षणिकाएं

१. उद्बोधन सत्र के पश्चात् गुंटचर्चा का आयोजन किया गया । दो गुंटों में विभाजित महाराज मंडली ने ‘राष्ट्र-धर्म कार्य हेतु किस प्रकार योगदान दे सकते हैं’, इस विषय पर विचारविमर्श किया । उस समय प्रत्येक माह को धर्म पर आनेवाली आपत्तियों के विरोध में संगठित रूप से आंदोलन करने का निश्चित किया गया ।

२. हिन्दु धर्मविषयक जानकारी का खजाना अर्थात् हिन्दु जनजागृति समिति के संकेतस्थल की जानकारी उपस्थितों को ‘प्रोजेक्टर’ के माध्यम से दी गई ।

३. तत्पश्चात् शंकानिरसन तथा अनौपचारिक चर्चासत्र हुआ । उस समय अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर तथा श्री. सुनील घनवट ने उपस्थितों के प्रश्नों के उत्तर दिएं ।

४. पसायदान के पश्चात् कार्यक्रम समाप्त हुआ ।

कीर्तनकारों की उत्स्फूर्त प्रतिक्रियाएं

१. ह.भ.प. माऊली महाराज मुरेकर : हिन्दु धर्म के विरोध में अवश्य कृती करेंगे । हम यह सब धन के लिए नहीं करते । हमें राजनीति नहीं, तो समाजकारण तथा धर्मकारण करना है । जब राष्ट्र-धर्म का कार्य करना है, तब हमें कभी भी आमंत्रित करें । निश्चित हम उस में सम्मिलित रहेंगे ।

२. कारभारी साहेबराव अंभोरे, जालना : मद्यबंदी हो तथा गायरान भूमि पर किया गया अतिक्रमण हटाना है, इन सभी बातों के लिए आज तक मैंने १७ बार आंदोलन किएं हैं । राष्ट्र एवं धर्म पर आनेवाली आपत्तियों के विरोध में हम अधिकांश लोगों को संगठित कर सम्मिलित होंगें ।

कीर्तनकार सम्मेलन के लिए देविदास धर्मशाला के ह.भ.प. निरंजनशास्त्री कोठेकर महाराज ने उनकी धर्मशाला उपलब्ध की । समिति के अभियानों को निरंतर वे सहकार्य करते हैं । समिति की ओर से श्री. अशोक कुलकर्णी ने उनके आभार व्यक्त किए ।

विरोध की ओर अनदेखा कर समिति ने निरंतर कार्य करना चाहिए !- हिन्दुभूषण ह.भ.प. श्याम महाराज राठोड

गंगा का कार्य है बहना । गंगा का पानी कोई तीर्थ के रूप में प्राशन करता है, तो कोई उसी पानी में कपडे धोता है या कोई अन्य कार्य हेतु उपयोग करता है, इस बात से जिस प्रकार गंगा को कुछ भी लेन-देन नहीं है, उसी प्रकार विरोध की ओर अनदेखा कर अथवा उसके कारण रुकने की अपेक्षा गंगा की तरह अविरत रूप से राष्ट्र एवं धर्म का कार्य करना चाहिए ।

साथ ही महाराज ने प्रंशसोद्गार व्यक्त करते हुए बताया कि, ‘सनातन संस्था तथा हिन्दू जनजागृति समिति का कार्य रचनात्मक है । यदि धर्मशिक्षण प्राप्त कर धर्माचरण किया, तो किसी की नजर बुराई की ओर नहीं बढेगी तथा कट्टर देशप्रेमी युवक निर्माण होंगे ।’

बुद्धिभेद के प्रयासों का शिकार होने की अपेक्षा विरोधकों को प्रतिप्रश्न करें ! – अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर

शंकानिरसन सत्र में मार्गदर्शन करते समय अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने बताया कि, ‘‘क्यों थी श्रीकृष्ण को १६ सहस्र स्त्रियां ?, श्रीराम ने सीतामाता को अग्निदिव्य करने के लिए क्यों विवश किया ?, शिवपिंडी पर दुध का अभिषेक कर दूध को फेंका क्यों जाता है ?, साम्यवादियों द्वारा इस प्रकार के प्रश्न पूछकर हिन्दुओं का बुद्धिभेद करने के प्रयास किए जा रहे हैं; किंतु इस बुद्धिभेद का शिकार होने की अपेक्षा हिन्दुओं को हिन्दु धर्म का अभ्यास कर प्रतिप्रश्न पूछकर उन्हें निरूत्तर करना चाहिए । ‘रशिया ने साम्यवाद का स्वीकार करने के पश्चात् भी उसे क्यों फेंक दिया ? नक्सलवादी पुलिस आदिवासियों की हत्या क्यों कर रहे हैं ? पहले इस संदर्भ में विचारविमर्श करेंगे । इस प्रकार के प्रतिप्रश्न पूछने चाहिए । हिन्दुओं को एक कदम पीछे हटने की अपेक्षा धर्म का अभ्यास कर हिन्दुओं के विरोधकों का सामना करना चाहिए ।’’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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