फ्रांस के दंपति ने भगवान शिव की नगरी काशी में अपनाया हिन्दू धर्म

काशी में मैथियास बने परमानंद और डेनियला बनी आनंदमयी

भगवान शिव की नगरी काशी में फ्रांस के एक जोडे ने शिव शक्ति मंत्र की दीक्षा प्राप्त की। इसके बाद दोनों ने अपने नाम बदल लिए। वाग्योग चेतना पीठम में पद्मश्री भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी ‘वागीश शास्त्री’ से शिव शक्ति मंत्र की दीक्षा प्राप्त कर फ्रांस के रहने वाले पेशे से डिजाइनर मेथियस और उनकी पत्नी डेनियला ने हिंदू धर्म अपनाया। दीक्षा प्राप्त करने के बाद उनका नाम और गोत्र परिवर्तित हुआ। मैथियास परमानंद नाथ और आनंदमयी मां बन गईं।

डेनियला ने बताया कि वे कुंडलिनी साधना के बाद बहुत ऊर्जा महसूस कर रही थी तब उन्होंने और उनके पति ने शिव शक्ति मंत्र की दीक्षा लेने की इच्छा गुरुदेव से प्रकट की। उन्होने बताया कि इस दीक्षा को ग्रहण करने के बाद वह खुद को बहुत ज्यादा ऊर्जावान महसूस कर रही हैं। ईश्वर की साधना कर इस मंत्र का जाप करेगी जिससे उनका और विश्व का कल्याण हो और विश्व में शांति हो।

गुरुदेव वागीश शास्त्री ने बताया कि शिव शक्ति मंत्र की साधना प्रसुप्त शक्ति को जागृत करती है और मस्तिष्क विचारों से भर जाता है इससे व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है और नए-नए विचार आते हैं। जो साधक शिव शक्ति मंत्र दीक्षा लेने के बाद निश्चित संख्या में जप करते हैं और उसका दशांश हवन करते हैं उनको वांछित फल की प्राप्ति हो सकती है।

विश्व से लोग अध्यात्म, योग और तंत्र की साधना प्राप्त करने मेरे पास वर्षों से आते हैं और कुंडलिनी साधना में व्यक्ति अपने चक्रों को जागृत करता है। शिव शक्ति मंत्र साधना से साधक अपने इष्ट को प्रसन्न करता है और वांछित फल प्राप्त कर सकता है।

वागीश शास्त्री ने यह भी बताया कि परंतु बिना गुरु के दीक्षा के किसी भी मंत्र का प्रभाव नहीं मिलता है। आजकल व्यक्ति बिना गुरु के निर्देशन में कुंडलिनी साधना करते हैं वह उनके लिए उपयुक्त नहीं है और बिना गुरु के निर्देशन में साधना करना उनके लिए घातक हो सकता है। सभी व्यक्तियों को किसी सिद्ध गुरु के निर्देशन में ही कुंडलिनी साधना करनी चाहिए।

संस्था के सचिव ने बताया कि गुरुदेव किसी भी व्यक्ति के कुंडलिनी चक्र को शक्तिपात के द्वारा १० दिनों की प्रक्रिया से जागृत कर सकते हैं। वाग्योग चेतना पीठम् संस्था की स्थापना १९८३ में की गई थी तब से लगभग १०००० विदेशी हिन्दू धर्म पर आधारित मंत्र दीक्षा ग्रहण कर चुके हैं। २५००० से अधिक साधक कुण्डलिनी जागरण साधना कार्यक्रम में सम्मिलित हो कर अपनी कुण्डलिनी शक्ति जागृत करा चुके हैं !

स्त्रोत : अमर उजाला

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