दुष्प्रवृत्तियों के विरोध में सभी ने डटकर सामना करने की आवश्यकता ! – श्री. दिवाकर भट, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट

तल्लुरू (कर्नाटक) में हिन्दू धर्मजागृति सभा !

व्यासपीठ पर बाईं ओर से दीपप्रज्वलन करती हुई श्रीमती विदुला हळदीपुर, श्री. मोहन गौडा एवं श्री. दिवाकर भट

तल्लुरू (कर्नाटक) : हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से श्रीमहादेवी कुंतीअम्मा देवस्थान के प्रांगण में आयोजित की गई हिन्दू धर्मजागृति सभा को भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के श्री. दिवाकर भट संबोधित कर रहे थे। इस समय उन्होंने ऐसा प्रतिपादित किया कि, ‘मनुष्य ने कैसे जीना चाहिए, यह धर्म हमें सीखाता है। संस्कृति एवं धर्माचरण के संदर्भ में आज भी भारत विश्व में अत्त्युच्च स्थान पर है, किंतु आज हमारे हर आचरण में अवैज्ञानिक परिवर्तन हो रहे हैं ! दुष्प्रवृत्तियां हमारी दैनंदिन हर कृती में प्रवेश कर रहीं है ! अतः उसका विरोध करने हेतु हम सभी को लडना आवश्यक है !’ उस समय सनातन संस्था की श्रीमती विदुला हळदीपुर एवं समिति के श्री. मोहन गौडा व्यासपिठ पर उपस्थित थे।

श्री. भट ने आगे कहा कि, ‘मनुस्मृति में कहीं भी जाति का उल्लेख नहीं है। केवल वर्ण का उल्लेख है। धर्मनिरपेक्ष कहलानेवाली हमारे देश की सरकारी व्यवस्था के कारण ही जातिय आधार पर करोडों रुपएं का भ्रष्टाचार हो रहा है। उसके लिए हमें इस बात का आग्रह करना चाहिए कि, ‘कहीं भी आवेदन में जाति का उल्लेख ही न हों !’

धर्म रहा, तो ही राष्ट्र रहेगा ! – श्रीमती विदुला हळदीपुर

‘धर्माचरण एवं धर्मरक्षक’ इस विषय पर मार्गदर्शन करते समय सनातन संस्था की श्रीमती विदुला हळदीपुर ने कहा कि, ‘वर्ष १८५७ में ब्रिटीशों ने इंडियन आमर्स अ‍ॅक्टद्वारा हमारे हाथों से हमारे शस्त्र छीन लिए ! १९२० में गांधी ने हमारे मन से ही शस्त्र निकाल दिए ! तत्पश्चात आज तक, धर्म ही आत्मा होनेवाले हम बहुसंख्यक हिन्दुओं पर निरंतर लव जिहाद, धर्मांतरण जैसे विविध माध्यमों से आक्रमणं हो रहें हैं ! यदि धर्म रहा, तो ही राष्ट्र रह पाएगा। उसके लिए हम सभी को धर्मशिक्षा प्राप्त कर धर्माभिमान वृद्धिंगत करना एवं अन्यों को उसके लिए उद्युक्त करना नितांत आवश्यक है !

हिन्दुओं को सम्मानपूर्वक जीने के लिए हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए ! – श्री. मोहन गौडा

‘हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता’ इस विषय पर मार्गदर्शन करते हुए श्री. मोहन गौडा ने कहा कि, ‘वर्ष १९४७ में केवल २४ प्रतिशत लोगों के लिए पाकिस्तान का निर्माण किया गया; किंतु ७६ प्रतिशत बहुसंख्यंक रहे हिन्दुओं को हिन्दू राष्ट्र नहीं प्राप्त हुआ !

आज सरकारीकरण हुए अनेक मंदिरों के अनेक कार्यक्रम अन्य पंथियों के नेतृत्व में होते हैं। वहां अन्य पंथीय कार्य करते हैं। भक्तोंद्वारा इन मंदिरों में श्रद्धापूर्वक अर्पित धन की २५ प्रतिशत रक्कम सरकारद्वारा मंदिरों पर, तो शेष ७५ प्रतिशत रक्कम अन्य कार्य हेतु उपयोग में लाई जाती हैं। आजतक र्इश्वर-धर्म के संदर्भ में अंधश्रद्धा की एक भी याचिका किसी भी पुलिस थाने मे प्रविष्ट नहीं हुई; फिर भी कर्नाटक सरकार ने अंधश्रद्धा निर्मूलन अधिनियम पारित किया ! हिन्दुओं के धार्मिक आचरण हेतु बनाया गया यह अधिनियम क्या अन्य पंथियों के लिए भी लागू किया जाएगा ?

एक प्रकार से यह हिन्दुओं पर दबाव डालने का ही षडयंत्र है ! इस स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु साथ ही हिन्दुओं को सम्मानपूर्वक जीना संभव हो, इसलिए समस्त हिन्दुओं ने संगठित होकर हिन्दू राष्ट्र की मांग करनी ही होगी !

सभा का प्रारंभ शंखनाद एवं वेदमंत्रपठण से किया गया। तत्पश्चात समिति के श्री. विजयकुमार ने समिति के कार्य का परिचय करवाया। इस सभा के लिए ३०० से भी अधिक धर्मप्रेमी उपस्थित थे।

क्षणिकाएं

१. स्थानीय हिन्दू संघटनों के सदस्य बडे भगवे ध्वज हाथ में लेकर गुटों-गुटों से सभास्थान पर आ रहे थे !

२. एक स्थानीय ग्रामपंचायत सदस्या निरंतर ३ दिन प्रसारसेवा में सम्मिलित हुई थी। सेवा के संदर्भ में उन्होंने कहा कि, ‘उन्हें अनेक सूत्र सीखने को मिलें !’

३. एक स्थानीय धर्मप्रेमी भी सभा की सेवा में सम्मिलित हुए थे !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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