जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) की एक रिसर्च में सामने आया है कि संस्कार और भजन-कीर्तन के जरिए डिप्रेशन को दूर किया जा सकता है। स्टडी में कहा गया कि दिमागी बीमारी को दूर करने में ये उपाय दवाइयों से ज्यादा कारगर हैं। यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर स्टडी संस्कृत ने यह दावा किया है।
सेंटर के प्रफेसर सुधीर कुमार ने कहा, ‘जिन लोगों को बचपन में नैतिक मूल्य व संस्कार दिए जाते हैं, उन्हें आगे चलकर तनाव और डिप्रेशन की समस्या कम होती है। योग भी इस मामले में कारगर सिद्ध होता है।’
रिसर्च में यह भी कहा गया कि न्यूक्लियर फैमिली और परिवार में एक ही बच्चा होने जैसी परिस्थितियां भी युवाओं में तनाव का कारण बन रही हैं। इन समस्याओं के लिए उपलब्ध मेडिसिन केवल शारीरिक समस्याओं का इलाज कर सकती हैं, लेकिन मानसिक समस्याओं का नहीं।
यह वार्ता पढकर कुछ सूत्र ध्यान में आते है, जैसे कि :
१. रिसर्च में बतार्इ गर्इ बाते पूर्णत: सत्य ही है, क्योंकि यदि हम आज के समय में आत्महत्या, अनैतिकता का बढता आलेख देखते है, तो हमें ध्यान में आता है कि यह प्रमाण प्राचीन भारत में अत्यल्प था । इसका कारण है कि उस समय भारत में सभी को धर्मशिक्षा मिलती थी, जिस कारण सभी पर सुसंस्कार होते थे आैर इसी कारण व्यक्ति जीवन में आनेवाले संकटों से सामना कर सकते थे ।
२. आज कल कुछ तथाकथित विचारवंत हिन्दू धर्म के सिद्धातों को कालबाह्य कहते है, परंतु अब इस रिसर्च से हिन्दू धर्म तथा धर्मशिक्षा का महत्त्व एक बार फिर सामने आ चुका है ।
हिन्दू जनजागृति समिति की वेबसार्इट पर धर्मशिक्षा की जानकारी देखने हेतु आगे दिए गए लिंक पर क्लिक करे : https://www.hindujagruti.org/hindi/hinduism
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