सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करनेवाले धर्मांतरण की दुकान पर १० साल बाद लगा ताला

मध्य प्रदेश : News18 में छपे समाचार के अनुसार, ईसाई समुदाय ने आदिवासियों के लिए आरक्षित सरकारी पट्टे की ज़मीन पर कब्जा कर उसपर पक्के भवन का निर्माण कर दिया गया, फिर वहाँ से विशेष प्रार्थना के नाम पर धर्मांतरण का कार्य चलाया जाने लगा । सर्वाधिक धर्मांतरण वाले क्षेत्रों पर नजर डालें तो मोहनपुर, खेरीखता, उरईखता, दिरौली, बगोनिया, महोदरा, बिलौदा समेत लगभग ऐसे दर्जन भर गाँव हैं जहां धर्मांतरण के बाद २०० से ४०० परिवार प्रभावित हुए हैं ।

धर्मांतरण के बात को बढते देख कुछ धार्मिक संगठनों ने इसका विरोध शुरू किया, कई आदिवासी भी धर्मांतरण के विरोध में खडे हुए । इसके बाद एक कानूनी लड़ाई शुरु हुर्इ । इसपर १० वर्ष बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए न केवल इस संस्थान को सील कर दिया बल्कि मोहनपुर गाँव में स्थित २ गिरिजाघरों पर भी तालाबंदी करवा दी ।

ज़मीनी हकीकत का जायज़ा लिया तो पता चलता है कि, धर्मांतरण के लिए आदिवासी समुदाय के लोगों को किस कदर बहलाया फुसलाया जाता है । धर्मांतरण में अंधविश्वास बडा खेल है जिसकी शिकार, हिन्दू धर्म से ईसाई धर्म अपनानेवाली आदिवासी महिला इरु बाई ने बताया कि, कुछ समय पहले उसकी बेटी बहुत बीमार थी, परंतु र्इसार्इ धर्म अपनाने के बाद उनकी बेटी की तबियत में सुधार हो गया । वहीं धर्मांतरित हुए कुछ अन्य लोगों ने बताया कि, ईसाई धर्म अपनाने से बंद पडे वाहन भी चालू हो जाते हैं ।

कुछ इस तरह की बातों से वनवासियों को बहलाकर बडे स्तर पर धर्मांतरण का कार्य जारी है, जिसके विरोध में प्रशासन ने १० साल बाद सख्त कदम उठाते हुए संस्था पर तालाबंदी कर दी है । धर्मांतरण के विरोध में लंबी लडाई लड चुके धर्म जाग्रति संगठन के कार्यकर्ताआें ने बताया कि, प्रशासन की इस पहल से धर्मांतरण पर कुछ हद तक रोक लगेगी ।

यह वार्ता पढकर कुछ सूत्र ध्यान में आए जिनपर हिन्दूआें ने विचार करने की आवश्यकता है :

१. सरकारी जमिन पर अवैध कब्जा करनेवालों पर १० साल में प्रशासन ने कारवार्इ क्यों नही की ? २०१२ तथा २०१३ में भोजशाला में बसंत पंचमी के दिन मुसलमानाें को नमाज पढने का विरोध करनेवाले हिन्दु संगठनाआें पर पुलिस या प्रशासन ने जिस तत्परता से कारवार्इ की थी, उस तरह यहां पर तत्परता क्यों नही दिखार्इ गर्इ ?

२. सरकारी जमिन पर कब्जा कर अवैध रुप से पक्के भवन का निर्माण करके लोगों को फंसाना क्या यही र्इसार्इयों की मानवता है ? आदिवासी लोगों की गरीबी का फायदा उठाकर उनका धर्मपरीवर्तन करना, उनमें अंधविश्वास फैलाना यह क्या यही मिशनरियों की मानवता का धर्म है ? नफरत फैलाने की बात करनेवाले कैथोलिक बिशप्स काउंसिल ऑफ इंडिया इस घटना पर क्या कहेगी ?

३. कुछ दिन पहले धर्मांतरण की घटनाएं रोकने हेतु झारखण्ड सरकार ने धर्मांतरण विरोधी बिल पास किया था । इसका र्इसार्इयोंद्वारा विरोध किया गया था । र्इसार्इयों के विरोध करने का अर्थ स्पष्ट है कि, उनके धर्मांतरण के कार्य को लगाम लगेगा ।

४. मध्य प्रदेश के हिन्दुआे ने जिस प्रकार संगठित होकर मिशनरियों के विरोध में लडार्इ लडकर हिन्दु धर्म की रक्षा की है, वैसे ही सभी हिन्दुआें ने संगठित होना आवश्यक है ।

धर्मांतरण का विरोध करने के लिए आप क्या कर सकते है ?

१. अपने शहर / गांव में यदि कोर्इ मिशनरी संस्था हिन्दुआेंको लालच देकर उन्हें धर्म-परिवर्तन करने के लिए कह रही हो, तो उसकी शिकायत तुरंत पुलिस में करें !

२. अपने क्षेत्र में सभी हिन्दूआें को र्इसार्इयोंद्वारा हो रहे धर्मांतरण के विषयमें जागृत करें ।

३. साथ ही कोर्इ भी हिन्दू धर्मांतरण की बलि ना चढें, इसके लिए प्रत्येक हिन्दू धर्मशिक्षा लें । इस विषय में विस्तृत लेख आप यहां पढ सकते है आैर उसे अपने मित्र-परिवार को शेअर भी कर सकते है : https://www.hindujagruti.org

४. हिन्दू जनजागृती समिति की आेर से धर्म परिवर्तन के विषय में जागृति करने हेतु कुछ ग्रंथ प्रकाशित किए गए है । आप स्वयं इन्हें खरीद सकते है तथा अन्यों को भी यह ग्रंथ पढने हेतु बता सकते है ।

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