दूरचित्रप्रणाल एवं जालस्थलके माध्यमसे ‘रूपा थर्मोकोट’के आपत्तिजनक विज्ञापनका प्रसारण बंद

अद्यतन


माघ कृष्ण ३, कलियुग वर्ष ५११४

 

दूरचित्रप्रणाल एवं जालस्थलके माध्यमसे ‘रूपा थर्मोकोट’के आपत्तिजनक विज्ञापनका प्रसारण बंद

 


मुंबई (महाराष्ट्र) – ऊनी वस्त्रोंका निर्माण करनेवाले ‘रूपा थर्मोकोट’ प्रतिष्ठानके विज्ञापनमें हिंदु देवता, धर्मग्रंथ एवं यज्ञविधियोंका अनादर किया गया था । इस अनादरपर तीव्र आपत्ति उठाते हुए हिंदू जनजागृति समितिके मुंबई, ठाणे एवं रायगढ जनपदके समन्वयक श्री. शिवाजी वटकरने कोलकाताके ‘रूपा एंड कंपनी लिमिटेड’ प्रतिष्ठानको २२ दिसंबरको पत्र भेजकर विज्ञापन हटानेकी मांग की थी । समितिके तीव्र विरोधके कारण ‘रूपा प्रतिष्ठान’ने यह विज्ञापन ३१ दिसंबरसे विविध दूरचित्रप्रणालोंपर प्रसारित करना बंद करनेका आश्वासन दिया था । उसके अनुसार विज्ञापनका प्रसारण बंद किया गया ।

१. ‘रूपा प्रतिष्ठान’ने वेदमंत्रोंके पार्श्वसंगीतपर द्विअर्थी अश्लील विज्ञापन बनाया था । उसीप्रकार इस विज्ञापनमें ‘स्वाहा:’ शब्दका भी अयोग्य पद्धतिसे उपयोग किया गया था ।

२. हिंदुधर्ममें यज्ञयाग इत्यादिका सम्मान किया जाता है । ‘स्वाहा:’ अग्निदेवकी पत्नीका नाम है । फिर भी इस अश्लील विज्ञापनमें मंत्रोच्चारका उपयोग करनेके कारण करोडो हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंको आहत किया जा रहा था । इसलिए समितिद्वारा प्रतिष्ठानसे पत्रद्वारा मांग की गई थी कि यह विज्ञापन तत्काल हटाया जाए ।

३. समितिके जालस्थलपर भी इसके विरोधमें अभियान प्रारंभ किया गया था ।

४. अमेरिकाके हिंदू नेता श्री. राजन जेदने भी इस विज्ञापनका विरोध किया था, जिसके कारण दूरचित्रप्रणालोंपर यह विज्ञापन बंद किया गया था; परंतु जालस्थलपर इसका प्रसारण जारी ही था ।

५. इस पृष्ठभूमिपर समितिद्वारा प्रतिष्ठानके सचिवसे अनेक बार पत्रव्यवहार किया गया । तत्पश्चात समितिके श्री. सतीश कोचरेकरने ‘रूपा प्रतिष्ठान’ के सचिवसे दूरभाषद्वारा संपर्क किया एवं जालस्थलसे विज्ञापन हटानेकी मांग की ।

६. इसपर अधिकारियोंने ‘हम विज्ञापन हटा रहे हैं । हमें हमारी चूक ध्यानमें आई है’, ऐसा कहकर विज्ञापन बंद करनेके संदर्भमें सूचित किया । उसके अनुसार जानकारी मिली है कि यह विज्ञापन २८ जनवरीसे ‘रूपा’ प्रतिष्ठानके जालस्थलसे हटाया गया है ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात 


पौष कृ. २, कलियुग वर्ष ५११४

 

‘रूपा थर्मोकोट'के विज्ञापनद्वारा देवता, धर्मग्रंथ एवं यज्ञविधियोंका अनादर

 

 

हिंदू जनजागृति समितिके तीव्र विरोधके कारण प्रतिष्ठानद्वारा विज्ञापन हटानेका आश्वासन

मुंबई (महाराष्ट्र), २९ दिसंबर (समाचारसंस्था) – ‘रूपा थर्मोकोट'के प्रतिष्ठानने विज्ञापनमें हिंदू देवता, धर्मग्रंथ एवं यज्ञविधियोंका उपयोग कर करोडों हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंको आहत किया है । इसलिए हिंदू जनजागृति समितिने इस विषयमें प्रतिष्ठानको पत्र भेजकर एवं भ्रमणभाषद्वारा संपर्क कर विज्ञापन हटाने हेतु सूचित किया । इसपर प्रतिष्ठानने  विज्ञापन हटानेका आश्वासन तो दिया है; परंतु लिखितरूपमें देना टाल दिया है । ( हिंदू सहिष्णु होनेके कारण ही प्रतिष्ठानोंद्वारा हिंदुओंके आस्थास्थानोंका इस प्रकार अनादर किया जाता है । क्या इस प्रकार मुसलमानोंके श्रद्धास्थानोंका अनादर करनेका साहस इस प्रतिष्ठानद्वारा किया गया होता ? हिंदुओ, यह आप कितने समयतक सहेंगे ? वैधानिक मार्गसे इस प्रतिष्ठानको यह विज्ञापन हटाने हेतु बाध्य करें ! – संपादक )

धर्माभिमानी हिंदू नीचे दिए क्रमांकपर संपर्क कर विरोधकी प्रविष्टि कर रहे हैं ।

सचिव एवं परिवाद निवारण अधिकारी

रूपा एंड कंपनी लि. मेट्रो टॉवर, आठवीं मंजिल, कोलकाता ७०० ०७१.

दूरभाष : ९१ ३३ ३०५७ ३१००  फैक्स : ९१ ३३ २२८८ १३६२

ई-मेल : [email protected]


'रूपा थर्मोकोट'के विज्ञापनमें अश्लील दृश्योंके पार्श्वमें यज्ञके स्वर सुनाई देते हैं । इस विज्ञापनमें यज्ञविधिमें बोले जानेवाले शब्द 'स्वाहाः'का उल्लेख किया गया है । इस संदर्भमें हिंदू जनजागृति समितिके श्री. सतीश कोचरेकरद्वारा कोलकाताके 'रूपा एंड कंपनी लिमिटेड' प्रतिष्ठानको पत्र भेजकर वहांके अधिकारियोंसे विज्ञापनद्वारा किया जानेवाला अनादर तत्काल रोकनेकी मांग की गई । 'हिंदूधर्ममें यज्ञयाग आदि प्रथाओंका सम्मान किया जाता है । 'स्वाहाः' अग्निदेवकी पत्नीका नाम है तथा यज्ञ त्यागका प्रतीक है । फिर भी अश्लीलताका प्रसार करनेवाले इस विज्ञापनमें मंत्रोच्चारका उपयोग कर प्रतिष्ठाननेकरोडों हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंको आहत किया है । इसलिए उन्होंने इस प्रतिष्ठानको पत्रद्वारा विविध दूरचित्रप्रणाल एवं यू-ट्यूब इत्यादि जालस्थानसे यह विज्ञापन तत्काल हटानेका आवाहन किया है तथा समितिके जालस्थानपर भी इसके विरोधमें अभियान आरंभ किया है । तदुपरांत समितिके मुंबई, ठाणे एवं रायगढ जनपदके समन्वयक श्री. शिवाजी वटकरने 'रूपा' प्रतिष्ठानके सचिव एवं परिवाद निवारण अधिकारीको दूरभाषसे संपर्क कर उपरोक्त उपहासके संदर्भमें निषेध अंकित किया एवं लिखितरूपसे क्षमायाचना करनेकी मांग की । उस समय इन अधिकारियोंने ३१ दिसंबरसे यह विज्ञापन हटानेका आश्वासन दिया; परंतु उस विषयमें लिखित आश्वासन देनेमें टालमटोल की । इसलिए इस प्रतिष्ठानद्वारा अनादर तथा हिंदुओंकी धार्मिक भावनाएं आहत होनेकी संभावना बनी रहेगी । श्री. वटकरद्वारा स्पष्ट रूपसे कहा कि जबतक लिखितरूपसे क्षमायाचना नहीं मांगी जाती यह आंदोलन जारी ही रहेगा ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात 

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