मोदी और अमित शाह ने कभी मुझसे अयोध्या मंदिर पर चर्चा नहीं की : जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती


जयपुर – जगन्नाथपुरी मठ के शंकराचार्य जगदगुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि, सत्य और न्याय दोनों को सहिष्णु होना चाहिए। असत्य, अत्याचार और अन्याय असहिष्णु हैं। संवाद के माध्यम से असहिष्णु को सहिष्णु बनाया जा सकता है। इसके लिए सरकार और समाज में दम होना चाहिए। मुझे नरसिम्हा राव के कुचक्र का सामना करना पड़ा था । अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि, इसे यथा स्थान पर ही बनना ही चाहिए। इसी में पूरे विश्व का उत्थान है। चाहे नरसिम्हा राव की सरकार थी या फिर अटल बिहारी वाजपेयी की, मंदिर निर्माण के बारे में दोनों ने उनसे संपर्क किया।

अयोध्या में ढांचा विद्यमान रहने के दो साल पहले तक शासन तंत्र ने उनसे संपर्क किया था। नरसिम्हा राव ने रामलला ट्रस्ट पर हस्ताक्षर करवाने पर एक दूत जगन्नाथपुरी भेजा था, जबकि बाकी पीठों के शंकराचार्य दिल्ली में मौजूद थे। नरसिम्हा राव ने उन्हें चुनौती दी थी कि, मंदिर और मजिस्द बनाने की सहमति पर हस्ताक्षर कर दें। ऐसा करने पर आपके मठ को सोने और चांदी से भर देंगे। हस्ताक्षर नहीं करने पर पद, प्राण और प्रतिष्ठा नष्ट कर देंगे। जब उन्होंने ऐसा नहीं किया तो मुझे पूर्व प्रधानमंत्री के कुचक्र का सामना करना पड़ा। राममंदिर बनाने के लिए वल्लभ भाई पटेल जैसे मनोबल की आवश्यकता है, जो आज शासन तंत्र में नहीं है। वल्लभ भाई ने बिना गाली और गोली के सोमनाथ मंदिर बनवा दिया था, जबकि वहां १०० मुस्लिम परिवारों की जनसंख्या थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कभी गलती नहीं करने का आशीर्वाद मांगा

लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने जगन्नाथपुरी में उनसे ४५ मिनट भेट की थी। कक्ष में उस समय नरेंद्र मोदी के साथ राजस्थान के एक भाजपाई नेता साथ थे। मोदी ने एक ही आशीर्वाद मांगा, जीवन में उनसे कम से कम गलतियां हो। मोदी के इस वाक्य का उत्तर देते हुए मैंने कहा कि, जीवन में वे कोई गलती न करें, एेसा क्यों नहीं बोलते? मोदी का उत्तर था, कोई भूल मुझसे नहीं हो पाए, यह संभव नहीं।

उन्होंने श्रीराम मंदिर और गौरक्षा पर चर्चा नहीं की। भाजपा सरकार के छह महीने पूरे होने पर अमित शाह ने उनसे ७५ मिनट की भेट में २० मिनट तक भाजपा की उपलब्धियों पर भाव व्यक्त किए। बाकी ५५ मिनट तक शासन के स्वरूप पर चर्चा की। राम-मंदिर पर कभी चर्चा नहीं हुई।

स्त्रोत : दैनिक भास्कर

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