हिन्दू होकर भी धर्माचरण न करना, सबसे बडा दुर्भाग्य – ह.भ.प. दशरथ महाराज भोपतकर, कोंकण प्रांत धर्माचारी, विश्‍व हिन्दू परिषद

मुंबई, ठाणे और रायगढ के हिन्दू प्रांतीय अधिवेशन का दूसरा दिन !

ह.भ.प. दशरथ महाराज भोपतकर

उल्हासनगर – सनातन संस्था हिन्दू धर्म का कार्य करती है । इसलिए सनातन जब बुलाएगी, तब उनकी सहायता के लिए उपस्थित रहूंगा । आज हिन्दू धर्मपर भारी मात्रा में प्रहार हो रहे हैं । हम भी किर्तन, प्रवचनद्वारा धर्मशिक्षा का महत्त्व समझाते हैं । कोई हिन्दू ही धर्माचरण नहीं कर रहा हो, तो यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात है । केवल उपर से अच्छा होकर नहीं चलेगा, किंतु देह भीतर से शुद्ध होनी चाहिए, ऐसा प्रतिपादन विश्‍व हिन्दू परिषद के कोंकण प्रांत के धर्माचारी ह. भ. प. दशरथ महाराज भोपतकर ने किया । यहां संपन्न प्रांतीय अधिवेशन के दूसरे दिन वे ‘धर्माचरण और साधना से होनेवाले लाभ’ इस सत्र में बाल रहे थे । इस समय हुए अन्य मान्यवरों के भाषण यहां दे रहे है ।

उद्बोधन सत्र १ –  धर्माचरण और साधना से होनेवाले लाभ

…तो आनेवाली पीढी धर्महानि रोकने के लिए कटिबद्ध होगी ! – अधिवक्ता श्री. जयेश तिखे, हिन्दू महासभा

धर्मांधो को धर्मशिक्षा दी गई, किंतु हिन्दुआें के संदर्भ में ऐसा नहीं हुआ । इसलिए प्रत्येक हिन्दू को धर्मशिक्षा लेकर वैसा कृत्य करना चाहिए । ऐसा होगा, तभी आनेवाली पीढी धर्महानि रोकने के लिए कटिबद्ध होगी ।

हिन्दुआें को धर्माचरण कर और ईश्‍वर के प्रति श्रद्धा रखकर धर्मपर होनेवाले प्रहार रोकने के लिए आगे आना चाहिए ! – अधिवक्ता नवीन चोमल, सर्वोच्च न्यायालय

पूर्वकाल में हिरण्यकशिपु, रावण, कंस आदि प्रवृत्तियां थी, वैसी ही प्रवृत्तियां आज बढ रही हैं । हममें से प्रत्येक को भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मकार्य के लिए चुना है । हमें धर्माचरण कर और ईश्‍वर के प्रति श्रद्ध रख धर्मपर होनेवाले प्रहार रोकने के लिए आगे आना चाहिए ।

क्षणिका – इस सत्र में चेंबुर, मुंबई के हिन्दुत्ववादी श्री. विजय सरगर और नालासोपारा, मुंबई के श्री. प्रशांत वैती ने धर्मशिक्षावर्ग में जाने के उपरांत उनके व्यक्तिगत जीवन में हुए परिवर्तन बताए ।

उद्बोधन सत्र २ – धर्मरक्षा के कार्य में आनेवाली वैचारिक, संगठनात्मक, संवैधानिक अडचनें और उनपर उपाय

हिन्दू धर्मपर हो रहे प्रहार रोकने के लिए एकत्रित कार्य करें ! – अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर, हिन्दू विधिज्ञ परिषद

विविध संगठनोंद्वारा एकत्रित होकर हिन्दू धर्मपर हो रहे प्रहारों को रोकने का कार्य यदि किया जाएगा, तो वह अधिक प्रभावशाली होगा । संगठनों के रूप विविध होनेपर भी उनकी आत्मा एक, अर्थात हिन्दू राष्ट्र ही है । इसलिए एकत्रित आकर कार्य करना होगा ।

हिन्दू धर्म के विरोध में रचे जा रहे षड्यंत्र को निष्प्रभ करने के लिए हिन्दुआें का दृढता से समर्थन करें ! – श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

दक्षिण भारत में स्वामी नित्यानंद को अपकीर्त करने के लिए संगणकपर ध्वनिचक्रिका बनाई गई थी । यह बात न्यायालय में प्रमाणित हुई । इसपर न्यायालय ने स्टार विजय वृत्तवाहिनी को सात दिनों में स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए । कांची कामकोटी पीठ के शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वतीपर हत्या का झूठा आरोप कर उन्हें दीपावली में बंदी बनाया गया । पूर्वी भारत में धर्मरक्षा का कार्य करनेवाले स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की ईसाई आतंकवादियों ने १६ गोलियां चलाकर हत्या की । पूज्यपाद संतश्री आशारामबापू के विरोध में आरोप लगाकर उन्हें बंदी बनाया गया है । प्रत्यक्ष में उनके विरोध में कोई प्रमाण नहीं हैं । हिन्दू ऐसे षड्यंत्रों के बली न हों । अपराध सिद्ध होकर फांसी से दंडित देशद्रोही याकुब मेमन और इनकाऊंटर में मृत हुए आतंकवादी कासिम की अंत्ययात्रा में २० सहस्र मुसलमान लोग यदि उपस्थित रहते होंगे, तो हमें हिन्दू बनकर हिन्दुआें का समर्थन करना चाहिए । कोई कितने भी आरोप करें, हम हिन्दुआें से दूर नहीं जाएंगे, यह आचरण से दिखाना चाहिए; क्योंकि यह हिन्दुआें को विभाजित करने का षड्यंत्र है ।

उद्बोधन सत्र ३ – वर्तमान पत्रकारिता

हिन्दुत्ववादी यदि प्रसारमाध्यमों से निकटता और संपर्क बनाए रखेंगे, तो वे लाभान्वित होंगे ! – श्री. उन्मेष गुजराती, संपादक, मुंबई मित्र

कहा जाता है कि वर्तमान प्रसारमाध्यम धर्मनिरपेक्ष हैं । इसलिए हिन्दुआें को अपनी अभ्यासपूर्ण और ठोस भूमिका प्रसारमाध्यमों में प्रस्तुत करनी चाहिए । समीर गायकवाड प्रकरण में हममें से कितने लोगों ने समाचारपत्रिकाआें को अभ्यासपूर्ण पत्र भेजकर प्रतिवाद किया ? केवल प्रसारमाध्यम हिन्दूविरोधी हैं, ऐसा कहने से काम नहीं चलेगा । इसकी अपेक्षा उनसे निकटता, मित्रता और संपर्क बढाना चाहिए । माध्यमों का अध्ययन कर उन्हें स्वीकार होगा, समझ में आएगा, इस प्रकार हिन्दुआें को अपनी भूमिका प्रस्तुत करनी चाहिए ।

पहले मैं एक समाचारपत्रिका में काम करता था । उस समय मेरे साथ का एक मुसलमान पत्रकार लगातार हिन्दूविरोधी समाचार लगाता था । हिन्दुआें का पक्ष समाज के सामने न आए, इसकी वह सावधानी बरतता था । इसी प्रकार अपनी विचारधारा के पत्रकारों को प्रसारमाध्यमों में भेजना चाहिए , तो ही वे हिन्दुआें का पक्ष दृढता से प्रस्तुत करेंगे ।

यह प्रांतीय अधिवेशन सर्वश्री पारस रजपूत, रमेश शिंदे, अभय वर्तक और सुमित सागवेकर के चर्चासत्र से संपन्न हुआ ।

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