‘आर.एम.डी’. समूहद्वारा पथनाटिकाके माध्यमसे होनेवाले ‘श्रीकृष्ण’के अनादरके संदर्भमें क्षमायाचना !

फाल्गुन कृष्ण पक्ष द्वितिया, कलियुग वर्ष ५११५ 

हिंदुओ, इस सफलताके लिए श्रीकृष्णके चरणोंमें कृतज्ञता व्यक्त करें !

 पुणे (महाराष्ट्र) – 'रसिकलाल माणिकचंद धारीवाल (आर.एम.डी.)' समूहद्वारा १६ फरवरीको रक्तदान शिविरका आयोजन किया गया है । इस शिविरकी जनजागृति हेतु किए जानेवाले ‘१०० मिली जिंदगी के’ इस पथनाटिकामें भगवान 'श्रीकृष्ण'का अश्लाघ्य अनादर किया गया था । मंदिरमें जानेकी अपेक्षा रक्तदानके लिए जाईए !  इस नाटिकाद्वारा इस प्रकारका संदेश दिया गया था, साथ ही उसमें भगवान 'श्रीकृष्ण'का अनादर भी किया गया था । (अपने श्रद्धास्रोतोंके संदर्भमें इस प्रकारका अनादर करनेवाले हिंदु ही हिंदु धर्मके वास्तविक शत्रु हैं ! हिंदुओंके धर्मशिक्षणके अभावके कारण ही इस प्रकारका अनादर आरंभ हुआ है । हिंदुओंको धर्मशिक्षण प्राप्त होनेके लिए 'हिंदु राष्ट्र 'स्थापित होना अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस संदर्भमें 'हिंदू जनजागृति समिति'के कार्यकर्ताओंके साथ अन्य हिंदुनिष्ठोंके विरोध प्रदर्शित करनेके पश्चात आर.एम.डी. समूहद्वारा देवताओंके अनादरके संदर्भमें क्षमायाचना की गई । (ईश्वरपर श्रद्धा रखकर कार्य करनेवाले न्यून संख्याके हिंदू जनजागृति समितिके कार्यकर्ताओंको जो कार्य करना संभव होता है, वह बलशाली हिंदुनिष्ठ संगठनोंको क्यों संभव नहीं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस संदर्भका लिखित क्षमापत्र भी भेजा जाएगा ।

आर्.एम.डी. समूहद्वारा यह बात भी स्पष्ट की गई कि रक्तदान अभियानकी प्रसिदि्ध हेतु स्वतंत्रता थिएटर इस गुटको हमने अधिकार दिए थे ।  मैंने संबंधित व्यकि्तयोंको पथनाटिकासे आपति्तजनक भाग हटानेके आदेश दिए हैं । इस प्रकारसे किसीकी भी भावना आहत करनेका हमारा उद्देश्य नहीं था; किंतु यदि इस घटनासे धार्मिक भावना आहत हुई है, तो हम क्षमायाचना करते हैं । (देवताओंका अनादर होनेके कारण हिंदुओंकी धार्मिक भावना आहत हुई ही है । यह बात स्पष्ट होते हुए भी यदि-तदिकी भाषा किसलिए ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

पथनाटिकामें किया गया अनादर इस प्रकार…

१. नाटिकाके एक प्रसंगमें श्रीकृष्णकी भूमिका करनेवाला युवक करांगुली ऊपर करता है । तदनंतर पीछेसे एक युवक आकर बताता है कि यह अनुचित उंगली है । उस समय वहां उपसि्थत सभी व्यकि्त हंसते हैं ।

२. `यदा यदा हि धर्मस्य…’ यह श्लोक पथनाटिकाके प्रारंभमें पठन किया गया था । उस समय नाटिकामें समि्मलित युवक विकि्षप्त अंगविक्षेप कर रहे हैं ।

यह पढकर जिनका रक्त खौलकर नहीं उठता, वे हिंदु हैं ही नहीं !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​