सनातन संस्थापर प्रतिबंध लगानेकी मांग करनेसे पूर्व पक्षको कानूनन सुस्पष्ट करें !

आषाढ कृ. १४, कलियुग वर्ष ५११४

उच्च न्यायालयद्वारा याचिकादाताको फटकारा गया !

मुंबई, (महाराष्ट्र)१५ जून, (वृत्तसंस्था) – उच्च न्यायालयके न्यायमूर्ति डी.डी.सिन्हा एवं न्यायमूर्ति ताहिलरमानीके खंडपीठद्वारा याचिकादाताको तीव्र शब्दोंमें फटकारते हुए कहा गया कि सनातन  संस्थापर प्रतिबंध लगानेकी मांग करनेसे पूर्व वे प्रथम न्यायालयको स्पष्ट करें कि यह मांग कानूनकी किस धाराके अनुसार कर रहे हैं । उचित जानकारीके बिना सनातन संस्थापर प्रतिबंध लगानेकी मांग करना अयोग्य है ।

इ.स.२००८ में ठाणेमें गडकरी रंगायतन नाट्यमंदिरमें हुए बमविस्फोटका सनातन संस्थासे सीधा संबंध जोडकर सनातन संस्थापर प्रतिबंध लगानेकी मांगको लेकर श्री. विजय रोकडेद्वारा मुंबई उच्च न्यायालयमें जनहितयाचिका प्रविष्ट की गई है, जिसमें सनातन संस्थापर आरोप लगाते हुए कहा गया है कि सनातन संस्था आतंकवादी कार्यवाहियोंसे संबंधित है तथा संस्थाकी ओरसे उत्तेजक साहित्य प्रकाशित किए जाते  हैं । अतः इस संस्थापर प्रतिबंध लगाया जाए । इस याचिकापर कल सुनवाई हुई । ( ठाणे बमविस्फोट प्रकरणके आरोपपत्र एवं घोषणापत्र दोनोंमें इससे पूर्व ही स्पष्ट किया गया है कि तथाकथित कार्यवाहियोंसे इस संस्थाका कोई संबंध नहीं था । तब भी इस प्रकारकी याचिका प्रविष्ट करना अर्थात जानबूझकर सनातन संस्थाका अवमान करनेकी चेष्टा है ।-संपादक)

१. इस अवसरपर याचिकादाताके अधिवक्ता जयेंद्र खैरनारने कहा कि राज्यसरकारद्वारा सनातन संस्थापर प्रतिबंध लगानेके संदर्भमें केंद्रसरकारको प्रस्ताव भेजा गया है तथा राज्यसरकारने भी प्रतिबंध लगाए जानेका समर्थन किया है ।

२. इसपर शासकीय अधिवक्ता श्री समीर पाटीलने कहा कि राज्यसरकारद्वारा इस प्रकार प्रतिबंध लगानेका समर्थन नहीं किया गया है । राज्य सरकारने इस प्रकारका कथन कभी नहीं किया ।

३. न्यायमूर्ति डी.डी.सिन्हाने आक्रोशित होकर अधिवक्ता खैरनारसे कहा कि कानूनन पक्ष सुस्पष्ट न कर राज्यसरकारकी आडमें आप कुछ भी न  बोलें । याचिकादाताको प्रतिबंध लगानेकी मांग करते समय उसके पीछेका कानूनन पक्ष सुस्पष्ट करना चाहिए । इसके लिए अगले दो सप्ताहमें प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत करें । 

४. इस अवसरपर सनातन संस्था एवं दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के संपादक श्री पृथ्वीराज हजारेकी ओरसे अधिवक्ताद्वारा प्रतिज्ञापत्र प्रविष्ट करनेके लिए अवधि मांगनेपर खंडपीठद्वारा यह विनती स्वीकार की गई । (सनातन संस्थाको विश्वास है कि उसपर झूठे आरोप लगाकर उसकी अपकीर्ति करनेका प्रयास करनेवालोंने न्यायालयको दिशाभ्रमित करनेका कितना भी प्रयास किया, तब भी न्यायदेवता उचित न्याय देंगे ।-संपादक )

मुंबई उच्च न्यायालयकी सुनवाईका समाचारपत्रोंद्वारा विपरीत समाचार ! – श्री वीरेंद्र मराठे, व्यवस्थापकीय  न्यासी, सनातन संस्था

मुंबई उच्च न्यायालयमें हुई सुनवाईमें उपरोक्त सूत्रवस्तुनिष्ठ वादविवाद हुआ है; परंतु अधिकतर समाचारपत्रोंद्वारा इस समाचारका विपरीत एवं एकांगी समाचार प्रकाशित किया गया है । सनातन संस्थाकी ओरसे सनातनके व्यवस्थापकीय न्यासी, श्री वीरेंद्र मराठेने आवाहन किया है कि समाचारपत्रोंको अपने उत्तरदायित्वका भान रखते हुए इस प्रकार कांग्रेस सरकारके दबावमें आकर अयोग्य समाचार नहीं प्रकाशित करने चाहिए तथा जनताको भी सत्य स्थिति जान लेनी चाहिए । सनातन संस्था पिछले २२ वर्षसे समाजसहाय्य, राष्ट्ररक्षा एवं धर्मजागृतिके लिए कार्यरत है । सनातनका पूरा कार्य वैधानिक पद्धतिसे चल रहा है । राष्ट्र एवं धर्मप्रेम सनातन संस्थाके प्राण हैं । समाजके प्रतिष्ठित लोग, संत, शासकीय अधिकारी एवं नेताओंने सनातन संस्थाके कार्यकी प्रशंसा की है । सनातन संस्थाके मार्गदर्शनानुसार साधना करनेवाले सैकडों परिवार साधनाका आनंद ले रहे हैं । पिछले ४ वर्षोंसे ठाणेके गडकरी रंगायतन एवं गोवामें मडगावके विस्फोटोंका प्रमाण देकर केंद्रसरकार, गोवा एवं महाराष्ट्र राज्यकी कांग्रेस सरकारके विविध जांच तंत्रोंद्वारा सनातनके आश्रम एवं साधकोंकी अनेक बार जांच-पडताल की गई है । समयसमयपर आश्रमोंकी छानबीन की गई है । परंतु इस जांचमें उन्हें आपत्तिजनक कुछ भी नहीं मिला  है । सनातनके संदर्भमें सरकारकी इस प्रकार द्वेषकी भूमिका होते हुए भी सनातनने आश्रमकी जांचके समय सदैव सहयोग ही दिया  है । तब भी कांग्रेस सरकारद्वारा सनातनपर पुनः दबावतंत्रका उपयोग करनेका प्रयास किया जा रहा है । यह निश्चित है कि ईश्वरके कृपाशीर्वाद तथा राष्ट्र एवं धर्मप्रेमियोंके समर्थनके बलपर सनातन इस संकटसे भी तर जाएगा ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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