नास्तिक श्याम मानवको हिंदुधर्ममें हस्तक्षेप करनेका अधिकार किसने दिया ? – रामदास कदमद्वारा प्रश्

पौष कृष्ण २ , कलियुग वर्ष ५११५

जादूटोनाविरोधी विधेयकमें शब्दोंकी व्याख्या न देनेके कारण उसमें संदिग्धता ! – श्री. रामदास कदम


शिवसेनाके अतिरिक्त अन्य बलवान हिंदुनिष्ठ संगठन एक शब्द भी क्यों नहीं बोलते ? क्या उन्हें ऐसा प्रतीत होता है कि हिंदुधर्मपर आघात करनेवाली बातोंसे उनका कोई संबंध नहीं है ?

विधानमंडलमें सरकार जानबूझकर जादूटोनाविरोधी विधेयकसमान महत्त्वपूर्ण विषयों संध्या समय विचार-विमर्श आरंभ करती है । इस समय दिनभरके कामकाजके कारण उसका विरोध करनेवाले विधायकोंका उत्साह अधिकांश रूपमें न्यून हो जाता है । इसका अपलाभ उठानेके लिए ही सरकार ऐसा करती है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात

नागपुर(महाराष्ट्र) : जादूटोनाविरोधी विधेयकमें अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिके प्रा. श्याम मानवद्वारा ‘बेर देकर आंवला प्राप्त करने’का खेल खेला गया है । क्या केवल प्रा. मानवको ही कानून समझमें आता है ? हमें भी समझमें आता है । मानव नास्तिक हैं एवं वे धर्म तथा ईश्वरको नहीं मानते । इसलिए १६ दिसंबरको विधान परिषदमें शिवसेनाके विधायक श्री. रामदास कदमने प्रश्न उपस्थित किया कि प्रा.श्याम मानवको हिंदुधर्ममें हस्तक्षेप करनेका अधिकार किसने दिया ? उसीप्रकार उन्होंने इस विधेयकमें समाविष्ट ‘भोंदू लोग’, ‘दिवंगत संत’, ‘परिवारके व्यक्तियोंको परिवाद करनेका अधिकार’ जैसे शब्दोंको निरस्त करनेकी मांग भी की है । 

जादूटोनाविरोधी कानूनके विषयमें कितने सत्ताधारी विधायक ऐसा अभ्यास करते हैं ?

वर्तमान समयमें भारतीय दंड विधानके कानून सक्षम होते हुए जादूटोनाविरोधी कानून करनेकी आवश्यकता नहीं है । स्पष्ट रूपसे ऐसा कहते हुए श्री. रामदास कदमने जादूटोना विरोधी कानून पारित करनेका तीव्र विरोध दर्शाया तथा जादूटोनाविरोधी विधेयककी प्रत्येक धाराकी जानकारी देने तथा इस विधेयककी धाराएं हिंदु धर्म, प्रथा एवं परंपराओंपर आघात करनेवाली रहनेके कारण उनको निरस्त करनेको कहा । विशेषतः इस कानूनके विषयमें सत्ताधारी नेताओंमें विपक्ष गुटके शिवसेना-भाजपाके नेताओंके अतिरिक्त एक भी मंत्री, नेता अथवा विधायकको  जादूटोनाविरोधी विधेयककी धाराओंका अभ्यास नहीं है । ऐसा दिखाई दिया है कि अबतक कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेसके नेताओंने इस विधेयकके विषयमें भ्रमित करनेवाली अधूरी जानकारी देकर कानून बनानेका प्रयास किया ।

सरकार गोहत्या प्रतिबंधित तथा वन्दे मातरम्  कानून पारित कर उसे अनिवार्य क्यों नहीं करती ?

हिंदु धर्मपर आघात करनेवाला जादूटोनाविरोधी कानून पारित करनेके स्थानपर सरकार वर्ष १९६२ से प्रलंबित गोहत्या प्रतिबंधित एवं वन्दे मातरम् कानून पारित कर उसे अनिवार्य क्यों नहीं करती ? किसानोंद्वारा आत्महत्या करनेकी मात्रा बढ गई है । इसे रोकने हेतु सरकार कानून क्यों नहीं पारित करती ? यदि सरकारमें साहस है, तो वह वन्दे मातरम् कानूनको अनिवार्य रूपसे सिद्ध कर दिखाए ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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