ऑस्ट्रेलियाके हिंदु अपने बच्चोंमें धर्माभिमानकी रक्षा करें ! – श्रीमती मंगलम् वासनजी

ज्येष्ठ शु. १३, कलियुग वर्ष ५११४


दार्इं ओर श्री. गौरव कथुरिया, श्री. रोहन मेहता, श्रीमती मंगलम् वासनजी
एवं दीपप्रज्वलन करते हुए श्री. वाम्सी कृष्णा

मेलबर्न – ऑस्ट्रेलिया स्थित हिंदुओंके बच्चोंको मातृभाषामें शिक्षा प्राप्त होनी चाहिए । बच्चोंके साथ मातृभाषामें बातें करनेका प्रयास करना चाहिए । इससे हम अपने बच्चोंमें हिंदु धर्माभिमानकी रक्षा कर सकते हैं, ऐसा मार्गदर्शन ऑस्ट्रेलियाकी प्रखर हिंदु धर्माभिमानी श्रीमती मंगलम् वासनजीद्वारा किया गया । ‘फोरम फॉर हिदु अवेकनिंग’की ओरसे ऑस्ट्रेलियाके मेलबर्न शहरमें रविवार, २७ मईके दिन हिंदु धर्मजागृति सभा आयोजित की गई थी । मेलबर्नके श्री स्वामीनारायण मंदिरमें संपन्न हुई यह तीसरी हिंदु धर्मजागृति सभा है । इस सभाके लिए मेलबर्न शहरके १५० से अधिक धर्माभिमानी हिंदु उपस्थित थे । इस प्रसंगमें वासनजीने अपने विचार प्रस्तुत किए ।

श्रीमती वासनजीने ऑस्ट्रेलिया स्थित हिंदुओंके सामने आनेवाली विभिन्न अडचनें प्रस्तुत कीं  । साथ ही श्रीमती वासनजीने आगे यह भी बताया कि, अनेक संकेतस्थलोंपर हिंदु धर्मके विषयमें अनुचित जानकारी उपलब्ध है । इस जानकारीका कोई भी आध्यात्मिक प्रमाण नहीं है।

धर्मसभाका आरंभ शंखनाद एवं वेदपठनद्वारा किया गया । उसके उपरांत वक्ताओंके करकमलोंद्वारा दीपप्रज्वलन किया गया । उस समय मंचपर श्रीमती वासनजी समवेत हिंदु जनजागृति समितिके संकेतस्थलके पाठक(वाचक) श्री. रोहन मेहता, श्री. गौरव कथुरिया एवं ‘फोरम फॉर हिंदु अवेकनिंग’के श्री. वाम्सी कृष्णा भी उपस्थित थे । इस सभामें सभी वक्ताओंद्वारा हिंदु धर्मके विषयमें शास्त्रीय जानकारी दी गई, साथ ही धर्माचरणका महत्त्व विशद (स्पष्ट) किया गया । हिंदु धर्मपर होनेवाले आघात रोकने हेतु हिंदुओंको संगठित होनेकी आवश्यकता है, ऐसे   संवाद सभी वक्ताओंद्वारा  दिए गए । सभाके पश्चात उपस्थित व्यक्तियोंमें अनेकने  धर्मरक्षा हेतु सक्रियरूपसे सहभागी होनेकी सिद्धता  दर्शाई   है ।

धर्मपर होनेवाले आघात रोकने हेतु हिंदुओंद्वारा संगठित रूपसे प्रयास होने चाहिए ! – रोहन मेहता

हिंदु धर्मके अनादरके कारण होनेवाले विपरीत परिणामोंके विषयमें श्री. रोहन मेहताद्वारा विशेष जानकारी दी गई । श्री. मेहताने बताया, ‘‘हिंदु धर्मपर होनेवाले आघातोंके विषयमें हिंदु अनभिज्ञ हैं । अभिव्यक्ति स्वतंत्रताके नामपर देवताओंका अनादर किया जा रहा  है । यह रोकने हेतु हिंदुओंको संगठित रूपसे प्रयास करने चाहिए ।’’

इस समय ‘स्पिरिच्युअल सायन्स रिसर्च फाऊंडेशन’ द्वारा किए गए अध्यात्मविषयक संशोधनकी जानकारी श्री. गौरव कथुरियाद्वारा दी गई । शाकाहार एवं मांसाहार, मोमबत्ती एवं घीका दीया, दहन एवं दफन, अग्निहोत्र यज्ञकुंड एवं आण्विक आग इनमें स्थित अंतर उन्होंने शास्त्रीय परिभाषामें विशद किया । हिंदु साधु-संतोंद्वारा अध्यात्ममें किया संशोधन एवं हिंदु धर्मके अनुसार शास्त्रीय दृष्टिकोण भी उन्होंने इसी माध्यमसे स्पष्ट किए ।

‘धर्मशिक्षा एवं धर्मरक्षा’ नामक विषयपर श्री. वाम्सी कृष्णाने अपने विचार प्रकट किए । हिंदु धर्म एवं हिदुओंके इतिहासका भद्दापन, धर्मांतरण, देवताओंका अनादर इत्यादि विषयोंपर उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत किए । धर्मशिक्षा एवं धर्माचरणके माध्यमसे हिंदुओंको सत्त्वगुणमें वृद्धि करनेका प्रयास करना चाहिए । प्रत्येक व्यक्तिद्वारा दिनका कुछ समय धर्मशिक्षा एवं साधना हेतु व्यय होना चाहिए, ऐसा आवाहन भी श्री. वाम्सी कृष्णाद्वारा किया गया ।

सभामें स्वीकृत किया गया प्रस्ताव

ऑस्ट्रेलियामें हिंदु धर्मकी शिक्षा देनेके लिए शासनद्वारा निधिकी पूर्ति होकर हिंदु समाजको सहायता प्राप्त होनी चाहिए, इस आशयका एक प्रस्ताव इस सभामें स्वीकृत किया गया । धर्मसभाके पश्चात उपस्थित व्यक्तियोंद्वारा पूछे गए प्रश्नोंके समुचित उत्तर वक्ताओंने दिए । धर्मप्रसारके लिए ‘अंतरजालका (इंटरनेट)’ किस प्रकारसे उपयोग कर सकते हैं, `अंतरजाल’के अनुचित परिणामोंसे किस प्रकार बच्चोंकी रक्षा करनी चाहिए, इत्यादि प्रश्न श्रोताओंद्वारा पूछे गए ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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