मलेशिया में हिंदू बच्चों का धर्म परिवर्तन अमान्य घोषित

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मलेशिया में हिंदू बच्चों का धर्म परिवर्तन अमान्य घोषित

३० जुलाई २०१३


कुआलालंपुर – मलेशिया में तीन हिंदू बच्चों के इस्लाम धर्म ग्रहण कराने के कृत्य को अदालत ने गैर कानूनी करार दिया है। कुआलालंपुर हाई कोर्ट ने बच्चों की मां इंदिरा गांधी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि इस्लाम धर्म ग्रहण किए बच्चे हिंदू ही रहेंगे।

अदालत के अनुसार, बच्चों का धर्म परिवर्तन प्राकृतिक न्याय की अवधारणा के खिलाफ है। लिहाजा, यह कृत्य गैर संवैधानिक है। इसे खारिज किया जाता है।

अदालत के इस फैसले से उत्साहित भारतीय मूल की शिक्षिका इंदिरा ने अब अपने पति के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी है। उन्होंने अपनी सबसे छोटी पुत्री के संरक्षण का अधिकार प्राप्त करने के लिए भी अपने पति के खिलाफ कानूनी लड़ाई प्रारंभ कर दी है।

गुरुवार को दिए अपने फैसले में हाई कोर्ट ने कहा है कि मां और बच्चे का पक्ष जाने बिना ही बच्चों का धर्म परिवर्तन करा दिया जाना गैरकानूनी है। गांधी अब राहत की सांस ले सकती है क्योंकि कठिन कानूनी लड़ाई के बाद अब उनके बच्चे फिर से हिंदू धर्म अपना सकते हैं।

फिलवक्त दो बच्चे तेवी दर्शिनी (१६ वर्ष) और करन दिनेश (१५ वर्ष) तो अपनी मां के साथ रहते हैं, लेकिन उनकी सबसे छोटी बेटी का अता-पता नहीं है। एक साल की उम्र में ही २००९ में उसे इंदिरा के परित्यक्त पति पद्मनाथन उठा ले गया था। पद्मनाथन अब इस्लाम धर्म ग्रहण कर रिजवान अब्दुल्ला बन गया है। उसने ही सभी बच्चों को इस्लाम धर्म ग्रहण करा दिया था।

इसे बच्चों की मां ने अदालत में चुनौती दी थी। अदालत के फैसले के बाद शिक्षिका इंदिरा गांधी ने कहा, 'अब मैं अपनी बेटी प्रसन्ना दीक्षा के भविष्य को लेकर चिंतित हूं। पता नहीं वह किस हाल में होगी। मुझे मेरी बेटी चाहिए।' बकौल इंदिरा, 'हाई कोर्ट ने २०१० में ही बच्चों का संरक्षण उन्हें प्रदान करने का आदेश पद्मनाथन को दिया था। लेकिन अदालती आदेश आने पर उसने सभी बच्चों का धर्म परिवर्तन करा दिया।'

इंदिरा गांधी का कहना है कि कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करने के लिए उन्होंने अपने परित्यक्त पति के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही प्रारंभ कर दी है।

स्त्रोत : जागरण


मलेशियामें एक तरफ धर्मांतरणको अनुमती देनेवाला विधेयक वापिस लिया

९ जुलाई २०१३

भारतीय हिंदूओं, मलेशियामें एक हिंदू महिलाकी धर्मांतरण विरोधी आवाज उस देशकी संसदतक पहुंच गई । उनसे सीख लो और स्वयंके संवैधानिक अधिकारोंके लिए लडने हेतु सिद्ध हो जाओ !

कुआलालंपुर – मलयेशियाई सरकार ने सोमवार को धर्म परिवर्तन से जुड़े एक विवादास्पद बिल को वापस ले लिया। यह बिल मां या बाप, किसी भी एक को अपने बच्चे को धर्म परिवर्तन के लिए मंजूरी देने का अधिकार देता है। बिल को लेकर खासा विवाद उस वक्त पैदा हो गया था, जब दो नाबालिग भारतीय हिंदू लड़कियों की मां की इजाजत बिना ही उन्हें इस्लाम कबूल कराया गया था।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एस. दीपा नाम की इस महिला के पति ने उसे १६ महीने पहले छोड़ दिया था। बाद में उसने अपनी पत्नी को जानकारी दिए बिना दोनों बच्चों का धर्म परिवर्तन करवा दिया।

गौरतलब है कि इस बिल को २६ जून को संसद में पहली बार पेश किया गया था। कई गुप्स ने इस बिल के उस प्रावधान का खासा विरोध किया था, जिसके मुताबिक मां या पिता में से किसी एक के भी राजी होने पर बच्चे का धर्म परिवर्तन हो सकता है। शुक्रवार को पीएम एम. यासीन ने कहा था कि जब तक मामले से जुड़े सभी लोगों की इस पर सहमति नहीं बन जाती, तब तक के लिए बिल को वापस ले लिया जाएगा।

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स 


मलेशिया में दो हिंदू बच्चों का धर्मांतरण कराया

२९ जून २०१३


कुआलालंपुर – मलेशिया में भारतीय मूल के दो नाबालिग हिंदू बच्चों का धर्मांतरण उनकी मां की मर्जी के बगैर करवा दिया गया। इस विरोध में वहां प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।

स्थानीय मीडिया की खबरों के अनुसार, एस दीपा (२९) नामक हिंदू महिला का कहना है कि उनसे १६ महीने पहले अलग हो चुके पति ने उनके दोनों बच्चों का धर्मांतरण करा दिया और इसको लेकर उनकी राय भी नहीं ली।

दीपा जेलेबू में रहती हैं। पति का आरोप है कि दीपा का किसी दूसरे व्यक्ति के साथ प्रेम प्रसंग था और वह बच्चों की देखभाल नहीं कर सकती थी।
बार काउंसिल के अध्यक्ष क्रिस्टोफर लियोंग ने संघीय संविधान का हवाला देते हुए कहा है कि माता-पिता में से कोई एक दूसरे को संज्ञान में लिए बिना बच्चों का धर्मांतरण नहीं करा सकता।

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स 

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