कलश तोडकर दीवार पर गुंबद बनाने से वह गंगा-जमुनी संस्कृति नहीं होती – विधायक राजा भैय्या

लोकतांत्रिक दल के अध्यक्ष तथा विधायक राजा भैय्या ने उत्तर प्रदेश की विधानसभा में किया मुसलमानों का पर्दाफाश !

लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – कलश तोडकर दीवार पर गुंबज बनाने से वह गंगा-जमुनी संस्कृति नहीं होती । एक बात स्पष्ट है कि आक्रमणकारियों ने ही हिन्दुओं के मंदिर तोड डाले । यह वक्तव्य उत्तर प्रदेश के लोकतांत्रिक दल के अध्यक्ष तथा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उपाख्य राजा भैय्या ने विधानसभा में वार्षिक बजट पर हो रही चर्चा में दिया ।

‘बाबर तथा औरंगजेब का अनुकरण करने से शांति कभी नहीं मिलेगी ।’  

‘श्रीराममंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर तथा श्रीकृष्णजन्मभूमि को आक्रमकों ने लक्ष्य किया है ।’ – विधायक राजा भैय्या

आमदार राजा भैय्या द्वारा प्रस्तुत सूत्र

१. प्रभु श्रीराम की चर्चा सभागृह में सर्वाधिक हुई । राममनोहर लोहिया में विश्वास करनेवाले भी स्वीकार करेंगे कि लोहिया ने प्रतिवर्ष रामायण मेले का आयोजन इस उद्देश्य से किया था कि सर्वसामान्य जनता राम के आदर्शाें का अनुकरण करें । (लोहिया समाजवादी तथा आधुनिकतावादी नेता थे ।)

२. ‘बाबर, गजनी, घोरी, औरंगजेब लुटेरे थे’, ऐसा मत स्वयं लोहिया का था । रईस खान तथा रहीम हमारे पूर्वज थे । यह बात यहां बताना आवश्यक है; क्योंकि पीछले कई दिनों से वातावरण बिगाडने का काम हो रहा है । हल्द्वानी का भी उदाहरण ले सकते है । हमारे राज्य में कोई अशांति न हो, इसलिए सरकार सभी प्रयत्न कर रही है; परंतु कहीं तो वातावरण बिगाडने का प्रयत्न होने की भावना व्यक्त हो रही है ।

३. ज्ञानवापी में व्यासजी के तहखाने में होनेवाली पूजा सैंकडो वर्षाें से अविरत रुप से चल रही है । यह तथ्य संसार के सामने आना चाहिए । वर्ष १९९३ में स्थानीय प्रशासन ने इसपर प्रतिबंध लगाया था । इस पूजा पर किसी भी न्यायालय ने प्रतिबंध नहीं लगाया था ।

४. इस सदन के माध्यम से व्यासजी के तहखाने के ताले की चाबी ३१ वर्षाें तक संभालकर रखनेवाले पुजारी को भी हम श्रद्धांजली अर्पित करनेवाले हैं; क्योंकि उनका विश्वास था कि एक न एक दिन ऐसी सरकार आएगी, जो यह ताला खुलवाएगी ।

५. अल्लामा इक्बाल पहला व्यक्ति था, जिसने कहा था कि हिन्दू तथा मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते । ‘मुसलमानों को स्वतंत्र देश की आवश्यकता है’, ऐसा कहने वाले पाकिस्तान के सैद्धांतिक जनक डॉ. जिन्ना ने भी यही कहा था कि हिन्दू तथा मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते । इसी कारण विभाजन हुआ । ‘सारे जहां से अच्छा’, यह कविता इसी कारण अधुरी हो जाती है । वर्ष १९१० में लिखी इस कविता में कहा था कि भारत, चीन, अरब ये सभी हमारे राष्ट्र हैं तथा ये सब इस्लामी राष्ट्र हैं ।

६. हमारे जीवन में हमें भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर देखने का सौभाग्य मिला है । मेरा ऐसा भी विश्वास है कि आदि शंकराचार्य के पश्चात सनातन उत्थान का, हिन्दू उत्थान का कार्य यदि कोई कर रहा हैा तो वे नरेंद्र मोदी हैं ।

स्रोत : हिंदी सनातन प्रभात

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