हिन्दू राष्ट्र स्थापना के उद्देश्य से संत एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का प्रयागराज (कुंभनगरी) में हिन्दू अधिवेशन संपन्न !

सनातन संस्था के माध्यम से शैव, वैष्णव तथा अन्य संप्रदायों का संगठन खडा होना हिन्दू राष्ट्र स्थापना की नींव !

हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु सभी संत समाज एकजुट हों ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगलेजी

बार्इं आेर से दीप प्रज्ज्वलन करते हुए सदगुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगले, महंत रामज्ञानीदासजी महाराज, महामंडलेश्वर जनार्दनहरीगिरीजी महाराज व महंत भगीरथीजी महाराज

प्रयागराज : वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था में सेक्युलवाद होने के कारण यहां संवैधानिक स्तर पर हिन्दू समाज को कोई प्रतिष्ठा नहीं दी गई है । संविधान के अनुच्छेद २८ व २९ के अनुसार अल्पसंख्यक समुदाय को शिक्षा में धार्मिक शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है । मात्र सनातन वैदिक हिन्दू धर्म की कोई शिक्षा देने का प्रावधान नहीं है । अल्पसंख्यक समुदाय के उपर के अत्याचार रोखने हेतु अल्पसंख्यक आयोग है । मात्र बहुसंख्यक हिन्दुआें के लिए कोई आयोग नही है । इस पक्षपात को यदि हटना है, तो भारत के संविधान से सेक्युलर शब्द को हटाने की आवश्यकता है । जैसे ही सेक्युलर शब्द हट जाएगा, वैसे ही भारत हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा । उसके उपरांत गो, गंगा, देवालय आदि भारत के सभी मानबिंदुआें की रक्षा करना सहज संभव होगा । इसलिए हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु सभी संत समाज एकजुट हों’, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगलेजी ने किया ।

हिंदू राष्ट्र स्थापना के हिंदू अधिवेशन में उपस्थित संतगण एवं हिंदुत्व की संगठनों के प्रतिनिधि

कुंभ क्षेत्र के ‘भूमा निकेतन पंडाल’ में आयोजित हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु संतसमाज एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के एक दिवसीय हिन्दू अधिवेशन में उन्होंने यह वक्तव्य रखा ।

प्रयागराज (कुंभनगरी) के भूमा निकेतन मंडप में ८ फरवरी को संतसमाज एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का एकदिवसीय हिन्दू अधिवेशन बडे उत्साह के साथ और भावपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ । इस अधिवेशन में स्वामी अखंडानंददास महाराज ऐसा बोल रहे थे । इस अधिवेशन में संत-महंत, साधु और हिन्दुत्वनिष्ठोंसहित ९० लोग उपस्थित थे । अधिवेशन के प्रारंभ में वाराणसी के दुर्गाकुंड के श्री धर्मसंघ शिक्षा मंडल के वेदपाठशाला के छात्र बटू आदर्श तिवारी एवं अभिषेककुमार पांडे ने वेदमंत्रपठन किया ।

इस अधिवेशन में पूरे भारत केविविध राज्यों से आए संत, शैव, वैष्णव तथा उदासीन अखाडों से जुडे संत, महंत, महामंडलेश्‍वर तथा हिन्दू संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे । इसमें वारकरी संप्रदाय के ह.भ.प. श्याम महाराज राठोड, महामंडलेश्‍वर स्वामी राधादेवजी महाराज, महामंडलेश्‍वर जनार्दनहरिगिरीजी महाराज, महंत भागिरथीजी महाराज, महंत रामज्ञानीजी महाराज, स्वामी राजाराम महाराज, आेंकार अग्निवंशी महाराज, स्वामी रामबलीजि महाराज इनकी वंदनीय उपस्थिती थी ।

अधिवेशन में निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किए गए ।

१. भारत को संवैधानिक स्तर पर हिन्दू राष्ट्र घोषित करने हेतु संविधान की प्रस्तावना से ‘सेक्युलर’ शब्द हटाकर ‘हिन्दू राष्ट्र’ शब्द सम्मिलित किया जाए । तथा वर्ष 2006 तक सनातन धर्मी हिन्दू राज्य रहे नेपालको पुनः एक बार वहां की संसद हिन्दू राष्ट्र घोषित करें ।

२. कश्मीर की घाटी से विस्थापित साढे सात लाख हिन्दुआें की घरवापसी सुरक्षा के साथ हो, इसलिए केंद्र सरकार ‘पनून कश्मीर’ नाम से केंद्रशासित प्रदेश का निर्माण कश्मीर की घाटी में करें ।

३. गो, गंगा, तीर्थ आदि हिन्दू मानबिन्दुआें की रक्षा हेतु केंद्रीय स्तर का कडा कानून बनाया जाए ।

४. अधिवेशन निषेध करता है । इस प्रकरण में केंद्र सरकार हिन्दुआें की धर्मपरंपराआें की रक्षा हेतु तुरंत कानून बनाए ।

५. नई देहली में चल रहे संसद में केंद्र सरकार रामजन्मभूमि पर प्रभु श्रीरामजी के भव्य मंदिर के निर्माण हेतु अध्यादेश जारी कर हिन्दू समाज की धर्मभावनाआें का आदर करे ।

विशेषतापूर्ण सूत्र

१. हिन्दू राष्ट्र के विषयपर अधिवेशन के आयोजन के लिए संतों द्वारा सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की प्रशंसा इस हिन्दू अधिवेशन में अधिकांश संतों ने हिन्दू राष्ट्र स्थापना के विषयपर १ दिवसीय अधिवेशन के आयोजन के लिए सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की प्रशंसा कर शुभकामनाएं दीं । अधिवक्ता अरुणकुमार गुप्ता ने कहा कि सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु इस एकदिवसीय कुंभ में अधिवेशन के माध्यम से अमृत की एक बूंद से कार्य प्रारंभ किया है ।

२. अधिवेशन के माध्यम से शैव, वैष्णव जैसे सभी संप्रदाय और प्रांतों के संतों का त्रिवेणी संगम हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु आयोजित एकदिवसीय अधिवेशन में शैव, वैष्णव और अन्य संप्रदायोंसहित विविध प्रांतों के संत-महंत और साधु बडी संख्या में उपस्थित थे । मानो जैसे इस अधिवेशन में गंगा, युमना और सरस्वती इन नदियों की भांति विविध साधु-संतों के त्रिवेणी संगम का दृश्य देखने को मिला । सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति इन संगठनों द्वारा बिना किसी भेदभाव से और किसी एक ही संप्रदाय को न मानकर सभी संप्रदाय और विविध प्रांतों के संतों को एक ही मंचपर लाए जाने के कारण सभी संतों ने आनंद व्यक्त कर इन दोनों संस्थाआें को आगे के कार्य के लिए तथा हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए शुभाशीर्वाद व्यक्त किए ।

३. इस कुंभपर्व का पहला और सभी राजनीतिक दलों की विचारधारा का सर्वसमावेश अधिवेशन ! इस कुंभपर्व में सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से कुंभनगरी में हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु इस प्रकार का पहला एकदिवसीय अधिवेशन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ । यह अधिवेशन सभी राजनीतिक विचारधाराआें का सर्वसमावेशक अधिवेशन था ।

४. पाकव्याप्त कश्मीर का हिन्दुआें का शारदापीठ हिन्दुआें के लिए खोला जाए, इसके लिए संघर्ष करनेवाले सेवा शारदी पीठ के संस्थापक श्री. रवींद्र पंडिता ने अपने प्रयासों की जानकारी दी । बिकानेर के योगी हंसनाथसहित सभी संत-महंतों ने भी मार्गदर्शन किया ।

उपस्थित संत एवं मान्यवर

मध्य प्रदेश के सतना के रामानुज संप्रदाय के पू. राजारामजी महाराज, स्वामी संतोषाचार्य सागर महाराज, पू. बैजू (केरल), गुजरात के श्री दिगंबर अखाडे के पी. रामबलिदासजी महाराज, मध्य प्रदेश के रामानुजस्वामी, सतना (मध्य प्रदेश) के वैष्णव संप्रदायके राजललनत्रिपाठी श्री हंसनाथजी महाराज, राजस्थान के योगी गोरक्षनाथ संप्रदाय के श्री ओमनाथजी महाराज,मध्य प्रदेश का वैष्णव संप्रदाय, दिगंबर अखाडे के पू. महंत श्री श्री १०८ सुंदरदासजी महाराज, अखंड महायोग संप्रदाय के पू. महंत नरेशगिरी महाराज, जम्मू-कश्मीर के सनातन धर्म जुना अखाडे की साध्वी डॉली कुसुमगिरी, श्री श्री १००८ महंत गोपालदासजी महाराज, मध्य प्रदेश श्रीराम मंत्र साधनापीठ उज्जैन खालसा के श्री महंत स्वामी शिवमूर्तिदास शास्त्री महाराज इस अधिवेशन के लिए श्रीराम मंत्र साधनापीठ के मध्य प्रदेश के उज्जैन खालसा के श्री श्री १०८ महंत स्वामी शिवमूर्तिदास महाराज ने हिन्दू अधिवेशन के लिए शुभकामना संदेश भेजा ।

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