‘एकतर्फा संघर्षविराम’ यह केंद्रशासन का निर्णय आत्मघाती !

‘पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिन्दुआेंपर होनेवाले अत्याचार तथा भारत सरकार की आेर से मदत की अपेक्षा !’ तथा ‘जम्मू कश्मीर की वर्तमान राजनैतिक परिस्थिती, जम्मू में बढ रही रोहिंग्या मुसलमानों की समस्या तथा कश्मीरी हिन्दुआें का पुनर्वसन’, इन विषयोंपर आयोजित पत्रकार परिषद

कश्मीर के उपरांत अब जम्मू को मुसलमान-बहुल बनाने का षड्यंत्र – राहुल कौल, यूथ फॉर पनून कश्मीर

बाएं से पनून कश्मीर के रोहित भट, ‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’के राहुल कौल, जयपुर (राजस्थान) के निमित्तेकम संस्था के अध्यक्ष श्री. जय आहुजा और हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे

रामनाथी (गोवा) – केंद्र की भाजपा सरकार ने ४ वर्ष की अवधि पूर्ण कर ली है । शासन कठोर भूमिका अपनाकर अलगाववादियों को स्पष्ट संदेश देगी, ऐसी जम्म-ूकश्मीर के लोगों की अपेक्षा थी । दुर्भाग्य से आज उलटा हो रहा है । जम्म-ूकश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन शासन का कार्यकाल, इस राज्य में रहनेवाले देशप्रेमी नागरिकों के लिए अत्यंत भीषण काल है । प्रशासन में सर्व स्तरों पर अलगाववादियों का प्रभाव है । हिन्दुआें के साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता है । विस्थापित हुए कश्मीरी हिन्दुआें को पुन: कश्मीर में लाकर उनका पुनर्वास करने के लिए सरकार के पास कोई नीति नहीं है । जिहादी कट्टरतावादियों के युद्ध ने अब हिन्दूबहुल जम्मू क्षेत्र को भी अपनी चपेट में लेना प्रारंभ किया है।

‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’के राष्ट्रीय संयोजक श्री. राहुल कौल

राज्यशासन ने नीति बनाकर जम्मू में मुसलमानों की जनसंख्या बढाने में इतनी सहायता की है कि, वे अब उपद्रवकारी हो गए है। गुज्जर एवं बकरवाल मुसलमानों को वनक्षेत्र और सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर रहने की छूट देना शासन की अधिकृत नीति बन गई है । रोहिंग्या और बांग्लादेशी विदेशी अनाधिकृत घुसपैठिए, अत्यंत सहजता से जम्मू में आकर अपनी बस्ती बना रहे हैं । स्थानीय सरकार उन्हें सर्व प्रकार की सुविधाएं दे रही है, ऐसी चौकानेवाली जानकारी ‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’के राष्ट्रीय संयोजक श्री. राहुल कौल ने यहां आयोजित एक पत्रकार परिषद में दी । सप्तम अखिल भारतीय हिन्दूू अधिवेशन के निमित्त से ‘जम्म-ूकाश्मीर : वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य, जम्मू में रोहिंग्या समस्या, कश्मीरी हिन्दुआें का पुनर्वास’, इस विषय पर आयोजित पत्रकार परिषद में वे बोल रहे थे ।

इस अवसर पर पनून कश्मीर के रोहित भट, जयपुर (राजस्थान) के निमित्तेकम संस्था के अध्यक्ष श्री. जय आहुजा और हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे भी उपस्थित थे । इस अवसर पर श्री. कौल बोले, आतंकवादियों के विरोध में ‘एकतर्फा संघर्षविराम’ का केंद्रशासन का निर्णय आत्मघाती है । इससे अलगाववादियों को देश के विरुद्ध किए जा रहे युद्ध को अधिक तीव्र करने का समय मिल रहा है । संघर्षविराम का कोई भी परिणाम अलगाववादियों पर नहीं हुआ, यह बार-बार अलगाववादियों द्वारा हो रहे आतंकवादी आक्रमणों और नियंत्रण रेखा पर भारी मात्रा में हो रहे गोलीबारी से स्पष्ट हो रहा है ।

‘कश्मीर में हिन्दुआें के स्वतंत्र केंद्रशासित प्रदेश’ की मांग को, हिन्दू अधिवेशन का समर्थन !

हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित सप्तम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में देशभर कें हिन्दू संगठनों ने ‘जम्मू, कश्मीर एवं लेह में हिन्दुआें के लिए कश्मीर घाटी में एक स्वतंत्र केंद्रशासित प्रदेश होना चाहिए’, इस मांग का समर्थन किया । इसके साथ ही जम्मू की जनसंख्या का संतुलन बिगाडनेवाले रोहिंग्या और बांगलादेशी घुसपैठियों को पुन: उनके देश भेजने की मांग की गई है ।

चुनाव से पूर्व कश्मीरी हिन्दुआें के विषय में बोलनेवाले नरेंद्र मोदीजी ने सत्ता मिलने पर ४ वर्षों में कश्मीरी हिन्दुआें के विषय में एक भी शब्द नहीं कहा । वे कश्मीर जाते हैं; परंतु जम्मू के हिन्दू निर्वासितों की छावनियों में नहीं जाते, ऐसा रोष भी श्री. रोहित भटजी ने व्यक्त किया ।

भारत में शरण लेने के इच्छुक पाकिस्तानी हिन्दुआें को और कितने दिन अन्याय सहन करना होगा ? – जय आहुजा

पाकिस्तान से भारत की शरण आए पाकिस्तानी हिन्दुआें केंहित में लडनेवाले जयपुर के निमित्तेकम संस्था के अध्यक्ष श्री. जय आहुजा पत्रकारों को संबोधित करते हुए बोले, ‘१९४७ में हुए भारत विभाजन ने एक भयावह आपदा को जन्म दिया, जिसका परिणाम आज भी पाकिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यक हिन्दू समाज को भुगतना पड रहा है।

पाकिस्तान से भारत आनेवाली थार एव समझौता एक्सप्रेस से तथा पंजाब की वाघा सीमा चौकी द्वारा बडी संख्या में हिन्दू समाज के भाई-बहन विस्थापित होकर भारत में शरण ले रहे हैं। पहले कांग्रेस की केंद्र सरकार के समय, इन सभी विस्थापिताें को अत्यधिक विधिक एवं प्रशानिक कठिनाइयों का सामना करना पडता था; परंतु वर्तमान सरकार ने इन विस्थापिताें को मानवीय आधार पर कई सुविधाएं दी हैं । जिसके लिए वर्तमान केंद्र सरकार का मन से आभार है । परंतु उन सभी सुविधाआें को लागू करने में राज्य सरकारों में राजनीतिक इच्छाशक्ति की भारी कमी दिखाई देती है । साथ ही केंद्र सरकार के गृहमंत्रालय के अधिकारियों का असहयोग भी प्रतिदिन इन लोगों के कष्ट का कारण है । जिससे उन्हें आज तक भारतीय नागरिकता नहीं मिल पाई है । भारत के नागरिक न होने के कारण, ये विस्थापित हिन्दू भारत सरकार अथवा राज्य सरकारों द्वारा दी गई शिक्षा व स्वास्थ्य योजनाओं से वंचित हैं । हमारी मांग है कि, भारत सरकार इस विषय में राज्य सरकारों पर ध्यान देकर, पाकिस्तानी हिन्दुआें की समस्या का निवारण प्रधानता से करे । जिसमें हिन्दुआें को समय पर स्थायी वीसा जारी करवाया जाना अत्यंत महत्त्वपूर्ण विषय है। इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंद ने कहा, ‘आज भारत में शरण लेने के इच्छुक पाकिस्तानी हिन्दुआें का दीर्घकालीन वीजा नकारा जाता है, इसलिए उन्हें अत्याचारी पाकिस्तान में वापस लौटना पड रहा है । इसका परिणाम यह है कि पाकिस्तान में लौटे ५०० हिन्दुआें का मार्च २०१८ में इस्लाम में बलपूर्वक धर्म-परिवर्तन किया गया । भारत सरकार के लिए यह लज्जाजनक है । हिन्दुत्वनिष्ठ कहलानेवाली केंद्र सरकार को अपने न्यायोचित अधिकारों के लिए लडनेवाले पाकिस्तानी हिन्दुआें की व्यथा दिखाई नहीं देती, यह अत्यंत दर्भुाग्यपूर्ण है । इसलिए अब तो सरकार पाकिस्तानी हिन्दुआें पर किए अत्याचारों के विरोध में कडी भूमिका अपनाकर, उन्हें उचित अधिकार प्राप्त करवाएं ।’

म्यांमार के राखीन प्रांत से विस्थापित रोहिंग्या मुसलमान हजारों किलोमीटर की यात्रा कर हिन्दूबहुल जम्मू में बस्ती करते हैं । जम्मू के निकट ही पाकिस्तान इस्लामी राष्ट्र है । फिर वे लाहोर न जाकर जम्मू में क्यों रहते हैं और उन्हें ऐसा क्यों करने दिया जाता है, ऐसा प्रश्‍न हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने उपस्थित किया ।

आसिफा प्रकरण हिन्दू धर्म के विरोध में षड्यंत्र !

आसिफा का बलात्कार और हत्या प्रकरण, हिन्दू धर्म के विरोध में रचा गया एक षड्यंत्र है । जम्मू के हिन्दू प्रतिदिन वैष्णोदेवी मंदिर में तीन कुमारिकों की पूजा करते हैं । वहां हिन्दू द्वारा एक लडकी के साथ वह भी मंदिर के परिसर में दुष्कृत्य करना संभव ही नहीं । जम्मू के लोगों ने कश्मीर से आनेवाले लोगों को अपनी भूमि देने से मना करने के कारण उसके प्रतिशोध में कठुआ गांव के प्रमुख को फंसा दिया । जम्मू के रोहिंग्या मुसलमानों को वहां से खदेड देना चाहिए, ऐसा दबाव वहां बढ रहा था । उससे उनका ध्यान दूसरी ओर हटाने के लिए यह प्रकरण सोचे-समझे षड्यंत्र के रूप में सामने लाया गया । इस प्रकरण की केंद्रीय अन्वेषण विभाग के माध्यम से जांच होनी चाहिए, ऐसा श्री. रोहित भट ने कहा ।

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