लोकमान्य टिळक का जानबूझकर आतंकवाद के जनक के रूप में उल्लेख करनेवालों पर तत्काल कार्रवाई करें तथा संबंधित पुस्तक वापस लें !
राजस्थान की अंग्रेजी माध्यम की, कक्षा आठवी के समाजशास्त्र विषय की संदर्भ पुस्तक में लोकमान्य टिळक का उल्लेख आतंकवाद के जनक, ऐसा अनादरकारी उल्लेख किया गया है । हिन्दू जनजागृति समिति इसकी कठोर शब्दों में निंदा करती है । भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करनेवाले लो. टिळक का अनादर हम कदापि नहीं सहेंगे । राज्यस्थान शासन इस प्रकरण पर गंभीरता से ध्यान दे और पुस्तक से आक्षेपजनक उल्लेख तत्काल हटाए । यह चूक अनायास नहीं हुई है, राष्ट्रपुरुषों का अनादर करने के लिए, जानबूझकर लोकमान्य टिळक का इस प्रकार उल्लेख किया गया है । ऐसा उल्लेख करनेवाले लेखक, छापनेवाले मुद्रक, प्रकाशक एवं संबंधित दोषी शासकीय अधिकारियों पर भी कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए, संबंधित पुस्तक तत्काल वापस ली जाए और संबंधित व्यक्ति इस विषय में सार्वजनिक रूप से क्षमायाचना करें; अन्यथा इसके विरुद्ध हिन्दू जनजागृति समिति पूरे देश में आंदोलन करेगी, ऐसी चेतावनी हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्र्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने दी है ।
इससे पहले भी केेंद्रशासन की आइसीईएस की पाठ्यपुस्तक में बाळ गंगाधर टिळक, लाला लजपतराय, बिपीनचंद्र पाल, भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु आदि महान स्वतत्रतासेनानियों का आतंकवादी के रूप में जानबूझकर उल्लेख किया गया था । इसका विरोध होनेपर तत्कालीन शासन ने वह भाग पुस्तक से हटाया था । अब पुनः टिळक को आतंकवादी कहना, राष्ट्र्रपुरुषों का अनादर कर, उनकी प्रतिमा मलिन करने का बडा षड्यंत्र है । स्वतंत्रता से पूर्व तत्कालीन जनता स्वतंत्रता संग्राम में सहभागी हो, इसके लिए लोकमान्य टिळक ने अपनी ओजस्वी वाणी से भारतीय जनता में स्वतंत्रता की चिंगारी निर्माण की । जनता स्वतंत्रता संग्राम में उतरी, इसलिए अंग्रेजों ने टिळक को फादर ऑफ इंडियन अनरेस्ट अर्थात भारतीय असंतोष के जनक का विशेषण दिया । ऐसा होते हुए भी टिळक को आतंकवाद के जनक (फादर ऑफ टेररिजम) कहना, देशद्रोही कृत्य ही है !