‘पढ़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया’…ये नारा इसलिए दिया जाता है कि, देश का कोई भी बच्चा पढाई से वंचित ना रहे ! गरीब से गरीब परिवार का बच्चा भी विद्यालय जा सके, इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की आेर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं । इसी दिशा में मध्य प्रदेश सरकार की ओर से ये ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९’ के तहत प्रावधान किया गया कि, अगर निजी विद्यालय वंचित वर्ग के बच्चों को दाखिला देते हैं तो उनकी फीस की भरपाई सरकार की ओर से की जाएगी !
मध्य प्रदेश सरकार ने इसी उद्देश से बीते छह साल में निजी विद्यालयों को लगभग ६०० करोड़ रुपये का भुगतान किया । परंतु शर्मनाक बात है कि, इस पैसे में से बड़ा हिस्सा गरीब बच्चों की पढाई पर खर्च ना होकर निजी विद्यालयों और शिक्षा माफिया के गठजोड़ की जेब में गया । इंडिया टुडे नेटवर्क की जांच से खुलासा हुआ है कि, किस तरह इन जालसाजों ने गरीब बच्चों के हक पर डाका डाला और शिक्षा के पवित्र पेशे को दागदार किया . . .
पैसा हड़पने के इस खेल में ६४-६४ वर्षीय बुजुर्गों को भी नर्सरी और पहली-दूसरी कक्षाओं का छात्र दिखा दिया गया ! निजी विद्यालयों की ओर से सरकारी खजाने को चूना लगाने के लिए ऐसे छात्रों की फर्जी सूची तैयार की गई जिन्होंने कभी विद्यालय का मुंह ही नहीं देखा ! २०११ से बदस्तूर चल रहे इस गोरखधंधे की जड़े पूरे मध्य प्रदेश में फैली हुई दिखीं !
इंडिया टुडे नेटवर्क ने जांच में पाया कि, जबलपुर के जगत जननी विद्या मंदिर विद्यालय की ओर से २०१५-१६ में वंचित बच्चों की सरकार की ओर से फीस भरपाई के लिए २४१ छात्रों की सूची सौंपी गई । इस सूची को मध्य प्रदेश सरकार के शिक्षा पोर्टल समग्र पर अपलोड भी किया गया । सूची में छात्रों के नाम के साथ उनकी समग्र आयडी (पहचान) भी दी गई है । जब समग्र पोर्टल पर आयडी के आधार पर जांच की गई तो पाया गया कि, सूची में एक भी छात्र ऐसा नहीं था जिसकी विद्यालय की ओर से असली आयडी उपलब्ध कराई गई हो !
मसलन, इस विद्यालय की कक्षा केजी-२ के छात्र सुमित अहिरवार के नाम के आगे आयडी दर्ज है-१९३४४८०१९ जब हमने इस आयडी को समग्र पोर्टल पर चेक किया तो ये असल में दीपक कुमार सोनकर की निकली जिसका जन्म १९९० में हुआ था । और तो और २०१४-१५ के लिए जगत जननी विद्यालय की ओर से १८० छात्रों की जो सूची दी गई, उनकी आयडी भी पूरी तरह फर्जी निकली । इस सूची में भी दीपक कुमार सोनकर की आयडी को कक्षा केजी-१ के छात्र सुरभित अहिरवार के नाम के आगे दिखाया गया । इंडिया टुडे नेटवर्क की टीम ने जब समग्र पोर्टल पर दिए पते के आधार पर दीपक कुमार सोनकर की असली पहचान का पता लगाया तो पाया कि, वो ठेले पर सब्जियों को बेचकर गुजारा करते हैं !
जबलपुर में जगत जननी अकेला विद्यालय नहीं है जो वंचित गरीब बच्चों के हक पर फर्जी सूची देकर डाका मार रहा है ! इसी सिलसिले में जब उस्मानिया मिडिल विद्यालय, उस्मानिया चिल्ड्रन विद्यालय, स्मिता चिल्ड्रन एकेडमी, आदर्श ज्ञान सागर विद्यालय, गुरु पब्लिक विद्यालय और सेंट अब्राहम नर्सरी विद्यालय की ओर से दी गई सूचियों की भी जांच की गई तो पाया कि ये सारे विद्यालय भी मध्य प्रदेश सरकार से गरीब बच्चों की शिक्षा के नाम पर फर्जी सूचियां देकर पैसा हड़प रहे थे !
ये घोटाला केवल जबलपुर तक ही सीमित नहीं है । मध्य प्रदेश में ५१ जिलों में लगभग ४०,००० निजी विद्यालय हैं । इन्हें दस प्रशासनिक डिविजन में बांटा गया है । इंडिया टुडे नेटवर्क ने क्रम रहित ढंग से हर डिविजन में विद्यालय चुन कर जांच की तो पूरे कुएं में ही भ्रष्टाचार की भांग घुली हुई पाई !
भोपाल डिविजन में भोपाल, रायसेन, राजगढ़, सीहोर, विदिशा जिले आते हैं । रायसेन जिले के मंडीदीप के विवेकानंद शिक्षा संस्थान की ओर से दी गई सूची की जांच की गई तो पता चला कि, यहां ६४ वर्षीय चांद मियां को नर्सरी के छात्र पलक मंडोर के तौर पर दिखाया गया । चांद मिया को ढूंढ निकाला तो खुलासा हुआ कि, चांद मियां की ६२ वर्षीय पत्नी, ३० वर्षीय पुत्रवधू और ५ वर्षीय पोते की आयडी का भी उपरोक्त विद्यालय की ओर से दुरुपयोग किया जा रहा है !
चांद मियां का कहना था, “मेरे पोते इस विद्यालय में पढ़ते रहे हैं परंतु हमने उनकी पूरी फीस भरी । दाखिले के वक्त उन्होंने समग्र आयडी की मांग की थी तथा बताया था कि फीस माफ हो जाएगी । मैंने उन्हें ये प्रिंट आउट दिया जिसमें मेरे सारे परिवार के सदस्यों की आयडी थी । संभवत: उन्होंने इसी का उपयोग किया और फीस भी कभी माफ नहीं हुई !”
ग्वालियर डिविजन में अशोक नगर, शिव पुरी, दतिया, गुना और ग्वालियर जिले आते हैं । डाबरा के स्काय हाय पब्लिक विद्यालय की सूची में भी धड़ल्ले से अनियमितता पाई गई । यहां ६४ वर्षीय श्यामलाल को कक्षा २ की छात्र सोनिया बाई के तौर पर दिखाया गया । इसी तरह १६ वर्षीय सुनील आदिवासी को कक्षा १ का छात्र दिखाया गया । ३२ वर्षीय सन्नी बाई को कक्षा ३ की छात्र दिखाया गया । यहीं नहीं सन्नी बाई के पति राजू सिंह का नाम उनके पिता के तौर पर दर्ज दिखाया गया !
इंदौर डिविजन में अलीराजपुर, बड़वानी, बुरहानपुर, धार, इंदौर, झाबुआ, खंडवा और खरगौन जिले आते हैं । बड़वानी में मदन मोहन मेमोरियल पब्लिक विद्यालय की वंचित वर्ग के बच्चों की फीस संबंधी सूची में भी भारी अनियमितता पाई गई । जांच से पता चला कि इस सूची में ६२ वर्षीय धनीराम को कक्षा २ का छात्र और उनकी १८ वर्षीय बेटी पायल दादू को कक्षा ३ में पढ़नेवाले छात्र संदीप के तौर पर दिखाया गया । सूची में अधिकतर छात्रों के लिए ऐसे ही फर्जी आयडी का उपयोग किया गया । जबलपुर में धनीराम के गांव का इंडिया टुडे नेटवर्क के रिपोर्टर पहुंचे तो उनके भाई डोलीराम ने बताया, “मेरा भाई मांडला में १९६२ में कक्षा ५ तक पढा था । हमने जबलपुर में १९९० से ही रहना शुरू किया परंतु कभी बडवानी नहीं देखा । मैं नहीं जानता कि ये कैसे हुआ !” धनीराम की बेटी पायल दादू ने झाबुआ जिले में अपने गांव में कहा, “मैं कभी बडवानी नहीं गई । मैंने झाबुआ से अपनी विद्यालयी पढाई की । आप जो मुझे बता रहे हैं उसकी मैं पुलिस में शिकायत करूंगी !”
बड़वानी में मदन मोहन मालवीय विद्यालय के मालिक मगन लाल सिंगोरिया से संपर्क किया गया तो उन्होंने पहले तो सिरे से खारिज करने की कोशिश की कि, उनके विद्यालय की ओर से गलत कुछ हुआ है । परंतु जब उन्हें सबूत दिखाए गए तो उन्होंने सारा ठीकरा कम्प्यूटर ऑपरेटर पर ये कहते हुए फोड़ दिया कि उसी के पास आयडी रहती हैं । सिंगोरिया ने ये भी कहा कि ये शायद गलती से हुआ है और वो इसका पता लगाने के बाद कार्रवाई करेंगे !
चंबल डिविजन में हमने भिंड डिविजन में कालका देवी शिक्षा एकेडमी का रियलिटी चेक किया तो वहां भी ऐसी ही कहानी दिखी । ऐसे लोगों को छात्र दिखाया गया जो राज्य से बाहर काम करते हैं । यहां १८ वर्षीय वर्षा कुमारी के पिता राम विलास को कक्षा २ का छात्र दिखाया गया !
मध्य प्रदेश में एक भी ऐसा जिला नहीं दिखा जहां सारे के सारे निजी विद्यालय इस मामले में साफ-सुथरे साबित हुए हों । सरकारी खजाने को चूना लगाने का रास्ता सभी जगह एक जैसा दिखा । हैरानी की बात है कि राज्य के शिक्षा विभाग ने भी निजी विद्यालयों की ओर दी जा रही सूचियों और ब्यौरे की सच्चाई जानने की कोशिश की !
भोपाल के जिला शिक्षा अधिकारी धर्मेंद्र शर्मा से इस विषय पर में बात की गई तो उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस सिलसिले में भोपाल जिले के एक विद्यालय से ऐसी शिकायत मिली । हमारे दो अधिकारी वहां गए परंतु वहां से दस्तावेज गायब मिले । हमने कलेक्टर को लिखा है । जल्दी ही एफआयआर भी दर्ज कराई जाएगी !” इसी तरह अगार-मालवा के जिला शिक्षा अधिकारी के पी नायर के सामने जब ये मुद्दा उठाया गया तो उन्होंने कहा, “ये मामला अभी तक मेरे संज्ञान में नहीं आया है । अगर ऐसी कोई शिकायत आती है तो हम जांच कराएंगे और समुचित कार्रवाई करेंगे !”
कहते हैं बच्चे देश का भविष्य होते हैं । परंतु मध्य प्रदेश के निजी विद्यालयों ने गरीब बच्चों के हक का करोड़ों रुपया जिस तरह डकारा और राज्य का शिक्षा विभाग आंखों पर पट्टी बांधे बैठा रहा, वो अपने आप में ही शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल है !
स्त्रोत : आज तक