शासन कागज के लुगदे से बनाई जानेवाली श्री गणेशमूर्तियोंपर यदि प्रतिबंध नहीं लगाता, तो अवमानना याचिका प्रविष्ट करेंगे ! – हिन्दू जनजागृति समिति

कागज के लुगदे से बनाई जानेवाली श्री गणेशमूर्तियां ही प्रदूषणकारी ! – हरित आयोग का निर्णय

पत्रकार परिषद में बाईं ओर से श्री. शिवाजी वटकर, श्री. अभय वर्तक, अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर एवं वैद्य श्री. उदय धुरी

मुंबई : इको-फ्रेंडली के नाम पर बिक्री की जानेवाली कागज के लुगदे से बनी मूर्तियां पर्यावरण के लिए घातक हैं, इसको स्वीकार करते हुए हरित आयोगद्वारा कागज के लुगदे से बनीं मूर्तियों के लिए प्रोत्साहन देने का शासन के निर्णय पर रोक लगा दी गई है ! हरित आयोग ने यह भी स्वीकार किया है कि १० किलो कागज के लुगदे से बनाई जानेवाली श्री गणेशमूर्ति के कारण १००० लिटर पानी का प्रदूषण होता है, साथ ही शासन किसी भी अनुसंधान के बिना ही कागज के लुगदे से बनाई जानेवाली श्री गणेशमूर्तियों के लिए प्रोत्साहन दे रहा है ! अतः प्रदूषणकारी कागज के लुगदे से बनाई जानेवाली मूर्ति पर्यावरणपूरक होती है, ऐसा कहना तो जनता के साथ धोखाधडी ही है !

शासन इस कागज के लुगदे से बनाई जानेवाली श्री गणेशमूर्तियोंपर यदि प्रतिबंध नहीं लगाता, तो उसके विरोध में हरित आयोगद्वारा दिए गए आदेश की अवमानना करने के संदर्भ में याचिका प्रविष्ट की जाएगी ! हिन्दू जनजागृति समिति के मुंबई प्रवक्ता वैद्य श्री. उदय धुरी ने पत्रकार परिषद में ऐसी चेतावनी दी। मुंबई पत्रकार संघ में संपन्न इस पत्रकार परिषद में सनातन के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. अभय वर्तक, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अध्यक्ष अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर एवं हरित आयोग के पास याचिका प्रविष्ट करनेवाले हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. शिवाजी वटकर उपस्थित थे।

हिन्दू जनजागृति समिति ने विविध अनुसंधान करनेवाली संस्थाएं एवं पर्यावरण विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में अध्ययन कर राष्ट्रीय हरित आयोग के पास एक याचिका प्रविष्ट की थी। इसपर निर्णय देते हुए न्यायाधीश श्री. यु.डी. साळवी एवं विशेषज्ञ सदस्य श्री. अजय देशपांडे ने ३० सितंबर २०१६ को कागज के लुगदे से मूर्ति बनाए जाने के लिए प्रोत्साहन देने के शासन के निर्णयपर रोक लगा दी है !

खडिया मिट्टी से बनाई जानेवाली श्री गणेशमूर्ति जलप्रदूषण को रोकनेवाली तथा अध्यात्मशास्त्र के अनुसार है ! – श्री. शिवाजी वटकर

शासन मूर्तिकारों को खडिया मिट्टी एवं नैसर्गिक रंगों से रंगाई जानेवाली मूर्तियां बनाने हेतु प्रोत्साहन दें। कृत्रिम कुंड, अमोनियम नाईट्रेट का उपयोग कर मूर्ति का विसर्जन करना, मूर्तिदान करने जैसी अघोरी एवं शास्त्र के विपरीत पद्धतियों को बंद कर उसके लिए उपयोग में लाई जानेवाली धनराशि को इन मूर्तिकारों को अनुदान के रूप में दें, साथ ही खडिया मूर्ति से बनाई जानेवाली और नैसर्गिक रंगों से रंगाई जानेवाली श्री गणेशमूर्ति की स्थापना करने के लिए समाज का आवाहन करें ! ऐसा करने से जलप्रदूषण होने का प्रश्‍न ही नहीं उठता तथा इस प्रकार की मूर्ति अध्यात्मशास्त्र के अनुसार होने के कारण उससे धर्मपालन भी होगा। प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदी ने भी हालही में ‘मन की बात’ के माध्यम से खडिया मिट्टी से बनाई जानेवाली मूर्तियों की स्थापना का आवाहन किया है। राज्य शासन एवं पालिका प्रशासन न्यूनतम इसे तो प्रतिसाद देगा क्या ?, ऐसा प्रश्‍न भी श्री. शिवाजी वटकर ने उपस्थित किया।

धर्म के विरोध में चलाए जानेवाले उपक्रमों को यदि बंद नहीं किया गया, तो हिन्दुत्वनिष्ठ संघटन आंदोलन चलाएंगे ! – श्री. अभय वर्तक

सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. अभय वर्तक ने शासन को यह चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘केवल गणेशोत्सव के समय में भी जलप्रदूषण का स्मरण करनेवाले प्रशासन को यदि वास्तविक रूप से जलप्रदूषण रोकना हो, तो सबसे पहले राज्य में स्थित सभी महानगरपालिका एवं नगरपालिकाओंद्वारा जो प्रतिदिन २ अरब ५७ कोटि १७ लाख लिटर धोवनजल को किसी भी प्रक्रिया के बिना नदियां, तालाब आदि जलक्षेत्रों में छोडा जाता है, उस पर पहले प्रक्रिया कर छोडने का प्रारंभ करना चाहिए ! उसे न करते हुए गणेशमूर्तियों के कारण ही प्रदूषण होने का रोना रो कर प्रशासन कृत्रिम कुंडों में विसर्जित गणेशमूर्तियों का उपयोग पत्थर के खदान, गिरे हुए कुएं, गढ्ढों को भरने हेतु करता है, साथ ही इन मूर्तियों का यातायात कूढे-कचरे की गाडियों से कर श्रीगणेश का अनादर करना है, यह अत्यंत क्षोभजनक है; इसलिए प्रशासन हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड करना बंद करें !

इन धर्म विरोधी उपक्रमों को चलाना यदि बंद नहीं किया गया, तोा हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनाएं तीव्रता के साथ आंदोलन खडा करेंगी !’’

किसी भी अनुसंधान के बिना ही कागज के लुगदे से बनाई जानेवाली मूर्तियों को इको-फ्रेंडली (पर्यावरणपूरक) ठहरानेवाला महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण विभाग एवं पुरोगामी संस्थाएं ! – अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर

अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने यह मांग करते हुए कहा, ‘‘कुछ पुरोगामी संघटनों ने पूरे राज्य में धोवनजल के कारण पूरे वर्षतक होनेवाले नदियों के भयंकर प्रदूषण की अनदेखी कर श्री गणेशमूर्तियों के विसर्जन के कारण प्रदूषण होने का दुष्प्रचार किया। इसके फलस्वरूप इस संदर्भ में शासन की ओर से ३ मई २०११ को प्रशासनिक आदेश निकाला, साथ ही महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने भी अपने अंधेपन के कारण लोगों को कागज के लुगदे से बनाई जानेवाली इको-फ्रेंडली गणेशमूर्तियों की स्थापना का आवाहन किया !

इस संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति ने प्रत्यक्षरूप से कुछ प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थाओं की सहायता से कागज के लुगदे से बनाई जानेवाली श्री गणेशमूर्तियों के विसर्जन के कारण उसका पानी पर होनेवाले परिणामों का अध्ययन कर उसका ब्यौरा प्राप्त किया। उससे यह ध्यान में आया कि, प्रत्यक्ष रूप में कागज की लुगदे से बनाई जानेवाली श्री गणेशमूर्तियां ही प्रदूषणकारी हैं, साथ ही ये पुरोगामी संघटन एवं महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण विभाग जनता को झूठी जानकारी दे कर मूर्ख बना रहे हैं !

अतः हिन्दू जनजागृति समिति ने इसके विरोध में राष्ट्रीय हरित आयोग के पास याचिका प्रविष्ट की। अब हरित आयोग के निर्णय से भी कागज के लुगदे से बनाई जानेवाली मूर्ति के कारण प्रदूषण होता है, यह स्पष्ट हुआ है ! अतः शासन हरित आयोग के इस निर्णय का अब तुरंत पालन करे तथा कागज के लुगदे से बनाई जानेवाली गणेशमूर्तियां पर्यावरण को हानि पहुंचानेवाली हैं, साथ ही उनका प्रचार एवं बिक्री करना कानून के विरोध में है, इस संदर्भ में समाज में जागृति करे !’’

कागज के लुगदे के संदर्भ में किए गए अनुसंधान से प्राप्त निष्कर्ष

सांगली के वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. सुब्बारावद्वारा संचालित एनवॉइरनमेंटल प्रोटेक्शन रिसर्च फाऊंडेशन एवं मुंबई की रसायन तंत्रज्ञान संस्था (Institute Of Chemical Technology, Matunga, Mumbai)द्वारा किए गए अनुसंधान से निम्नांकित निरिक्षण प्राप्त हुए –

१. जिस पानी में कागज के लुगदा होता है, उस पानी में जिंक, क्रोमियम, टाईटैनिअम ऑक्साईड जैसे अनेक विषैले धातु का अस्तित्व पााया गया !

२. डॉ. सुब्बाराव के अनुसंधान में जिस पानी में कागज का लुगदा पिघला था, उस पानी में प्राणवायु की मात्रा शून्य तक पहुंचने का स्पष्ट हुआ, जो अत्यंत घातक है !

३. कागज का लुगदा पानी में घुलमिल जानेपर उसके छोटे कण बनते हैं और उसका परिणाम मछलियों की श्‍वसनप्रणाली पर हो सकता है !

४. कागज पर मुद्रण हेतु उपयोग की जानेवाली स्याही पर्यावरणपूरक होगी ही, ऐसा नहीं है !

क्षणचित्र

१. इस पत्रकार परिषद में अनेक पत्रकारों ने कागज के लुगदे से बनाई जानेवाली गणेशमूर्तियों के दुष्परिणाम, साथ ही गणेशोत्सव और हिन्दुओं के अन्य त्यौहारोंपर शासन की ओर से लगाए जानेवाले बंधनों के संदर्भ में समिति का पक्ष जिज्ञासा के साथ जानकर लिया।

२. जी २४ तास, न्यूज ९, जनादेश आदि समाचार वाहिनियों के प्रतिनिधियों ने वक्ताओं से साक्षात्कार लिये।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​