हिन्दू जनजागृति समितिकी सफलता :नाटिकाके माध्यमसे हिन्दु देवताआेंका विडंबन करनेवाले विनोदोत्तम करंडक के आयोजकोंने मांगी क्षमा !

कार्तिक अमावस्या, कलियुग वर्ष ५११६

  • विनोदोत्तम करंडकके आयोजकोंद्वारा हिन्दू जनजागृति समितिके कार्यकर्ताओंसे क्षमायाचना !
  • एकांकिकाओंके माध्यमसे हिन्दू देवी-देवताओंका विडंबन

HJS_logoपुणे (महाराष्ट्र) – ‘पुनः एक बार कनपटीमें,’ ‘कनपटीके नीचे गणपति निकालूंगा’ समान एकांकिकाओंके माध्यमसे श्री गणपति, श्री मारुति तथा श्री भवानीमाताका मनोरंजन हेतु उपयोग होकर उनका विडंबन होनेके प्रकरणमें विनोदोत्तम करंडकके आयोजकोंने हिन्दू जनजागृति समितिके कार्यकर्ताओंसे क्षमायाचना की । नाटकोंके माध्यमसे देवी-देवताओंका अयोग्य पद्धतिसे प्रस्तुतिकरण करनेसे देवी-देवताओंका अवमान होता है, इस संदर्भमें जब हिन्दू जनजागृति समितिके कार्यकर्ताओंने आयोजक श्री. हेमंत नगरकरका प्रबोधन किया, तब उन्होंने विडंबनके संदर्भमें समितिसे क्षमायाचना करते हुए कहा कि भविष्यमें इस प्रकार विडंबनात्मक पद्धतिसे देवी-देवताओंका उपयोग मनोरंजनके लिए न करनेपर वे ध्यान देंगे । उन्होंने कहा कि इस विडंबनके लिए हम क्षमायाचना करते हैं । आपकी भावनाओंको हमने परीक्षक एवं नाटकके लेखकतक पहुंचाया है । उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि यदि ये नाटक अन्यत्र कहीं प्रस्तुत होनेवाले हैं, तो हम उसका अंतिम भाग परिवर्तित करनेके लिए कहेंगे ।

१. केवल लोगोंके मनोरंजन हेतु चालू किए गए विनोदोत्तम करंडक प्रतियोगितामें कुछ एकांकियोंके माध्यमसे हिन्दू देवी-देवताओंका अश्‍लाघ्य पद्धतिसे विडंबन हो रहा था ।

२. १० अक्तूबरको सप्तश्रृंगी ग्रुप निर्मित ‘पुनः एक बार कानके नीचे’ एवं कोलाज क्रिएशन निर्मित ‘कानके नीचे गणपति निकालूंगा’ एकांकिका प्रस्तुत की गई । इन एकांकियोंके  माध्यमसे विनोदके नामपर श्रद्धा, देवदर्शन तथा गणपतिने दूध पिया इस अनुभूतिका हंसीमजाक किया गया । दोनों एकांकियोंके साधारण तौरपर ढांचा एक ही था ।

३. एक व्यक्तिके गालपर एकने मुंहमें मारनेपर गणपति उभरता है । तदुपरांन्त गालपर प्रकट हुए गणपतिका दर्शन लेने हेतु लोगोंकी भीड होती है । तत्पश्चातकैसे कैसे प्रसंग उत्पन्न होते हैं, यह एकांकियोंमे दर्शाया गया है ।

कानके नीचे गणपति निकालूंगा इस एकांकीमें किया गया विडंबन के कुछ प्रसंग

१. पानसे नामक गृहस्थके पुत्रके गालपर गणपतिके उभर आनेसे पानसे एवं उनके पडोसमें रहनेवाले नाना नामक गृहस्थ उस लडकेको घरमें ही टेबलपर बिठाते हैं एवं गलेमें माला पहनाते हैं ।

२. लडकेके गालपर गणपति प्रकट होनेका समाचार गलीमें फैलनेपर उनके दर्शन हेतु लोगोंकी भीड होती है ।

३. इस माध्यमसे व्यवसाय होनेके उद्देश्यसे फूल विक्रेता बाई वहां फूल बेचनेके लिए आती है ।

४. गांवका एक युवक गणपतिके सामने (लडकेके सामने ) दक्षिणापेटी रखता है एवं कहता है कि दक्षिणापेटी रखनेसे लोग केवल प्रसाद ग्रहण कर नहीं जाएंगे, अपितु दक्षिणा भी डालेंगे । इसमें ५० प्रतिशत दक्षिणा आप लें एवं मैंने यह संकल्पना सुझाई, इसलिए मुझे ५० प्रतिशत दें ।

५. प्रसिद्धिमाध्यमका एक प्रतिनिधि इस घटनाका वार्तांकन करने हेतु आता है । गणपति ठीक कैसे प्रकट हुआ, इस विषयमें पूछनेपर पानसे गृहस्थ कहते हैं कि कुछ कारणोंसे मैंने लडकेके मुंहमें मारा, इसलिए यह गणपति प्रकट हुआ । इसपर वार्ताहर कहता है कि आप लडकेको प्रताडित कर रहे हो एवं लोगोंको फंसा रहे हो, इसलिए आपका निषेध करता हूं ।

६. तदुपरांन्त वहां आया पानसेके लडकेका मित्र कहता है कि उसने ही गालपर गणपति रंगाया है । पानसे उनके पुत्रका निरंतर मारते हैं तथा घरमें गणपति बिठानेके लिए कुछ कारणसे विरोध करते रहते हैं । इसलिए मुंहमें मारनेके  पश्चात गालपर गणपति प्रकट होनेका नाटक किया, ऐसा कहता है ।

७. अंतमें पानसे गृहस्थ लडकेके आनंदके लिए घरमें गणपति बिठाना स्वीकार करते हैं ।

८. इतनेमें अंतमें पडोसकी गलीमें कहीं तो भी श्री मारुति प्रकट होनेका समाचार फैलता है एवं सभी मारुति देखने हेतु चले जाते हैं ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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