भाद्रपद कृष्ण पक्ष पंचमी, कलियुग वर्ष ५११६
हिन्दूनिष्ठ संगठन का विरोध करने की प्रथा
गोवा मन्त्रीमण्डल के हिन्दू धर्मप्रेमी मन्त्री तथा समस्त हिन्दू धर्माभिमानियों को विनती !
ये श्रीराम सेना का विरोध नहीं, इससे समस्त हिन्दूनिष्ठ संगठनों का भी अनादर हो रहा है !
पू. संदीप आळशी |
गोवा मन्त्रीमण्डल के मा. श्री. सुदिन ढवळीकर, मा. श्री. दीपक ढवळीकर के समान हिन्दू धर्मप्रेमी मन्त्रियों का राजनीतिक विचार करने की अपेक्षा अभी तक उनके द्वारा प्रदर्शित हिन्दू धर्म एवं संस्कृतिपर विद्यमान प्यार के लिए उनके प्रति सर्व हिन्दू धर्माभिमानियों के मन में आदर तथा विश्वास का स्थान जागृत हुआ है । अब गोवा के मुख्यमन्त्री हिन्दू संस्कृति की रक्षा हेतु प्रयास करने वाले श्रीराम सेना को गोवा में कार्य करने से प्रतिबन्ध लगा रहे हैं । एक हिन्दूनिष्ठ संगठन का इतना विरोध क्यों हो रहा है ? यदि इच्छा है, तो शासन उन संगठनों पर शर्त लगा सकता है तथा उन शर्तोंके विरोधमें जाकर उन संगठनोंने कुछ कार्य किया, तो निश्चित ही उन संगठनों के कार्य पर प्रतिबंध लगा सकता है । शासन यह क्यों नहीं करता, अब समस्त हिन्दुओं को शासन से ऐसा प्रश्न पूछना चाहिए ।
मद्य, पब, बलात्कार, अपराध आदि के कारण गोवा का नाम पहले से ही अपकीर्त हो चुका है । ऐसा होते हुए भी हिन्दू संस्कृति की रक्षा का कार्य करने वाले लोगों को गोवा में आकर कार्य करने के लिए प्रतिबन्ध लगाने वाले मुख्यमन्त्री के निर्णय के विरोध में मा. श्री. सुदिन ढवळीकर, मा. श्री. दीपक ढवळीकर के समान हिन्दू धर्मप्रेमी मन्त्रियों को वक्तव्य देना चाहिए ।
सर्व हिन्दूनिष्ठों से ऐसी ही विनती है । पूरे विश्वमें सुख-शान्ति-समृदि्ध निर्माण होने के लिए अब हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना अनिवार्य है । मद्य, पब, बलात्कार जैसी कुप्रथाएं जहां निवास करती हैं, क्या वहां कभी हिन्दू राष्ट्रका निर्माण हो सकता है ? तो इन कुप्रथाओं के उच्चाटन का आरम्भ गोवा से ही क्यों न करें ? मुख्यमन्त्री के निर्णय के कारण एक हिन्दूनिष्ठ संगठन का विरोध करने की प्रथा आरम्भ हो रही है । साथ ही केवल श्रीराम सेना का विरोध हो रहा है, ऐसा नहीं, तो यह ध्यान में रखें कि इससे समस्त हिन्दूनिष्ठ संगठनों का भी अनादर हो रहा है । अतः गोमंतक के ही नहीं, अपितु पूरे देशके हिन्दूनिष्ठ संगठनों तथा हिन्दू धर्मप्रेमियों को इस सन्दर्भ में गोवा के मुख्यमन्त्री को चेतावनी देनी चाहिए । राष्ट्रीय हिन्दू आन्दोलन के माध्यम से भी यह विषय राष्ट्रीय स्तर पर ज्वलन्त होना चाहिए ।
– (पू.) श्री. संदीप आळशी
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात