श्रावण कृष्ण पक्ष पंचमी, कलियुग वर्ष ५११६
पू. (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे |
काठमांडु (नेपाल) – नेपालके मासिक ॐकार वाणीद्वारा आयोजित विचारविमर्शमें (वार्तालापमें) हिन्दू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेद्वारा यह प्रतिपादन किया गया कि, त्यागमय जीवन व्यतित करनेवालोंका राष्ट्र अर्थात् हिन्दू राष्ट्र ! जो हिन्दू राष्ट्र स्थापित करने हेतु प्रयास कर रहे हैं, उन्होंने त्यागकी भावना रखकर कार्य करना आवश्यक है । तन, मन, धन एवं समय आनेपर धर्म हेतु प्राण भी अर्पण करनेकी सिद्धता होनी चाहिए । साथ ही पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेने इस प्रकार वक्तव्य किया कि,
१. हिन्दू राष्ट्र स्थापनाका आंदोलन एक आध्यात्मिक चेतना है । एक आदर्श समाजव्यवस्था निर्माण करनेके लिए हिन्दू ओंको साधनाके माध्यमसे अपना आध्यात्मिक बल वृद्धिंगत करना आवश्यक है ।
२. आध्यात्मिक ज्ञानके विना विज्ञान अपूर्ण है । साधना करनेके पश्चात् ही आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं ।
३. राजनेताओंका आचरण धर्मसम्मत होना चाहिए । अधर्मी व्यक्तिओंको दंड देना तथा साधुओंकी रक्षा करना, यही उनका राजधर्म है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात