जयपुर – घर के लिए खरीदे जाने वाले सोने-चांदी के आभूषण ही मिलावटी नहीं है, बल्कि भगवान को चढ़ाए जाने वाले गहने-छत्र भी नकली बिक रहे हैं। दैनिक भास्कर सोने-चांदी के गहनों में मिलावट का लगातार खुलासा कर रहा है।
इसी श्रृंखला में प्रदेश के ७ प्रमुख मंदिरों के बाहर दुकानदारों से ११ छत्र व आभूषण खरीदकर उनकी जांच कराई गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। कैलादेवी से खरीदे गए एक छत्र में तो चांदी थी ही नहीं, यानी ० प्रतिशत। बाकी १० सैंपल भी फेल निकले। इनमें ८० से १०० प्रतिशत तक चांदी होने का दावा किया गया था, लेकिन असलियत में चांदी ५० से ८० प्रतिशत के बीच निकली। मंदिर के ट्रस्टियों ने भी मिलावट की बात को माना। उन्होंने कहा-भक्त जो गहने, छत्र आदि चढ़ाकर जाते हैं, उन्हें बाद में शुद्ध चांदी में बदलवाते हैं तो २५ से ३० फीसदी से ज्यादा चांदी नहीं निकलती। मंदिर प्रबंधकों का कहना है कि गांव-कस्बों में तो हालात इससे भी खराब हैं। श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
भास्कर ने प्रदेश के ७ प्रमुख मंदिरों के बाहर से लिए छत्र-आभूषणों के ११ सैंपल, सारे फेल, कैलादेवी मंदिर के एक छत्र में तो ०% चांदी निकली ।
भास्कर ने ७ मंदिरों से जुटाए सैंपल, लैब से कराई जांच
भास्कर के रिपोर्टर खाटूश्यामजी, सालासर बालाजी, जीणमाता, करणी माता, रामदेवरा, मेहंदीपुर बालाजी तथा कैला देवी मंदिर पर पहुंचे। इन मंदिरों के बाहर या आसपास की दुकानों से ये छत्र-आभूषण खरीद गए थे। इनकी जयपुर में सर्राफा ट्रेडर्स कमेटी की लैब से जांच कराई।
चांदी के आभूषणों-छत्रों की भी हॉलमार्किंग हो एक-चौथाई ही होती है चांदी
मंदिर में चांदी के छत्र ज्यादा हो जाते हैं तो उनको टंच कराते हैं। २५% तक ही चांदी निकलती है।
छत्र लोहे का, लेप चांदी का
चढ़ावे में ऐसे छत्र भी आते हैं, जो लोहे के होते हैं, लेकिन लेप चांदी का होता है। – सुनील पाराशर, ट्रस्टी, श्रीजीणमाता मंदिर ट्रस्ट
गलवाने पर निकलता है खोट
श्रद्धालु आस्था से मंदिर में छत्र या आभूषण चढ़ाता है। इसके लिए पूरी कीमत भी चुकाता है। लेकिन जब इन छत्रों को मंदिर में उपयोग के लिए गलवाते हैं तो चांदी बेहद कम निकलती है। इनकी भी हालमार्किंग होनी चाहिए। – विजय कुमार पुजारी, अध्यक्ष, हनुमान सेवा समिति, सालासर
नकली से बचने के लिए असली दुकानें
धोखाधड़ी से बचाने के लिए मंदिर में १४ उचित मूल्य की दुकानें आंवटित की हैं। यहां शुद्ध चांदी के छत्र रखने की हिदायत दी गई है। – महेश शर्मा, प्रबंधक, श्री कैला मंदिर ट्रस्ट
स्त्रोत : दैनिक भास्कर