राष्ट्रीय हिंदू आंदोलनकी ओरसे नांदेडमें होनेवाले आंदोलनको पुलिसने अनुमति देना अस्वीकार किया,

अश्विन शुक्ल ४ , कलियुग वर्ष ५११५

  • अतिदक्षताके आदेशका कारण दिया

  • जादूटोनाविरोधी अधिनियममें विरोध करने जैसा कुछ भी न होनेका हास्यास्पद प्रतिवाद

नांदेड – जादूटोनाविरोधी अधिनियम, प.पू. आसारामबापूको लैंगिक शोषणके कथित अपराधमें लगी हथकडी, मुजफ्फरनगरमें धर्मांधो द्वारा दंगेमें की गई हिंदुओंकी हत्या आदि हिंदू धर्मपर हुए आघातोंके विरुद्ध यहांके विद्यानगरके श्रीनगर स्थित बी.के. सभागृहके बाहर राष्ट्रीय हिंदू आंदोलनकी ओरसे ६ अक्तूबरको आंदोलन किया जानेवाला था । इस आंदोलनको विभागीय पुलिस अधिकारी विजय कबाडेने अनुमति देनेसे अस्वीकार किया । उन्होंने कहा, नांदेड शहरमें नवरात्रोत्सव, बकरी ईद तथा सिक्खोंके कार्यक्रमके कारण अतिदक्षताके आदेश दिए गए हैं । आप शांतिसे आंदोलन करोगे, किंतु आपपर किसी धर्मांधने पथराव किया तो, क्या होगा ? अत: आपको अनुमति नहीं दे सकते। (वैध पद्धतिसे होनेवाले हिंदुओंके आंदोलनको धर्मांधोंके डरसे अनुमति न देनेवाली पुलिस जनताकी क्या रक्षा करेगी ? ऐसी पुलिसका जनताके पैसोंसे क्यों पोषण करना ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) इस आंदोलनको अनुमति देने हेतु मांग करने गए हिंदू जनजागृति समितिके कार्यकर्ताओंको ही पुलिस अधिकारियोंने फौजदारी दंडसंहिता धारा १४९ नुसार नोटिस दी । (पुलिसकी मुगलाई ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
६ अक्तूबरको होनेवाले आंदोलनके संदर्भमें ४ अक्तूबरको स्थानीय पुलिस थानामें निवेदन दिया गया; किंतु उन्होंने उस विषयमें कार्यकर्ताओेंको विभागीय पुलिस अधिकारियोंके पास भेजा । समितिके कार्यकर्ताओंसे भेंट करनेपर कबाडेने कहा कि जादूटोनाविरोधी अधिनियमका विरोध करें, ऐसा कुछ नहीं है । आप इसका ठीक चिंतन करें । (हिंदू धर्मपर आघात करनेवाले जादूटोनाविरोधी अधिनियमका संत, हिंदुत्ववादी संगठन तथा वारकरियोंद्वारा बडी मात्रामें विरोध हो रहा है । वारकरियोंद्वारा शिवसेनाके श्री. उद्धव ठाकरेसे भेंट करनेपर, उन्होंने भी इस अधिनियमका समर्थन नहीं किया । ऐसी स्थितिमें एक प्रशासकीय अधिकारी जनभावना ध्यानमें न लेते हुए, किसी प्रस्तावित अधिनियमका समर्थन कर क्या साध्य करना चाहते हैं ? प्रशासकीय अधिकारियोंको हिंदुओंकी धर्मभावना दुर्लक्ष कर उसे पांवतले कुचलनी है, ऐसा सोचनेमें क्या चूक है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

पुणेमें भी अनुमति देनेमें टालमटोल !

पुणे : यहांके कोथरूड स्थित शिवाजी पुतला चौकमें राष्ट्रीय हिंदू आंदोलनकी आोरसे ६ अक्तूबरको आंदोलन किया जानेवाला था। आंदोलन हेतु अनुमति लेने हिंदू जनजागृति समितिके एक कार्यकर्ता ३ अक्तूबरको कोथरूड पुलिस थाना गए थे । वहांके वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक कल्याणराव विधातेने कार्यकर्ताको जादूटोनाविरोधी अधिनियमसे विरोधका कारण पूछा ; किंतु उसका उत्तर न सुनते हुए एक कर्मचारीको उस कार्यकर्ताके साथ अन्य कार्यकर्ताओंके नाम, पते आदि लिखकर लेनेको कहा । तीन कार्यकर्ताओंके नाम देनेपर भी उन्होंने अन्य ७-८ कार्यकर्ताओंके नाम देनेकी मांग की । पुलिसने निवेदनकी रसीद देना भी अस्वीकार किया । ( पुलिस थानामें ही नियमोंकी धज्जियां उडानेवाली पुलिस, कहते हैं, कानूनके रक्षक हैं ! – संपादक , दैनिक सनातन प्रभात ) तदुपरांत दूसरे दिन कार्यकर्ताओंद्वारा संपर्क करनेपर अन्य ७-८ कार्यकर्ताओंके नाम दिए बिना अनुमति नहीं दूंगा, ऐसे बताया । अत: समितिने नियोजित स्थलमें परिवर्तन किया । (हिंदुत्वरक्षा हेतु कार्य करनेवाली हिंदू जनजागृति समितिको बिनाकारण छलनेवाली पुलिस ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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