‘फॅक्ट’ प्रदर्शनी और उसकी फलनिष्पत्ति


सारणी


(सूचना : यह विषय अधिवेशनमें भाषणके स्वरुपमे प्रस्तुत किया जाएगा |)

१. पृष्ठभूमि

१ अ. समितिद्वारा आयोजित प्रदर्शनीका उद्देश्य

        कश्मीरकी घाटी और बांग्लादेशमें धर्मांध जिहादी मुसलमानोंद्वारा किया जा रहा हिंदुओंका वंशविच्छेद, हिंदू महिलाओंपर बलात्कार और देवालयोंकी तोडफोड इत्यादि अत्याचारोंसे पीडित कश्मीरी हिंदुओंको ई.स. १९९० में घरद्वार छोडकर केवल पहने हुए वस्त्रोंसहित पलायन करना पडा । विश्वमें हुए बडे विस्थापनोंमेंसे एक अर्थात ५ लक्ष हिंदुओंका विस्थापन एक गंभीर घटना थी । मुगलकालके समान घोर अत्याचार, हिंदू माताओं-बहनोंपर हुए बलात्कार, ये सब स्वतंत्रता प्राप्तिके उपरांत कश्मीरी हिंदुओंको झेलने पडे । यह लज्जास्पद है कि उनकी सहायताके लिए शेष भारतसे और कोई नहीं आया । वास्तवमें तथाकथित धर्मनिरपेक्ष कांग्रेस सरकारने कश्मीरी हिंदुओंपर हो रहे अत्याचारोंके समाचार कश्मीरके बाहरके रहनेवाले हिंदुओंको न मिले, इसकी पूरी व्यवस्था की और वह उसमें सफल भी रही ।

        भारतका शेष हिंदू समाज अपने कश्मीरी हिंदू बंधुओंपर हो रहे अत्याचारोंसे पूर्णतः अनभिज्ञ था । उस समय एक फ्रेंच पत्रकार माननीय फ्रांसिस गोतिएने स्वयं जन्मसे हिंदू न होकर भी कर्मसे हिंदू बनकर कश्मीरी हिंदुओंके न्यायके लिए लडना आरंभ किया । जू और अन्योंपर हुए अत्याचारोंकी प्रदर्शनी विश्वमें सर्वत्र हैं; परंतु हिंदुओंपर हुए अत्याचारोंकी प्रदर्शनी कहीं भी नहीं है । इसीलिए उन्होंने कश्मीर और बांग्लादेशमें जाकर चित्र-प्रदर्शनी निर्माण की । उनके इस कार्यसे प्रभावित होकर ‘हिंदू जनजागृति समिति’ने चित्रप्रदर्शनीका कार्य पूरे बलके साथ सबके समक्ष लानेका निश्चय किया एवं उसे वास्तविक स्वरूप भी दिया ।

        ‘हिंदू जनजागृति समिति’ने यह प्रदर्शनी हिंदू धर्मजागृति सभा, उत्सव, देवालयों, मेलोंमें, हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंके विविध कार्यक्रमोंके माध्यमसे संपूर्ण भारतमें प्रदर्शित कर जनजागृति की । साथ ही जालस्थानोंके (वेबसाईटके) माध्यमसे विश्वके लाखों हिंदुओंतक यह विषय पहुंचाया । इस प्रदर्शनीके माध्यमसे ‘भारतके हिंदुओंका वंशविच्छेद कर मुसलमानोंका राज्य स्थापित करना’, यह अंतरराष्ट्रीय स्तरपर चलनेवाला षडयंत्र जनताके समक्ष लानेका प्रयास हमने किया । समितिके इस कार्यका संक्षिप्त ब्यौरा मैं आपके समक्ष रखना चाहता हूं ।

 

२. प्रदर्शनियोंका आयोजन

२ अ. अबतक यह प्रदर्शनी महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, केरल, दिल्ली, गोवा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा आदि राज्योंमें स्थानीय भाषाओंमें प्रदर्शित की गई है । विविध भाषाओंमें इस प्रदर्शनीसे संबंधित संच बनाए गए हैं ।

२ आ. देशभरमें आजतक २६३ स्थानोंपर प्रदर्शनी लगाई गई । उसका लाभ ५ लक्ष ८ सहस्त्रो ६४२ लोगोंने उठाया है ।

२ इ. आयोजन कहां-कहां कर सकते हैं ?

१. प्रत्येक सप्ताह ताल्लुकामें १-२ दिनोंकी अथवा छोटे गांवोंमें १ दिनकी प्रदर्शनीका आयोजन कर सकते हैं ।

२. विवाह, उपनयन इत्यादि घरेलू कार्यक्रमोंमें

३. सोसायटीके सार्वजनिक कार्यक्रम, सत्यनारायण पूजा, मंदिरोंमें उत्सवोंके समय, धार्मिक उत्सवोंमें, मेलोंमें

४. हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंके सार्वजनिक कार्यक्रमोंमें

५. राष्ट्रीय दिन, विशेष प्रसंग, पाठशाला-महाविद्यालय, पत्रकार संघ, साहित्य सम्मेलन साथ ही प्रसिद्ध वक्ताओंके सार्वजनिक प्रवचनमें

        ‘फॅक्ट’ प्रदर्शनी लगाते समय संपूर्ण प्रदर्शनीके लिए पर्याप्त स्थान और श्रम शक्ति उपलब्ध हो, तो वहां संपूर्ण प्रदर्शनी लगा सकते हैं । स्थल छोटा हो, तो चुनिंदा फलक ही लगाए जा सकते हैं । इस प्रदर्शनीका मुख्य उद्देश्य ‘समाजको इस विषयमें जाग्रत करना’, है । यह जागृति हम चुनिंदा फलक अथवा सभी फलक लगाकर भी कर सकते हैं ।

 

३. फलोत्पत्ति (फलनिष्पत्ती)

३ अ. हिंदू-संगठनकी दृष्टिसे हुए लाभ

३ अ १. कश्मीरी पंडितोंको सहानुभूति मिलकर उनका मनोबल बढना

        कश्मीरी पंडितोंके एक संगठन ‘पनून कश्मीर’के पदाधिकारी जब समितिके कार्यकर्ताओंके संपर्कमें आए, तब उन्हें ज्ञात हुआ कि यह प्रदर्शनी देशभरमें प्रदर्शित की जा रही है । उस समय उन्हें समितिके प्रति अपनापन लगा । यह प्रदर्शनी देखलेवाले कश्मीरी हिंदू भाइयोंने कहा कि ‘‘इ.स. १९९० से हमें हमारे ही देशसे विस्थापित होना पडा । हमारे ही देशमें हम बेघर हो गए । हम लोगोंपर अमानवीय अत्याचार हुए । समितिद्वारा इस प्रदर्शनीके माध्यमसे हमपर हुए अमानवीय अत्याचार देशभरमें पहुंचनेके कारण अब हमें विश्वास होने लगा है कि ‘हम भी हिंदू धर्मका ही भाग हैं । इस देशमें हमारा हित देखनेवाले अन्य हिंदू भी हैं ।’’ इस प्रकार यह प्रदर्शनी हिंदू संगठनकी दृष्टिसे उपयोगी एवं पोषक सिद्ध हुई ।

३ अ २. कश्मीरी हिंदुओंके लिए लडनेवाले संगठनोंसे धर्मबंधुत्वका संबंध निर्माण होना

        प्रदर्शनीके उपरांत कश्मीरी पंडितोंके संगठन तथा उनके प्रमुख नेता हिंदुओंपर हुए अत्याचारके विरोधमें समितिके साथ एकत्रित आए हैं और अब उन्होंने उपक्रमोंका आयोजन करना आरंभ किया है । हिंदू धर्मजागृति सभा, दुर्ग आंदोलन आदि अनेक कार्यक्रमोंमें कश्मीरी पंडितोंके प्रमुख नेता हिंदुओंका मार्गदर्शन करते हैं । इस कारण अन्य संगठनोंके साथ घनिष्ठता बढने लगी है ।

३ आ. प्रबोधनकी दृष्टिसे हुए लाभ

३ आ १. जनजागरण

        अनेक स्थानोंपर लोगोंद्वारा प्रतिक्रिया व्यक्त की गई कि ‘‘कश्मीरी हिंदुओंकी परिस्थितिका ज्ञान हमें आपके द्वारा प्राप्त हुआ है । प्रसारमाध्यमों तथा राज्यकर्ताओंने जानकारी हमतक कभी पहुंचने ही नहीं दी ।’’, ऐसी तीव्र प्रतिक्रियाएं जनता एवं मान्यवरोंने व्यक्त कीं । इसका अर्थ है कि अब इस समस्याके प्रति उनमें जाग्रति निर्माण हुई है ।

३ आ २. कृत्य करनेके लिए प्रोत्साहित होनेके कुछ उदाहरण

        यह प्रदर्शनी देखनेके उपरांत अनेक स्थानोंपर पत्रकार, अधिवक्ता, अनेक मान्यवर, सेवानिवृत्त सैनिक, युवकोंके गुट इत्यादिने समितिके इस कार्यकी प्रशंसा की तथा समितिके कार्यमें सम्मिलित होनेकी तैयारी दर्शाई है । पत्रकारोंने भी इस विषयका व्यापक प्रसार किया है । इन सभी लोगोंकी सोच समितिके संदर्भमें सकारात्मक होने लगी है । इससे समितिके कार्यको सहायता मिलने लगी है । संक्षेपमें, इस प्रदर्शनीके माध्यमसे अत्याचारोंके प्रति संवेदनशील व्यक्ति समितिके कार्यमें सम्मिलित होने लगे हैं । मुंबईके प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिरद्वारा यह प्रदर्शनी उनके सभागृहमें लगानेकी अनुमति प्रदान की गई तथा इस माध्यमसे उन्होंने आतंकवादविरोधी भूमिका लाखों लोगोंतक पहुंचानेमें सहायता की है ।

 

४. प्रदर्शनीको हुआ विरोध और उसे दिया गया प्रत्युत्तर !

४ अ. वाराणसीमें मुसलमान अधिवक्ताओंके विरोधकी परवाह न करते हुए हिंदू अधिवक्ताओंने प्रदर्शनी लगाई !

        इस प्रदर्शनीसे हिंदुओंमें जागृति होकर, वे ‘हिंदू राष्ट्रकी स्थापना’ हेतु प्रेरित हो सकते हैं । इसपर उपायस्वरूप हिंदुओंको संगठित होकर लगनपूर्वक इस प्रदर्शनीके आयोजनका प्रयास करना चाहिए । वाराणसीमें बार काउन्सिलके सौजन्यसे इस प्रदर्शनीका आयोजन करते समय मुसलमान अधिवक्ताओंने इसका विरोध किया था । उस समय वहां २०० हिंदू अधिवक्ताओंने इस प्रदर्शनीको संगठितरूपसे सफल बनाया तथा यह विषय न्यायालयके अधिवक्ता, न्यायमूर्ति तथा जनता तक पहुंचाया ।

४ आ. इचलकरंजी, महाराष्ट्रमें पुलिसका विरोध होते हुए भी प्रदर्शनी लगाना !

        इचलकरंजी (जिला कोल्हापुर, महाराष्ट्र) में यह छायाचित्र-प्रदर्शनी लगाई गई थी । उस समय ‘इस प्रदर्शनीसे समाजमें मतभेद निर्माण होते हैं’, कहकर वहांके एक पुलिस निरीक्षकने विरोध दर्शाया था । रिक्षापर ध्वनिक्षेपक लगाकर प्रदर्शनीके प्रसार हेतु १० दिन पूर्व पुलिससे लिखित अनुमति मांगी थी; परंतु अंततक पुलिस अनुमति देनेके लिए टालमटोल करती रही । प्रदर्शनी लगानेके उपरांत प्रदर्शनीस्थलपर आकर प्रदर्शनीको बलपूर्वक हटवानेका प्रयास किया । उस समय अन्य हिंदुत्ववादी संगठनोंके पदाधिकारी संगठित हुए तथा यह प्रदर्शनी लगाई गई ।

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​

JOIN