रायगड (महाराष्ट्र) : जिला परिषद विद्यालय के निर्माणकार्य में हुआ भ्रष्टाचार हिन्दू विधिज्ञ परिषद द्वारा उजागर

  • सरकारी विद्यालयों की दुर्गति – विद्यालय के जीर्ण भवन में बैठते हैं आदिवासी विद्यार्थी

  • हिन्दू विधिज्ञ परिषद के प्रयास की सफलता – निर्माणकार्य की निधि खानेवालों के विरोध में अपराध प्रविष्ट करने के न्यायालय के आदेश !

रायगढ : जिला के वरसई ग्रामपंचायत क्षेत्र में आनेवाले वरसई कातकरवाडी का जिला परिषद प्राथमिक विद्यालय बच्चों के लिए बेहद खतरनाक हो चुका है। एवं वह किसी भी क्षण गिरने की कगार पर है। ये बात तब सामने आई जब हिन्दू विधिज्ञ परिषद के सदस्य श्री. विक्रम भावे ने इस विद्यालय के स्थिती का प्रत्यक्ष सर्वेक्षण किया। सूचना अधिकार के तहत श्री. भावे ने विद्यालय के निर्माण कार्य की जानकारी मांगी इसमें शासनद्वारा उपलब्ध निधी में बडी मात्रा में भ्रष्टाचार होने की बात सामने आई। इस प्रकरण में गुट विकास अधिकारी, पंचायत समिति, पेण, एवं पेण पुलिस स्टेशन और जिला पुलिस अधीक्षक के पासलापरवाही बरतने वाले लोगों के विरोध में हिन्दू विधिज्ञ परिषद की आेर से शिकायतें की गई। परंतु काई भी कार्यवाही न होने के कारण रामनाथ (अलीबाग) के विशेष न्यायालय में निवेदन प्रस्तुत किया गया। उसके बाद न्यायालय ने संबंधित आरोपियों पर अपराध प्रविष्ठ कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश पुलिस को दिया है। हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने यह जानकरी प्रेस विज्ञप्ति की माध्यम से दी।

प्रेस विज्ञप्ति लिखा है कि . . .

१. वरसई ग्रामपंचायत क्षेत्र में आनेवाली कातकरवाडी के जिला परिषद प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों ने गाँव के निवासी हिन्दू विधिज्ञ परिषद सदस्य तथा सूचना अधिकार कार्यकर्ता श्री. विक्रम भावे के पास विद्यालय के लिए मदत करने का अनुरोध किया।

२. विद्यालय कैसा है यह देखने के बाद उसे मदत करेंगे एेसा सोचकर श्री. भावे अगस्त २०१६ को उक्त विद्यालय देखने गए। उस समय विद्यालय की स्थिति देखकर वे हैरान रह गए।

३. आदिवासी छात्रों को उनके मूल अधिकारों से कैसे वंचित रखा गया है  यह बात श्री. भावे के ध्यान मे आने के लिए समय नही लगा। उन्होने विद्यालय के कुछ तस्वीरें निकालीं एवं इसकी शिकायत प्रधान मंत्री कार्यालय, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री एवं आदिवासी विकास मंत्री के पास दी।

४. इसके बाद केवल आदिवासी विकास मंत्री के कार्यालय से पेण पंचायत समिति के पास एक पत्र प्राप्त हुआ आैर शिक्षा अधिकारियों एवं कनिष्ठ अभियंताओं की भागदाैड शुरु हो गई। विद्यालय की मरम्मत के लिए बचा हुआ निधी खर्च कर मरम्मत का काम शुरु हुआ। परंतु इस विषय में श्री. भावे को कोई भी जानकारी नही दी गई आैर न ही किसीपर काेई कार्यवाही हुई।

५. प्रकरण की गंभीरता ध्यान में लेते हुए श्री. भावे ने सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी इसमें चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। इस प्रकरण में समूह विकास अधिकारी, पंचायत समिति, पेण, एवं पेण पुलिस स्टेशन और जिला पुलिस अधीक्षक के पास संबंधित जिम्मेदार लागों के विरोध में शिकायत की। परंतु काेई भी कार्यवाही नहीं की गई।

६. अंत में हिन्दू विधिज्ञ परिषद की आेर से इस प्रकरण में दोषी ग्रामशिक्षण समिति के उपाध्यक्ष तथा वारसाई ग्राम पंचायत की उपसरपंच ज्योत्स्ना होजगे एवं उनके पती चंद्रकांत होजगे (पूर्व सरपंच, वरसई ग्रामपंचायत) पर अपराध प्रविष्ट दर्ज किया जाए इसलिए अलिबाग के विशेष न्यायालय में मांग की गई आैर इस लढाई को सफलता मिली।

७. इस प्रकरण में विशेष न्यायालय में सुनवाई की गई। संबंधित आरोपियों पर अपराध प्रविष्ठ कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश  न्यायालय ने  पुलिस को दिया।

जिला परिषद के विद्यालय की विदारक स्थिति

१. संपूर्ण विद्यालय की छत टपक रही थी । टपक रही छत से पानी रोकने के लिए विद्यालय में स्थान स्थान पर बालटियां आदि बरतन रखे हुए थे ।

२. प्रधानाध्यापक के लिए स्वतंत्र कक्ष था; परंतु उसका दरवाजा टूटा हुआ था तथा कक्ष में प्रचंड गंदगी फैली हुई थी ।

३. विद्यार्थियों का प्रसाधनगृह किसी भी समय टूटने की स्थिति में था तथा उपयोग करने लायक भी नहीं था ।

४. विद्यार्थियों के लिए मध्यान्ह भोजन बनाने के कक्ष और पानी की टंकी के भग्नावशेष शेष रह गए थे ।

५. छत और दीवार में दरार पडी हुई थी ।

६. कुछ खिडकियों में दरवाजे नहीं थे तथा जिसमें थे, वे सुस्थिति में न होने के कारण वहां प्लास्टिक बंधा हुआ था ।

सूचना अधिकारों के अंतर्गत मिली जानकारी के कुछ सुत्र

१. इस विद्यालय के लिए शासन की आेर से ‘सर्वशिक्षा अभियान योजना’ के अंतर्गत वर्ष २००७-०८ में नवीन प्राथमिक विद्यालय के निर्माणकार्य के लिए रुपए ६,५२,५००/- की राशि स्वीकृत हुई थी ।

२. यह राशि ग्रामशिक्षा समिति को देकर ९ वर्ष हो चुके हैं, फिर भी विद्यालय के भवन का काम अपूर्ण रखा गया ।

३. ग्रामशिक्षा समिति ने शासन के नियम ताक पर रखकर विद्यालय का निर्माणकार्य अशासकीय संगठन अथवा मान्यताप्राप्त प्रतिष्ठान को न देकर ग्रामशिक्षा समिति की उपाध्यक्षा और वरसई ग्रामपंचायत की उपसरपंच ज्योत्स्ना चंद्रकांत होजगे को दिया ।

४. विद्यालय का कोई भी निर्माणकार्य न होते हुए भी मजदूरी के लिए चरण दर चरण कुल रुपए २,३९,८००/- भूतपूर्व सरपंच श्री. चंद्रकांत होजगे को दिए । उसमें भी यह राशि आयकर और शासकीय विभागों के नियमानुसार धनादेश से न देते हुए नकद दी गई ।

महत्त्वपूर्ण बात यह है कि निर्माणकार्य ज्योत्स्ना होजगे द्वारा करने की बात निश्‍चित होने के बावजूद भी इतनी बडी राशि उनके पति चंद्रकांत होजगे को नकद स्वरूप कैसे दी गई ? जिला परिषद द्वारा धनादेश न देते हुए नकद राशि देकर चंद्रकांत होजगे पर विशेष मेहेरबानी क्यों की गई ? यहां गुटशिक्षाधिकारी और ग्रामशिक्षा समिति ने जानबूझकर शासन और जनता को ठगने सहित पद का दुरुपयोग किया हुआ स्पष्ट दिखाई देता है ।

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