श्रीलंका के हिन्दुत्वनिष्ठ नेता श्री. मरवनपुलावु सच्चिदानंदनद्वारा गोहत्या रोकने हेतु किए गए अनुकरणीय प्रयास !

श्री. मरवनपुलावु सच्चिदानंदन श्रीलंका के हिन्दुत्वनिष्ठ, साथ ही हिन्दू समाज एवं मंदिरों की रक्षा करनेवाला संगठन ‘शिवसेनाई’  इस संगठन के संस्थापक हैं ! उन्होंने साधना कर ६४ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया है। सितंबर २०१८ में अमेरिका में आयोजित विश्‍व हिन्दू सम्मेलन में सहभाग लेकर श्रीलंका की दयनीय स्थिति के विरोध में उन्होंने आवाज उठाई ! आज श्रीलंका में अल्पसंख्यक बने हिन्दू समाज की एवं हिन्दू धर्म की परंपराओं को जागृत रखने हेतु श्री. सच्चिदानंदन् अपनी अल्प शक्ति के साथ संघर्ष कर रहे हैं ! श्रीलंका में धर्मांधोंद्वारा बडी संख्या में हो रही गोवंश की हत्या के विरोध में श्री. सच्चिदानंदनद्वारा किए गए संघर्ष की कहानी उनके ही शब्दों में यहां प्रस्तुत कर रहे हैं . . . 

गोवा में संपन्न सप्तम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में श्रीलंका के हिंदुत्वनिष्ठ नेता श्री. मरवनपुलावु सच्चिदानंदन् (बाईं ओर) को सम्मानित करते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी

१. मंदिर के पुजारीद्वारा चल रही गोवंश हत्या की जानकारी मिलना

एक दिन सुबह मैं मंदिर में दर्शन करने गया था। वहां के पुजारी ने मेरे हाथ पर प्रसाद रखते हुए मुझसे बात करने की इच्छा व्यक्त की। उसने स्थानीय चावाकाचेरी बाजार में बडी संख्या में गोवंश की हत्या की जा रही है एवं ये पशु चोरी कर लाए हुए हैं और उनका गोमांस देश के दरि भाग में तस्करी कर बेचा जा रहा है, ऐसी जानकारी दी एवं मैं इस घटना की निंदा करूं, इसका मुझे अनुरोध किया ! मैने पुजारी से कहा कि इस संदर्भ में केवल निषेध कर कुछ नहीं होगा, उसके लिए कुछ ठोस कदम ही उठाना पड़ेगा ! मैने पुजारी को गोवंश हत्या के संदर्भ में अधिक जानकारी पूछने पर उसने इसके लिए गांव के ही एक हिन्दू युवक का नाम बता कर उसके पास जाने के लिए कहा।

२. गोहत्या के विरोध में समविचारी लोगों को संगठित करना

कुछ दिन पश्‍चात मैं जब गांव में घूम रहा था, तब मेरी उस युवक से भेंट हुई। वह एक बहुत बडी इच्छाशक्ति से युक्त महत्त्वाकांक्षी युवक था ! उसने मुझे बाजार में चलाए जा रहे पशुवधगृह की संपूर्ण जानकारी दी। मैने उसे भी कहा कि इस प्रकरण में केवल निषेधपत्र देने से कुछ नहीं होगा, उसके लिए समविचारी लोगों के साथ बैठक कर इस पशुवधगृह के संदर्भ में क्या करना चाहिए, यह सुनिश्‍चित करना उचित होगा ! मैने उसे मेरे परिचयवाले समविचारी लोगों की एक सूची सौंपी। कुछ दिन पश्‍चात वह मेरे घर आया और मैने उसे जिन लोगों की सूची सौंपी थी, उन लोगों से उसे सकारात्मक प्रत्युत्तर मिलने की बात कही। तब ऐसे लोग एवं उस युवक के परिचयवाले लोगों के साथ संपूर्ण एक दिन की बैठक का नियोजन किया गया, साथ ही इस बैठक में यदि तमिलनाडू के किसी हिन्दुत्वनिष्ठ नेता को आमंत्रित किया गया, तो बैठक का अच्छा परिणाम निकलेगा, इस पर सर्वसंमति हुई। उसके अनुसार तमिलनाडू के श्री. राम रवीकुमार इस अच्छा वक्ता को आमंत्रित किया गया। उन्होंने भी इस बैठक में अपने खर्चे से आना स्वीकार किया।

इसके अनुसार यह बैठक चावाकाचेरी के नुनावील में ‘अहिंसक क्रियान्वयन समूह’ के नाम से की गई। उसमें पुजारी, सेवानिवृत्त अधिकारी, छात्र एवं कुछ युवकों को मिलाकर ४५ लोग उपस्थित थे। वे सब जाफना प्रांत के थे एवं अपने क्षेत्र में चल रहे पशुवधगृहों को बंद करने के लिए प्रयासरत थे ! बैठक में उनके क्षेत्र में हिन्दुआें की समस्याआें पर चर्चा की गई और उनमें से कुछ प्रश्‍न चुन कर उस पर काम करना सुनिश्‍चित किया गया। श्री. राम रवीकुमार ने हमारे इस समूह को ‘अविना अरोवर’ नाम दिया। उसके २ सप्ताह पश्‍चात हमारे शिष्टमंडल ने पुलिस अक्षीक्षकों के साथ बैठक की। इस समय अमेरिका स्थित श्री. महादेवन् एवं उनकी पत्नी भी हमारे साथ उपस्थित थीं।

३. पशुवधगृह के विरोध में भितीपत्रकों के माध्यम से निषेध

पुलिसद्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यह सभी पशुवधगृह अनुमति प्राप्त थे; परंतु उनकेद्वारा लाए जानेवाला पशुधन चोरी का था और यह एक अपराध होने से उसके विरोध में कार्रवाई करना पुलिस प्रशासन का काम है, इसका पुलिस प्रशासन को भान करवाया गया। उसके पश्‍चात भी पुलिस प्रशासनद्वारा की जानेवाली उपेक्षा के कारण धर्मांधों को और अधिक बल मिला और उनके अवैध कृत्य वैसे के वैसे ही चलते गए ! उसके पश्‍चात हमने भितीपत्रकों का अभियान चला कर उसकेद्वारा लोगों को अपना पशुधन कसाईयों को न बेचने का आवाहन किया। इन भितीपत्रकोंपर मेरा नाम और दूरभाष क्रमांक दिया गया था, जिससे की मुझे कुछ लोगोंद्वारा मेरा अभिनंदन करनेवाले, तो अन्य अधिकांश गालीगलोच करनेवाले दूरभाष आए। मैं उनकी बातें ध्वनिमुद्रित कर पुलिस प्रशासन को सूचित करता था।

४. स्थानीय स्वराज्य संस्थाआें के चुनाव में पशुवधगृहों को अनुमति देनेवाले प्रत्याशी को मतदान न करें; इसके लिए अभियान !

इस प्रकार से १ वर्ष बीत गया; परंतु स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आया। किसानों के पशुआें की चोरी हो ही रही थी। कुछ चोरों को पकड कर पुलिस प्रशासन को सौंपा गया। प्रसारमाध्यमों ने भी इस प्रश्‍न को उठाया। उन्होंने पशुआें को चोरी कर उनकी हत्या करने के घटनाआें की हमारेद्वारा किया जा रहे निषेध के साथ समाचारों को प्रसिद्धि देना आरंभ किया। ऐसे में श्रीलंका के शासन ने स्थानीय स्वराज्य संस्थाआें के चुनाव की घोषणा की। इन संस्थाआें को पशुवधगृहों को अनुमति देने का अथवा अस्वीकार करने का अधिकार रहता है ! इसी अवसर का लाभ उठाकर हमने मतदाताआें को ऐसा आवाहन किया कि आप पशुवधगृहों को अनुमति देनेवाले प्रत्याशियों को मतदान न करें ! पहले यह अभियान प्रसारमाध्यमों के माध्यम से किया गया और उसके पश्‍चात हम भितीपत्रकों के माध्यम से अधिकांश मतदाताआें तक पहुंचे। हमने कुछ भितीपत्रकों से केवल हिन्दू प्रत्याशियों को ही मतदान का आवाहन किया। तब कई राजनीतिक दलों ने हमारे इस अभियान के कारण उन्हें मिलनेवाले मतों पर प्रतिकूल परिणाम होने से अप्रसन्नता व्यक्त की !

५. पशुवधगृहों के विरोध में निकाला गया विशाल मोर्चा !

उतने में संयोगवश एक घटना घटी ! चावाकाचेरी नगर समिति के सदस्य जब नगर की नागरी सुविधाआें का अवलोकन कर रहे थे, तब उन्हें पशुवधगृह में हत्या के लिए ले आए हुए पशुआें का करुणामय आक्रोश सुनाई दिया !

समिति के सदस्य जब वहां देखने गए, तब उन्हें वहां गर्भवती गाएं, बछडोंसहित ३० से ४० पशुआें की एक के पश्‍चात एक हत्या होती हुई दिखाई दी ! उन्होंने इस घटना का चित्रीकरण कर उसे पुलिस प्रशासन एवं प्रसारमाध्यमों को सौंपा। तब हमने भी एक निषेध मोर्चे का आयोजन किया। उसमें प्राचार्य, शिक्षक, डॉक्टर्स, व्यावसायी, बैंकों का कर्मचारीवर्ग, महिलाएं एवं युवकों का अंतर्भाव था। इस मोर्चे की लंबाई १ कि.मी. तक थी ! नगरपरिषद की महिला अध्यक्ष ने भी इस मोर्चे का संज्ञान लिया एवं इस पर तुरंत कार्रवाई का आश्‍वासन दिया ! प्रसारमाध्यमों ने भी मोर्चे की अच्छी प्रसिद्धि की !

६. १२ घंटों का अनशन !

कुछ दिन पश्‍चात हमने बस स्थानक के पास १२ घंटे का अनशन किया। उसको शैव मठ, बौद्ध विहार एवं चिन्मय मिशन के प्रमुखों के भी आशीर्वाद प्राप्त हुए ! इस अवसर पर धार्मिक नेता, वरिष्ठ नागरिक एवं युवकों ने उद्बोधन किया। मेरे वक्तव्य में मैने विगत ५ सहस्र वर्षों से पशुरक्षा की चली आ रही परंपरा का स्मरण करवा कर हिन्दू एवं बौद्ध नागरिकों को इस परंपरा की रक्षा का आवाहन किया, साथ ही ‘जिन्हें यह बात स्वीकार नहीं है, वे इस देश को छोडकर चले जाएं’, यह चेतावनी भी दी !

७. नगर समिति की ओर से गोहत्याबंदी का प्रस्ताव पारित !

इसी समय दक्षिण श्रीलंका की कलुथाराई जनपद के प्रदेसिया स्थानीय समिति ने एक प्रस्ताव पारित कर पशुआें की हत्या, गोमांस का विक्रय एवं मदिरा की दुकानों पर प्रतिबंध लगा दिया। मैने वहां जाकर समिति का एवं इस प्रस्ताव के प्रेरणास्रोत बौद्ध भिक्कूआें का अभिनंदन किया ! मध्य समय में हमने चावाकाचेरी नगर समिति के सदस्यों से भेंट की। उन १८ में से १३ सदस्यों ने उपर्युक्त प्रस्ताव को पारित करने की सिद्धता दर्शाई ! मैं जब शिकागो से वापस लौटा, तब इस प्रकरण में आगे क्या हुआ, इसकी पूछताछ की। दूसरे दिन नाल्लूर की स्थानीय समितिद्वारा गोहत्या एवं गोमांस के विक्रय पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित करने की बात मुझे ज्ञात हुई। वास्तव में हमने वहां कोई कार्य नहीं किया था। उससे पहले माठुगामने की स्थानीय समिति ने भी इसी प्रकार का प्रस्ताव पारित किया। हमने नाल्लूर में वहां की समिति के अध्यक्ष को सम्मानित किया था ! आज मैं प्रसारमाध्यमों के कार्यक्रमों का सच्चा नायक बना था !

गोहत्या एवं गोमांस के विक्रय पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित करनेवाली नाल्लूर (श्रीलंका) की विभागीय समिति के सदस्यों का सम्मान !

सम्मानित सदस्य, साथ में श्री. मरवनपुलावु सच्चिदानंदन् (१)

कोलंबो (श्रीलंका) : श्रीलंका के पूर्व तट के नाल्लूर विभागीय समितिद्वारा अपने कार्यक्षेत्र में गोहत्या एवं गोमांस के विक्रय पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित करने पर अरुल्मिको थिरूमल, श्रीविष्णु, श्रीकृष्ण एवं व्यंकटेश्‍वर के वाल्लीपुरा अलवार मंदिर में समिति के सदस्यों का स्वागत समारोह संपन्न हुआ ! इस अवसर पर मंदिर में चल रहे उत्सव के लिए उपस्थित सहस्रावधी हिन्दू इस समारोह में उपस्थित थे। वहां सभी ने देश के अन्य स्थानीय समितियों से भी इस प्रकार के प्रस्ताव पारित करने की मांग की !

१. इस समारोह के मुख्य अतिथि शिवसेनाई संगठन के नेता श्री. मरवनपुलावु सच्चिदानंदन् थे, तो रेवरंड सिवा बाला थेसिकार ने अध्यक्षपद का निर्वहन किया। इस अवसर पर उपस्थित मान्यवर वक्ताओं ने कहा कि, ”पोर्तुगिजों ने ही ४०० वर्ष पूर्व लोगों को जान से मारने की धमकी देकर गोमांस भक्षण अनिवार्य किया था और उनके पश्‍चात आए ब्रिटीश आक्रमणकर्ताओं ने उसका समर्थन किया एवं उन्होंने ही आयात किए हुए मुस्लिमों के हाथों में इस गोमांस विक्रय का व्यवसाय सौंप दिया !”

२. इस स्वागत समारोह में नाल्लूर विभागीय समिति के ९ सदस्यों को सुनहरी शाल एवं सुनहरी पुष्पमाला प्रदान कर स्वागत किया गया। समिति के उपाध्यक्ष श्री. आर. जयकिरण भी इस अवसर पर उपस्थित थे। गोहत्या एवं गोमांस विक्रय के प्रतिबंध का प्रस्ताव रखनेवाले सदस्य श्री. मधुसूदन ने सभी सदस्यों की ओर से आभार प्रदर्शित किये !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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