श्रावण कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११६
-
विचारस्वतंत्रताको पैरोंतले रौंदनेवाले केंद्रशासनको मुंबई उच्च न्यायालयकी चपत !
-
हिन्दू जनजागृति समितिके संकेतस्थल तथा फेसबुकके पन्नेपर बंदीके संदर्भमें अन्याय !
मुंबई – जुलार्ई/अगस्त २०१२ में आसाम राज्यमें हुई हिंसाका वस्तुनिष्ठ समाचार प्रकाशित करनेके संदर्भमें केंद्रशासनने हिन्दू जनजागृति समितिके www.Hindujagruti.org इस संकेतस्थलपर तथा समितिके www.facebook.com/hindujagruti, इस फेसबुकके पन्नेपर अगस्त २०१२ में अन्यायपूर्ण बंदी डाली थी । शासनके इस निर्णयके विरोधमें समितिद्वारा प्रविष्ट किए गए याचिकाकी सुनवाई २२ जुलाईको मुंबई उच्च न्यायालयमें हुई । समितिने लडाई कर संकेतस्थलपर होेनेवाली बंदी उठाई थी; किन्तु फेसबुकके पन्नेपर बंदी छोड दी थी ।
इस याचिकाकी सुनवाईके समय न्यायमूर्ति अभय ओक तथा न्यायमूर्ति चांदुरकरके खंडपीठने यह कहकर आश्चर्य व्यक्त किया कि इस बंदीके आदेशमें केंद्रशासनने कोई भी कारण प्रस्तुत नहीं किए हैं । सूचना तंत्रज्ञान अधिनियमकी धारा `६९ अ’के अनुसार इंटरनेटके संदर्भमें बंदी डालते समय कारण प्रस्तुत करना आवश्यक है । साथ ही उच्च न्यायालयने यह चेतावनी भी दी कि यदि बंदीका आदेश कुछ समयके लिए (हंगामेदार स्वरूपका) है, तो अमर्यादित समयतक सुनवाई न कर शासनको निरंतरके लिए बंदी रखनेका अधिकार नहीं है ।
मुंबई उच्च न्यायालयने यह आदेश दिए हैं कि अधिनियमकी धारा `९’ के अनुसार त्वरित बंदी डालनेका अधिकार केंद्रशासनको है, किन्तु तदनन्तर सुनवाई प्राप्त कर कारणोंके साथ आदेश पारित करना आवश्यक था । गत दो वर्षोंमें इस प्रकारकी कोई भी प्रक्रिया शासनद्वारा नहीं की गई थी, इसकी ओर गंभीरतासे ध्यान देकर इस विषयकी त्वरित सुनवाई ३० जुलाई २०१४ को की जाएगी ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात