श्रावण कृष्ण पक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११६
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१. प्रयोग
हिन्दू जनजागृति समितिका बोधचिन्ह रहनेवाली मशाल एवं फहरनेवाले भगवे ध्वजको देखकर क्या प्रतीत होता है, अनुभव करें एवं पश्चात अगला हिस्सा पढें ।
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उत्तर : मशालको देखकर शक्ति प्रतीत होती है जब कि ध्वजकी ओर देखकर आनंद प्रतीत होता है । १४.७.२०१४ को हिन्दू जनजागृति समितिके बोधचिन्हवाली मशालका चित्र परिवर्तित कर फहरानेवाले भगवे ध्वजका चित्र बोधचिन्हके रूपमेें लिया गया है ।
२. विश्लेषण
अ. मशाल क्रांतिका एवं ध्वज क्रांतिके पश्चातके विजयका प्रतीक है ।
आ. ध्वजको आध्यात्मिक महत्त्व है एवं भगवा ध्वज हिन्दू धर्मसे संलग्न किया गया है ।
इ. ध्वजकी ओर देखकर क्षात्रतेज जागृत होकर धर्मकार्य करने प्रेरणा मिलती है । यह ध्वज प्रेरणादायी एवं विजीगिषू मानसिकताका प्रतीक होनेके कारण मशालके स्थानपर वही होना चाहिए ऐसा प्रतीत होता है ।
३. पाठकोंद्वारा हिन्दू अधिवेशनके फेसबुकपर प्रस्तुत अभिप्राय
१५.७.२०१४ को रात्रि ११ बजे हिन्दूू जनजागृति समितिके संकेतस्थलके 'हिन्दू अधिवेशन' वैधानिक फेसबुकके पृष्ठपर पूर्वका मशालका बोधचिन्ह हटाकर उसके स्थानपर फहरानेवाले भगवे ध्वजका चित्र बोधचित्रके रूपमें रखा गया । प्रथम ८ मिनटोंमें ही ५०० से अधिक लोगोंने नए बोधचिन्हवाले ध्वजका चित्र अच्छा प्रतीत हुआ, ऐसा मत व्यक्त किया है एवं ७२ घंटोंकी कालावधिमें ७ सहस्र ६०० से अधिक लोगोंने नया बोधचिन्ह अच्छा लगा ऐसा मत व्यक्त किया ।
अ. यह भगवा उंचा उठकर पूरे विश्वमें फहराता रहे ! – श्री. रोहित पानट, पुणे
आ. जय हिंद ! भगवा ध्वज अपना राष्ट्रीय ध्वज होना चाहिए, ऐसा मुझे लगता है ।- श्री. मुरारी भानू सीताराम, सिंगापुर
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात