श्री तुळजाभवानी मंदिर व्यवस्थापनद्वारा अतिमहत्त्वपूर्ण व्यक्तिओंकाे प्रसाद के नाम पर करोडो रुपए सोने-चांदी की वस्तु भेंट !

हिन्दुओ, मंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणाम पहचानें !

ऐसे मंदिरोंका कार्य केवल अंधा पीसता है, तथा कुत्ता आटा खाता है, इस पद्धति का हुआ है, अतः वह भक्तोंके अधिकार में देने के लिए भाजपा शासन पर दबाव डालें !

तुळजापुर (महाराष्ट्र) : हिन्दुओं, यह बात स्पष्ट हुई है कि, महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी श्री तुळजाभवानी मंदिर में अतिमहत्त्वपूर्ण व्यक्तिओंको तथा उनके परिवार के लोगोंको सोने-चांदी की वस्तु तथा अत्यंत महंगे वस्त्र भेंटस्वरूप दिए गए हैं। (हिन्दुओ, श्रध्दालुओंद्वारा श्रध्दा से मंदिर में अर्पण की गई वस्तु एवं महंगे वस्त्रं इस प्रकार अतिमहत्त्वपूर्ण व्यक्ति तथा उनके परिवार को देने का मनमानी कार्य मंदिर व्यवस्थापन कैसे कर सकता है ? मंदिर के धन पर मंदिर समिति का नहीं, तो भक्तोंका अधिकार रहना चाहिए। मंदिर के धन का धर्मकार्य हेतु उपयोग करना चाहिए। ऐसा होते हुए भी मनमानी करते हुए उन्हें देवी के प्रसाद के रूप में मूल्यवान वस्तु प्रदान करना, यह एक प्रकार का भ्रष्टाचार ही है। देवीभक्तों, संगठित रूप से देवस्थान व्यवस्थापन को फटकारें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

सूचना अधिकारद्वारा सूचना प्राप्त कर पुजारी मंडल के श्री. किशोर गंगणेद्वारा यह सूचना प्राप्त हुई है कि, कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी से विलासराव देशमुख तक कांग्रेस के अनेक भूतपूर्व मंत्री, मंत्रीमंडल के सदस्य, उनके सचिव, तहसीलदार, लोकप्रतिनिधी तथा प्रशासकीय अधिकारी, साथ ही उनका परिवार, केवल इतना ही नहीं, तो उनके सचिव तथा चालक, उनके समवेत धार्मिक क्षेत्र की अतिमहत्त्वपूर्ण व्यक्तिओंको मंदिर की सोने-चांदी की प्रतिमा, चांदी की तलवार, चांदी का रथ, महावस्त्र, बनारसी पटका(फेटा), महंगी पैठणी, शालू इन प्रकार की वस्तु आशीर्वाद रुपी प्रसाद के नाम पर वितरित की गई हैं।


महत्त्वपूर्ण बात यह है कि, मंदिर समिति की ओर अतिमहत्त्वपूर्ण व्यक्ति (वीआयपी) किसे कहना है, इस की प्रविष्टी नहीं है। ऐसा होते हुए भी गत अनेक वर्षोंसे इन अतिमहत्त्वपूर्ण व्यक्तिओंका आदर, अतिथी सम्मान मंदिर समितिद्वारा किया जा रहा है।

न्यासी मधुकर चव्हाण प्रतिवर्ष अपना आदर समितिद्वारा करवाते हैं !

श्री. गंगणेद्वारा यह सूचना प्राप्त हुई है कि, पदसिद्ध अधिकारी, अर्थात् न्यासी तथा स्थानीय विधायक मधुकर चव्हाण ने प्रतिवर्ष मंदिर समितिद्वारा अपना आदर करवाया है। आदर का साहित्य विधायक चव्हाण के परिवारोंके दुकानोंसे आता है। इस प्रकार आदर करने का किसी भी प्रकार का प्रस्ताव मंदिर समितिद्वारा नहीं किया गया है।

मैंने आदर का स्वीकार किया ही नहीं है ! – मधुकर चव्हाण

न्यासी मधुकर चव्हाण ने बताया कि, अतिथियोंका आदर करना, यह संस्थान की पूर्वांपार प्रथा है। आदर हेतु आवश्यक साहित्य मेरे भाई के दुकान से लिया जाता है, यह बात सत्य है; किंतु उस संदर्भ का निर्णय सर्वस्वी न्यासी मंडलियोंका रहता है। तदनुसार अन्य दुकानों में भी उन्होंने खरेदी किया हैं। मैंने एक बार भी अपना आदर नहीं स्वीकार किया है।

…इन अतिमहत्त्वपूर्ण व्यक्तिओंको मंदिरद्वारा दी गई मूल्यवान भेंटवस्तु !

दिवंगत भूतपूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को ५ बार चांदी की प्रतिमा, भूतपूर्व राज्यपाल शिवराज पाटिल चाकूरकर का ४ बार, तो भूतपूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, अशोक चव्हाण, सुशीलकुमार शिंदे, नारायण राणे, भूतपूर्व मंत्री बाळासाहेब थोरात, हर्षवर्धन पाटिल, अमित देशमुख, बसवराज पाटिल, डॉ. पद्मसिंह पाटिल, राजेश टोपे, राजीव सातव, राधाकृष्ण विखे पाटिल, अनिल तटकरे, प्रधान सचिव स्वाधीन क्षत्रिय इत्यादि को २ बार मूल्यवान वस्तु भेंटस्वरूप दी गई है। विजयसिंह मोहिते-पाटिल को तो सुवर्ण की प्रतिमा भी भेंटस्वरूप दी जाने की प्रविष्टी है। इस के अतिरिक्त कुछ जनपदाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, तहसीलदार के नाम भी समाविष्ट हैं।

जनपदाधिकारी डॉ. प्रशांत नारनवरे ने अपना दायित्व अस्वीकार किया !

आदर के व्यय के संदर्भ में मैं अनभिज्ञ !

मंदिर संस्थान के अध्यक्ष तथा जनपदाधिकारी डॉ. नारनवरे ने इस संदर्भ में बताया कि, मुख्यमंत्री, मंत्रीमहोदय तथा पृथक क्षेत्र के मान्यवरोंका आदर यह समयानुसार किया गया। इस से पूर्व किए गए व्यय के संदर्भ में मैं अनभित्र हूं तथा भविष्य में नई नियमावली के अनुसार कार्य किया जाएगा। (मंदिर संस्थान के अध्यक्ष इस दृष्टि से जनपदाधिकारियोंको इस प्रकार का वक्तव्य करना अर्थात् दायित्व अस्वीकार करने के समान ही है। श्रध्दालुओंके धन में से करोडों रुपएं की भेंटवस्तु देना अर्थात् यह एक प्रकार का भ्रष्टाचार ही है। यदि ऐसा है, तो क्या मंदिर संस्थान के अध्यक्ष के रूप में जनपदाधिकारी कुछ दायित्व स्वीकार करेंगे या नहीं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) वर्तमान में आर्थिक कार्य के संदर्भ में अधिक कडे नियम सिद्ध किए जा रहे हैं। (इस का अर्थ क्या यह समझना चाहिए कि, क्या इस से पूर्व किए गए नियम कडे नहीं थे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, साथ ही धर्मादाय आयुक्त की ओर परिवाद प्रविष्ट करेंगे ! – श्री. किशोर गंगणे

श्री. गंगणे के साथ दैनिक सनातन प्रभात के प्रतिनिधी ने संपर्क किया। उस समय उन्होंने बताया कि, भेंट दी गई चांदी की प्रत्येक प्रतिमा का वजन २५० ग्रॅम है, तो भेंटवस्तु प्राप्त होनेवाले अतिमहत्त्वपूर्ण श्रध्दालुओंकी (?) सूची भी २०० पन्नोंकी है। सोने-चांदी की यह वस्तु भेंटस्वरूप में क्यों तथा किस प्रस्ताव से देने का निश्चित हुआ था, इस की जानकारी मंदिर समितिद्वारा प्राप्त नहीं हुई है। साधारण श्रध्दालुओंने श्री जगदंबा देवी के चरणों में अर्पण स्वरूप की गई वस्तु अतिमहत्त्वपूर्ण व्यक्ति पर व्यय करना, इन करोडों रूपएं के व्यय की पूर्ति की जानी चाहिए, ऐसी मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, साथ ही धर्मादाय आयुक्त की ओर की जाएगी।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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