फाल्गुन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११६
उडुपी (कर्नाटक) में हिन्दू धर्मजागृति सभा
उडुपी (कर्नाटक) : हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा गुरुवार, १२ फरवरी के दिन उडुपी के श्री शेषशयन सभाभवन में हिन्दू धर्मजागृति सभा का आयोजन किया गया था। उस सभा में करिंजे, मूडबिद्रे के श्री राघवेंद्र पिठ के श्री श्री मुक्तानंद स्वामीजी ने उपस्थितोंको मार्गदर्शन किया। अपने मार्गदर्शन में उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि, हिन्दुओंका धर्मपरिवर्तन रोकने हेतु अनेक राजनेताएं ‘धर्मपरिवर्तन विरोधी अधिनियम’ लागू करने की मांग करते हैं; किंतु बलपूर्वक किए जा रहें धर्मपरिवर्तन के संदर्भ में कोई भी कुछ भी वक्तव्य नहीं करता ? असदुद्दीन ओवैसी कहते हैं कि, ‘वास्तव में ‘घरवापसी’ मुसलमान धर्म का स्वीकार करने में हैं।’ किंतु इस संदर्भ में कुछ भी कार्रवाई न करनेवाला कर्नाटक शासन विश्व हिन्दू परिषद के नेता प्रवीण तोगडिया को बेंगलुरू के हिन्दू सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए अधिनियमानुसार पाबंदी डालता है। शासन के इस हिन्दूविरोधी अधिनियम का तथा अल्पसंख्यंकों की चापलूसी का हम निषेध करते हैं।’
इस सभा के लिए बेंगलुरू के उच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री. अमृतेश एन्.पी., सनातन संस्था के श्री. रमानंद गौडा तथा हिन्दू जनजागृति समिति के समन्वयक श्री. गुरुप्रसाद ने भी उपस्थितोंको संबोधित किया। इस सभा के लिए ३०० से अधिक धर्माभिमानी उपस्थित थे।
स्वामीजी ने आगे यह वक्तव्य किया कि, ‘‘सिद्धरामय्या शासन ने कर्नाटक में मुसलमानोंकी चापलूसी हेतु ‘शादीभाग्य’ योजना आरंभ की। उन्हें ‘मांगल्यभाग्य’ क्यों नहीं कहा गया ? राजनेताएं हिन्दुओंके मंदिरोंको लूट कर उसी धन से मुसलमानोंको हज यात्रा हेतु छूट दी जाती है। अब मठोंका भी सरकारीकरण करने के प्रयास आरंभ हैं। इस माध्यम से साधु-संतोंको दबोच कर शासकीय कोष पूर्ति करने की नई व्यवस्था की जा रही है। यह इस कर्नाटक राज्य की वस्तुस्थिती है।’’
प्रत्येक व्यक्ति को दिन में न्यूनतम १ घंटा धर्म कार्य हेतु व्यय करना आवश्यक है ! – अधिवक्ता श्री. अमृतेश एन्.पी.
अधिवक्ता श्री. अमृतेश एन्.पी. ने अपने मार्गदर्शन में यह वक्तव्य किया कि, ‘आज हमें हिन्दू धर्म के प्रति श्रद्धा एवं अभिमान का अभाव है; इसलिए यदि देवताओंका कितना भी अनादर किया गया, तो भी उसका हमें कुछ भी प्रतीत नहीं होता। व्यावसायिक हेतु से हमारे देवताओंको नीचा दिखाया जाता है। किंतु हिन्दू जनजागृति समिति तथा हिन्दू विधिज्ञ परिषद द्वारा इसे विरोध प्रदर्शित कर अनादर रोकने के प्रयास किए जाते हैं। मैं अधिवक्ता होने के कारण मेरे पास प्रत्येक मास में ‘लव जिहाद’ की ५ से १० घटनाएं आती हैं। यदि वे पुलिस की ओर परिवाद प्रविष्ट करने के लिए जाते हैं, तो पुलिस द्वारा केवल लापता का परिवाद प्रविष्ट किया जाता है। न्यायालय में युवती की आयु १८ वर्ष होते ही उसका वक्तव्य ग्राह्य (उचित) समझकर विवाह के लिए अनुमती दी जाती है। धर्मशिक्षा के अभाव के कारण ही यह परिस्थिती उत्पन्न हुई है; अतः सभी को मेरी यह विनती है कि, आपमेंसे प्रत्येक व्यक्ति दिन का न्यूनतम १ घंटा धर्म सेवा हेतु व्यय करें।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात