‘हलाल मुक्त दीपावली’ अभियान में सहभागी हो !

‘हलाल सर्टिफिकेट’ द्वारा इस्‍लामी अर्थव्‍यवस्‍था अर्थात ‘हलाल इकॉनॉमी’ को धर्म का आधार होते हुए भी बहुत ही चतुराई के साथ निधर्मी भारत में लागू किया गया है। धर्मनिरपेक्ष भारत में ऐसी ‘धर्माधारित समांतर अर्थव्यवस्था’ निर्माण किया जाना, यह देश की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यधिक गंभीर है । अत: शासन ‘हलाल प्रमाणिकरण’ पद्धति तत्काल बंद करें, इस मांग के साथ हिन्दू ‘हलाल मुक्त दीपावली’ इस अभियान में सहभागी होकर ‘हलाल प्रमाणित’ उत्पादनों का बहिष्कार करें, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति ने किया है ।

धर्मनिरपेक्ष भारत में धर्म के आधार पर चल रही

‘हलाल प्रमाणपत्र’ व्‍यवस्‍था तत्‍काल बंद करें !

फोटो गैलरी

 
 

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इस दीपा‍‍वली, आप क्या कर सकते है ?

  • यह ऑनलाइन पिटीशन स्‍वयं साइन करें तथा मित्रजनों के साथ शेअर कर उन्हें भी साइन करने को बताएं !
  • हलाल प्रमाणित उत्पाद न खरीदें तथा समाज को ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ की ‍वास्तविकता से अवगत कराएं !
  • सोशल मीडिया द्वारा इस विषय में अधिक से अधिक जागृति करें !
  • यदि आप हिन्दू दुकानदार हैं, तो हलाल प्रमाणित उत्पादों को बिक्री के लिए रखने से बचें !
  • यदि आप एक हिन्दू व्यवसायी हैं, तो अपने उत्पादों के लिए ‘हलाल प्रमाणन’ लेने से बचें !
  • यदि आपको अपने स्थानीय दुकान में कोई हलाल प्रमाणित उत्पाद दिखता है, तो उसका फोटो लेकर #HalalFreeDiwali इस हॅशटैग का उपयोग कर संबंधित आस्थापन को टैग कर पोस्ट करें !
  • हलाल अर्थव्यवस्था से लडने में भारतीय अर्थव्यवस्था की मदद करने के लिए अपना योगदान दें !

 

हलाल जिहाद ?

भारतीय अर्थव्यवस्था पर नया आक्रमण ?

यह ग्रंथ स्वयं खरीदें, प्रायोजक करें और अन्यों को भी
भेंट देकर राष्ट्र कार्य में सहभागी हों !

यह ग्रंथ स्वयं खरीदें, प्रायोजक करें और अन्यों को भी भेंट देकर राष्ट्र कार्य में सहभागी हों !

हलाल क्या है ?

हलाल एक प्रकार का वैल्‍यू सिस्‍टम और लाइफस्‍टाइल है जिसकी वकालत इस्‍लाम करता है। हलाल का मतलब है कि जिसकी इजाजत हो और जो वैध हो। हराम, हलाल का ठीक उलटा होता है मतलब इस्‍लाम में उन बातों की इजाजत नहीं है। इस्‍लाम में पांच ‘अहकाम’ हैं जिनमें फर्ज (अनिवार्य), मुस्तहब (अनुशंसित), मुबाह (तटस्थ), मकरूह (निंदात्मक) और हराम (निषिद्ध) शामिल हैं।

हलाल सर्टिफिकेट क्‍या है ? भारत में कौन देता है ?

हलाल सर्टिफिकेट मिलने का मतलब है कि वह उत्‍पाद इस्‍लामी नियमों के हिसाब से सही है। भारत में पांच या छह संस्‍थाएं हलाल सर्टिफिकेट जारी करती हैं। सबसे ज्‍यादा डिमांड जमीयत-उलमा-ए-महाराष्‍ट्र और जमीयत-उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्‍ट की है। कंपनी की ओर से सबमिट की गई रिपोर्ट्स और दस्‍तावेज देखकर शरिया समितियां तय करती हैं कि हलाल सर्टिफिकेट देना है या नहीं। उत्‍पाद की साइंटिफिक या एनालिटिकल टेस्टिंग होती हो, ऐसा लगता नहीं। इस पूरी प्रक्रिया में सरकार की कोई भूमिका नहीं है।

कब से ?

क्‍या हलाल है और क्‍या नहीं, यह मुस्लिमों की व्‍यक्तिगत राय पर छोड़ दिया गया था। शायद आपको यह जानकर हैरानी हो कि 1974 से पहले किसी उत्‍पाद के हलाल सर्टिफाइड होने का दस्‍तावेज उपलब्‍ध नहीं है। 1974 में पहली बार मांस के लिए हलाल सर्टिफिकेशन शुरू किया गया। 1993 तक केवल मांस ही हलाल सर्टिफाइड होता था। डिब्‍बाबंद उत्‍पादों की लोकप्रियता के साथ हलाल सर्टिफिकेशंस के आंकड़े भी चढ़े। अब यह मल्‍टी-बिलियन डॉलर इंडस्‍ट्री में बदल चुका है। हर साल 1 नवंबर को विश्‍व हलाल दिवस मनाया जाता है। बकायदा यूनाइटेड वर्ल्‍ड हलाल डिवेलपमेंट (UNWHD) नाम की संस्‍था है जो हलाल उत्‍पादों को लेकर जागरूकता फैलाती है।

केवल खाना ही नहीं, दवा से लेकर लिपस्टिक तक भी हलाल

ग्‍लोबल हलाल सर्टिफिकेशन मार्केट केवल मांस या अन्‍य खाद्य पदार्थों तक सीमित नहीं है। अब फार्मास्‍यूटिकल्‍स, कॉस्मेटिक्‍स, हेल्थ यहां तक कि टॉयलेट प्रोडक्‍ट्स भी हलाल सर्टिफाइड होते हैं। आज की तारीख में हलाल फ्रेंडली टूरिज्‍म भी होता है और वेयरहाउस को भी हलाल सर्टिफिकेट मिलता है। रेस्‍तरां भी हलाल सर्टिफिकेट लेते हैं और ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट्स भी। लॉजिस्टिक्‍स, मीडिया, ब्रैंडिंग और मार्केटिंग में भी हलाल का दखल है। कोच्चि के एक बिल्‍डर ने तो पिछले दिनों हलाल-सर्टिफाइड अपार्टमेंट्स बेचने की पेशकश की थी।

सबको हलाल उत्‍पाद क्‍यों बेचती हैं कंपनियां ?

हलाल मार्केट की वैल्‍यू 3 ट्रिलियन डॉलर्स (24,71,38,50,00,00,000 रुपये) से भी ज्‍यादा है। हर साल 15-20% की दर से इसका बाजार बढ़ रहा है। इनमें से खाद्य पदार्थों की हिस्‍सेदारी केवल 6-8% है। दुनिया की करीब 32% आबादी मुस्लिम है। वह एक बड़ा कंज्‍यूमर बेस हैं और मैनुफैक्‍चरर्स के लिए अहम। कोई भी इंडस्‍ट्री एक ही उत्‍पाद को दो तरह से नहीं बनाना चाहेगी कि एक हलाल सर्टिफाइड हो और दूसरा गैर-इस्‍लामिक देशों के लिए। इससे लागत भी बढ़ेगी और प्रॉडक्‍शन भी जटिल हो जाएगा। इसी वजह से हलाल सर्टिफिकेट लेकर एक ही उत्‍पाद सबको बेचना कंपनियो को आसान लगता है।