भगवान श्रीविष्‍णु का कूर्मावतार

मंथन आरंभ तो हुआ परन्‍तु नीचे आधार ने होने के कारण मंदराचल पर्वत समुद्र में डूबने लगा । सभी देवता और असुरों ने देखा की इतने कठिन प्रयास करने के बाद भी सारे प्रयत्न विफल हो रहे हैं । आगे क्‍या करें यह उनके ध्‍यान में नहीं आ रहा था । तब श्रीविष्‍णुजी समझ गए कि अब देवताओं की रक्षा हेतु उन्‍हें कुछ करना होगा । Read more »

सत्‍कर्म करने का महत्त्व

एक बार नारद मुनि श्रीविष्‍णुजी के वैकुंठ धाम गए । वहां नारद मुनि ने श्रीहरि से कहा, ‘‘प्रभु, मुझे पृथ्‍वी पर कुछ विपरीत परिस्‍थिती दिखाई दी । जो धर्म का पालन करता है, उसे अच्‍छा फल नहीं मिलता और जो पाप कर रहे हैं उसका भला हो रहा है ।’’ Read more »

पूतना वध

कंस ने अपनी मुंह बोली बहन पूतना को यह कार्य सौंपा । पूतना में १० हाथियों का बल था । कंस के कहने पर वह गोकुल में बच्‍चों को मारने के लिए चली आई । गोकुल पहुंचने पर पूतना ने अपना वेष बदला और उसने सुंदर स्‍त्री का मायावी रूप धारण किया । वह नंदबाबा के भवन पहुंची । Read more »

केवट की रामभक्‍ति !

प्रभु श्रीरामजी के चरणों का महत्त्व जाननेवाला केवट प्रभु श्रीरामजी का भक्‍त भी था । केवट एक नाविक था । बालमित्रो, नाविक अपनी नाव से लोगों को नदी पार करवाता है । प्रभु जब वनवास के लिए जा रहे थे, तब उन्‍हें नदी पार करनी थी । Read more »

बालकृष्‍णद्वारा यमलार्जुन का उद्धार

यशोदा माई ने कान्‍हा को बांधने के लिए रस्‍सी मंगाई और उन्‍हें ऊखल से बांध दिया और वे अपने काम करने चली गई । परंतु वे तो कान्‍हा थे । उन्‍होंने देखा माई अपना काम कर रही है । तो उन्‍होंने भी अपना काम करना आरंभ किया । उनके भवन के बाहर यमलार्जुन के दो वृक्ष थे । Read more »

ताडका वध

महर्षि विश्‍वामित्र विश्‍व कल्‍याण के लिए यज्ञ किया करते थे । उस काल में वन में बहुत से राक्षस रहते थे, जो ऋषि-मुनियों के यज्ञों में बाधा डालते थे । उनके इस कष्‍ट के कारण महर्षि विश्‍वामित्र राजा दशरथ की अयोध्‍या नगरी में पहुंचे तथा राक्षसों के वध के लिए उन्‍होंने प्रभु श्रीराम को साथ भेजने की विनती की । प्रभु श्रीराम के साथ लक्ष्मण भी महर्षि के साथ चल पडे । Read more »

भगवान श्री गणेशजी को तुलसी क्‍यों नहीं चढ़ाते ?

तुलसी को सबसे पवित्र पौधा माना गया है। वहीं, आपको जानकर आश्‍चर्य होगा कि एक भगवान ऐसे भी हैं, जिनको तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाए जाते हैं। वो देवता हैं भगवान गणेश। इसके पीछे के तथ्‍य को जानने के लिए सुनें यह कहानी। Read more »

श्री गणेश जन्‍म की कथा !

शिवपुराण में बताए अनुसार देवी पार्वती एक दिन हल्‍दी का उबटन लगा रही थी । तभी अचानक माता के कक्ष मे नंदी आ पहुंचा । यह देखकर माता पार्वती को अच्‍छा नहीं लगा । उन्‍होंने सोचा कि वह घर में अकेली रहती हैं, इसलिए जब जिसका मन करता है, कोई भी उनके कक्ष में आ जाता है । अब मुझे एक ऐसा पुत्र चाहिए, जो उनके साथ रहे और किसी को अंदर न आने दे । Read more »

श्री गणेशजी और चंद्रमा की कथा !

चन्‍द्रमा ने जैसे ही श्री गणेश जी को डगमगाते हुए देखा, तो वे अपनी हंसी रोक नहीं पाए और उनका मजाक उडाते हुए बोले, इतने विशालकाय और एक छोटे से मूषक पर बैठे हो और हंसने लगे । चन्‍द्रमा की बात सुनकर गणेश जी को गुस्‍सा आ गया । उन्‍होंने सोचा कि घमंड में चूर होकर चन्‍द्रमा इस प्रकार से मेरा मजाक उडा रहा है । Read more »