भगवान श्री गणेशजी को तुलसी क्‍यों नहीं चढ़ाते ?

बच्‍चो, हमारे देश में पूजा-पाठ का अपना ही एक महत्‍व है। यहां देवी-देवताओं की पूजा के लिए कई प्रकार की सामग्री चढ़ाई जाती है और तुलसी भी उन्‍हीं में से एक है। तुलसी को सबसे पवित्र पौधा माना गया है। वहीं, आपको जानकर आश्‍चर्य होगा कि एक भगवान ऐसे भी हैं, जिनको तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाए जाते हैं। वो देवता हैं भगवान गणेश। इसके पीछे के तथ्‍य को जानने के लिए सुनें यह कहानी।

एक अतिसुंदर अप्‍सरा थी । उसका नाम तुलसी था । उसको उत्तम पति की इच्‍छा थी । इसके लिए वह सदैव उपवास, जप, व्रत, तीर्थयात्रा आदि करती रहती थी ।

एक बार भगवान श्री गणेश गंगा किनारे तपस्‍या कर रहे थे । उसी समय उस अप्‍सरा ने ध्‍यानमग्‍न श्री गणपति को देखा । भगवान श्री गणेश एक सिंहासन पर बैठकर तपस्‍या कर रहे थे, उनके पूरे शरीर पर चंदन लगा था, उन्‍होंने जेवर पहने थे और फूलों की माला पहनी हुई थी । भगवान गणेश बहुत ही सुंदर दिखाई दे रहे थे । भगवान श्री गणेशजी को देख वह अप्‍सरा आकर्षित हो गई । उन्‍हें ध्‍यान से जगाने हेतु उसने पुकारा, ‘‘हे एकदंत, हे लंबोदर, हे वक्रतुंड !’’ श्री गणपति का ध्‍यान भंग हुआ ।

श्री गणेशजी ने आंखें खोलीं, तो सामने तुलसी अप्‍सरा दिखाई दी । उन्‍होंने उससे पूछा, ‘‘हे माता, आप मेरा ध्‍यान क्‍यों भंग कर रही हैं ?’’ उसने उत्तर दिया, ‘‘मैं आपसे विवाह करना चाहती हूं ।’’

श्री गणपति ने कहा, ‘‘मैं कभी विवाह नहीं करूंगा, मोहपाश में नहीं पड़ूंगा ।’

इसपर उस अप्‍सराने क्रोध में आकर कहा, ‘‘मैं आपको शाप देती हूं । आपकी इच्‍छा न होनेपर भी आपको विवाह करना पडेगा ।’’
इससे भगवान श्री गणेशजी क्रोधित हो गए और उन्‍होंने भी देवी तुलसी को शाप दिया कि उनका विवाह असुर के साथ होगी । आप पृथ्‍वीपर वृक्ष बन जाएगी । यह सुनकर अप्‍सरा अत्‍यंत दुखी हो गई और उन्‍हें अपनी गलती का भान हुआ । उन्‍होंने भगवान गणेश से क्षमा मांगी ।

बच्‍चो, देवता तो क्षमाशील होते हैं । इसलिए भगवान श्री गणेश ने उस अप्‍सरा की क्षमा को स्‍वीकार किया और कहा कि अब शाप तो वापस नहीं लिया जा सकता है, लेकिन तुम वृक्ष रूप में भगवान विष्‍णु और श्रीकृष्‍णजी की प्रिय बनोगी । भविष्‍य में तुम्‍हें पवित्र पौधे के रूप में पूजा जाएगा । परंतु तुम्‍हे मेरी पूजा में कभी भी स्‍थान नहीं दिया जाएगा । केवल भाद्रपद गणेश चतुर्थी को मेरी पूजा तुम्‍हारे बिना पूर्ण नहीं होगी ।

श्री गणेशजी के शाप के अनुसार, अगले जनम में वह अप्‍सरा तुलसी का पौधा बन गई । आगे जाकर वह भगवान श्री विष्‍णु तथा श्रीकृष्‍णजी की प्रिय हो गई । श्री विष्‍णु तथा श्रीकृष्‍णजी की पूजा में तुलसी का स्‍थान सबसे उपर रहता है ।

भगवान श्री गणेशजी ने दिए शाप के कारण तुलसी को कभी भी गणेश पूजा में स्‍थान नहीं मिलता । केवल भाद्रपद चतुर्थी को गणेश पूजा में तुलसी चढाई जाती है ।

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