बालकृष्‍णद्वारा असुरों का निर्दालन !

बच्‍चों, हमने पूतना वध की कहानी सुनी है । बालकृष्‍ण ने केवल पूतना का ही नहीं अन्‍य असुरों का भी नाश किया है । आज उसकी कथा सुनते हैं ।

तृणावर्त का वध

जब कंस को पता चला कि पूतना का वध हो गया है, तो उसने श्रीकृष्‍ण को मारने के लिए तृणावर्त नामक राक्षस को भेजा । तृणावर्त बवंडर का रूप धारण करके बड़े-बड़े पेड़ों को भी उखाड़ सकता था । तृणावर्त बवंडर बनकर गोकुल पहुंचा । बवंडर आते देख सभी गोकुलवासी अपने अपने घरों में चले गए । बालकृष्‍ण आंगन मे खेल रहे थे । बवंडर देखकर यशोदा माता कान्‍हा को भवन के अंदर ले जाने के लिए बाहर आ गई; परंतु यशोदा माता ने बालकृष्‍ण को उठाने से पहले ही बवंडर ने बालकृष्‍ण को अपने साथ उड़ा लिया । कृष्‍ण तो भगवान थे । उन्‍होंने तृणावर्त राक्षस को पहचान लिया । बालकृष्‍ण ने अपना भार बहुत बढा लिया, जिसे तृणावर्त संभाल ही नहीं पाया और उसकी गती कम होने लगी । जब बवंडर शांत हुआ, तो बालकृष्‍ण ने राक्षस का गला पकड़कर उसका वध कर दिया ।

वत्‍सासुर का वध

तृणावर्त का भी वध हो गया है, यह सुनकर कंस ने उसने वत्‍सासुर नामक एक और असुर को बालकृष्‍ण को मारने भेजा । वत्‍सासुर ने गाय के एक बछड़े का रूप धारण कर लिया । बच्‍चों, आपको ध्‍यान मे आया न ? असुर कोई भी रूप धारण कर सकते थे । वत्‍सासुर श्रीकृष्‍ण की गायों के साथ मिल गया । कान्‍हा उस समय गायों को चराने के लिए वन मे आए थे । बालकृष्‍ण ने उस बछड़े के रूप में आए हुए दैत्‍य को पहचान लिया । वत्‍सासुर कृष्‍ण पर झपटनेवाला ही था की कृष्‍ण ने उसकी पूंछ पकड़कर उसे घुमाया और एक वृक्ष पर पटक दिया । वही पर उस दैत्‍य का वध हो गया ।

बकासुर का वध

श्रीकृष्‍ण को मारने के लिए कंस हर प्रयास कर रहा था । वत्‍सासुर के बाद कंस ने बकासुर को भेजा । बकासुर एक बगुले का रूप धारण करके श्रीकृष्‍ण को मारने के लिए आ पहुंचा । उस समय कान्‍हा और उनके साथी खेल रहे थे । तब बगुले ने कृष्‍ण को निगल लिया और कुछ ही देर बाद कान्‍हा ने उस बगुले को चीरकर उसका वध कर दिया ।

अघासुर का वध

श्रीकृष्‍ण को मारने के लिए अब कंस ने अघासुर को भेजा । अघासुर पूतना और बकासुर का छोटा भाई था । अघासुर बहुत ही भयंकर राक्षस था । सभी देवता भी उससे भयभीत होते थे । अघासुर ने कृष्‍ण को मारने के लिए विशाल अजगर का रूप धारण किया । इसी रूप में अघासुर अपना मुंह खोलकर रास्‍ते पर बैठ गया उसका मुख गुफा के समान दिखाई दे रहा था ।
श्रीकृष्‍ण और उनके मित्र खेल रहे थे । एक बड़ी गुफा देखकर सभी बालकों ने उसमें प्रवेश करने का मन बनाया । सभी ग्‍वाले और कृष्‍ण उस गुफा के अंदर चले गए । उसी समय अघासुर ने अपना मुंह बंद कर लिया । सभी ग्‍वालों को अपने प्राणों पर आया संकट ध्‍यान में आया, तब वे श्रीकृष्‍ण से सबको बचाने की प्रार्थना करने लगे । तभी कृष्‍ण ने अपना शरीर तेजी से बढाना शुरू कर दिया । अब कान्‍हा ने भी विशाल शरीर बना लिया था । इसके कारण अघासुर सांस भी नहीं ले पा रहा था । इसी प्रकार अघासुर का भी वध हो गया ।

Leave a Comment