श्री गोविंदप्रभु ! 

श्री गोविंद प्रभु को उनके मामा, मौसी ने पाला । वे उन्‍हें ऋद्धिपुर लेकर गए और वही श्री प्रभु की कर्मभूमी बन गई । छोटे गोविंद प्रभु ने बोपदेव उपाध्‍याय से वेदों का अध्‍ययन आरंभ किया । तेज बुद्धिमत्ता के साथ-साथ उनमें आज्ञापालन गुण भी था । उनका जीवन बहुत ही सरल था । Read more »

श्री संत चैतन्‍य महाप्रभु की श्रीकृष्‍णभक्‍ति ! 

निमाई (चैतन्‍य महाप्रभु) अलौकिक तेजस्‍वी महापुरुष थे । गुरु केशव भारती ने निमाई को संन्‍यास-दीक्षा देकर उनका नाम श्रीकृष्‍ण चैतन्‍य रखा । ‘हरे कृष्‍ण । हरे कृष्‍ण । कृष्‍ण कृष्‍ण हरे हरे ।’ यह चैतन्‍य महाप्रभु का यह नामसंकीर्तन लोकप्रिय हो गया । उन्‍होंने कृष्‍णभक्‍ति का प्रसार कर सामान्‍य लोगों को जीवनमुक्‍ति का मार्ग दिखाया । Read more »

श्री नृसिंह सरस्‍वती ! 

श्री नृसिंह सरस्‍वती श्री दत्तात्रेय के दूसरे अवतार थे । उन्‍होंने करंजनगर नामक गांव में जन्‍म लिया । श्री गुरु नृसिंह सरस्‍वतीजीने दक्षिण में स्‍थित विविध तीर्थों का भ्रमण किया । भविष्‍य में वह गुप्‍तरूप से संचार करते हुए गाणगापुर में प्रकट हुए । Read more »

संत निवृत्तिनाथ !

संत निवृत्तिनाथ संत ज्ञानेश्‍वर के बडे भाई तथा गुरु थे । छोटी उम्रमें निवृत्तिनाथ के माता-पिता घरबार छोडकर चले गए, किंतु वह घबराए नहीं और उन्‍होंने अपने भाई-बहन का लालन-पालन माता-पिता की तरह किया । Read more »

सरखेल कान्‍होजी आंग्रे : मराठा नौदल प्रमुख !

मराठा साम्राज्‍य में सरखेल कान्‍होजी आंग्रे ‘मराठा नौसेना’ के प्रमुख थे । कान्‍होजी आंग्रे लगभग २५ वर्षों तक भारत के कोंकण का सागरी तट को स्‍वराज्‍य में सुरक्षित रखने में सफल हुए थे । सागर के सम्राट कान्‍होजी आंग्रे को नौसेनाधिपति (सरखेल) आंग्रे भी कहा जाता है । Read more »

महान संत ज्ञानेश्‍वरजी !

संत ज्ञानेश्‍वरजी ने केवल १५ वर्ष की आयु में लिखा ‘ज्ञानेश्‍वरी ग्रंथ’ लिखा था जो मराठी साहित्‍य का अमर भाग है ! उन्‍होंने भागवत पंथ की स्‍थापना की । संत ज्ञानेश्‍वरजी ने केवल २१ वर्ष की छोटी आयु में ही आलंदी के इंद्रायणी नदी के पावन तटपर संजीवन समाधी ग्रहण की । Read more »

शिवप्रताप दिन के अवसर पर : अफजलखान का वध

आदिलशाह के सभा में उनका एक अत्यंत क्रूर सरदार था, जिसका नाम अफजलखान था । आदिलशाह ने मराठों पर कब्जा करने के लिए अफझल खान को भेजा । अफजलखान का वध कर छत्रपति शिवाजी महाराजजी ने असिम शौर्य से एक इतिहास रचा और आतंकवाद को ऐसेही समाप्त करना चाहिए यह सीख विश्‍व को दी । यह दिन ‘शिवप्रताप दिन’ के नाम से प्रसिद्ध है । Read more »

धर्मसम्राट करपात्र स्‍वामीजी !

करपात्र स्‍वामीजी ने विश्‍वेश्‍वराश्रम के निकट वेदशास्‍त्रों का अध्‍ययन किया । उन्‍होंने हिमालय में निवास कर, तपस्‍या की । समाधी अवस्‍था उन्‍हें ईश्‍वर से धर्म की संस्‍थापना का कार्य करने का दैवी आदेश मिला । स्‍वामीजी ने राष्ट्र और धर्मजागृति के लिए दैवी कार्य किया था । Read more »

देशभक्‍त बाल क्रान्‍तिकारी दत्तू रंगारी और हेमू कलानी !

बाल क्रांतिकारियों ने कितनी कम आयु में अपने देश के लिए त्‍याग किया और अपना बलिदान दिया था । भारतमाता को किस प्रकार से अंग्रेजों से स्‍वतंत्र कराया जाए, उसके लिए मर मिटने तक की तैयारी होना और यही एकमात्र विचार होने के कारण वे आज भी देशभक्‍त कहलाते हैं । हम ऐसे ही दो बाल देशभक्‍तों की कहानी देखनेवाले हैं । Read more »

बालक्रांतिकारि सुशील सेन और काशीनाथ पागधरे !

हम दो बाल बालक्रांतिकारियों की कहानी देखेंगे जिन्‍होंने अपने देश के लिए सर्वस्‍व का त्‍याग किया था । भारतमाता को स्‍वतंत्र कराने के लिए अनेक क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया है । हम सुशील सेन और काशीनाथ पागधरे इन बाल क्रांतीकारियों द्वारा किए गए उनके त्‍याग को एक कहानी के माध्‍यम से सीखेंगे । Read more »