गोदावरी नदी की जन्‍मकथा 

भगवान शिवजी के बारह ज्‍योतिर्लिंग हमारी पवित्र भारतभूमी पर हैं । इन बारह ज्‍योतिर्लिंगों में तीसरे स्‍थान पर आता है, महाराष्‍ट्र के नासिक जिले में गोदावरी नदी के तट पर विराजमान श्री त्र्यम्‍बकेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग ! यह ज्‍योतिर्लिंग ब्रह्मगिरी पर्वत के निकट स्‍थित है और ब्रह्मगिरी पर्वत से ही गोदावरी नदी का उद़्‍गम होता है । Read more »

नामस्‍मरण का महत्त्व : भक्त प्रल्‍हाद

जो देवता का नामजप करता है, वह देवता का भक्‍त हो जाता है । देवता अपनी भक्‍तों की सदा रक्षा करते हैं । भगवान ने भक्‍तों को वचन दिया है, ‘न मे भक्‍त: प्रणश्‍यती ।’ अर्थात ‘मेरे भक्‍तों का कभी नाश नहीं होता । आज हम देवता का अखंड नामजप करनेवाले एक ऐसे भक्‍त की कथा सुननेवाले हैं, जिसकी असीम भक्‍ति के कारण देवता उसकी रक्षा के लिए प्रकट हुए थे । Read more »

श्रद्धा की कसौटी ! 

एक साधु महाराज श्री रामायणजी की कथा सुनाते थे । उनकी कथा सुनकर लोग आनंद विभोर हो जाते थे । साधु महाराज का एक नियम था, प्रतिदिन वह कथा प्रारंभ करने से पहले हनुमानजी को कथा सुनने के लिए आमंत्रित करते थे । एक महाशय ने साधु महाराज से पूछा, ‘महाराज, आप जो गद्दी प्रतिदिन हनुमान जी को देते हैं, उसपर क्‍या हनुमानजी वास्‍तव में विराजमान होते हैं ?’ Read more »

निरपेक्ष प्रेम ! 

एक गांव में एक बूढी माई रहती थी । उसका इस संसार में कोई नहीं था । इसलिए वह अकेली ही अपना जीवन बिता रही थी ।
एक दिन उस गांव में एक साधु महाराज आए । जब साधु महाराज जाने लगे तो बूढी माई ने कहा, ‘महात्‍मा जी ! आप तो ईश्‍वर के परम भक्‍त है । कृपा करके मेरा अकेलापन दूर करने का उपाय बताएं । ‘ Read more »

गजेन्‍द्र मोक्ष ! 

यह बहुत प्राचीन काल की बात है । द्रविड देश में इंद्रद्युम्न राजा राज्‍य करते थे । वह भगवान श्रीविष्‍णु के परम भक्‍त थे । वह भगवान की आराधना में ही अपना अधिक समय व्‍यतीत करते थे । उनके राज्‍य में सर्वत्र सुख-शांति थी । प्रजा संतुष्ट थी । इंद्रद्युम्‍न का ऐसा भाव था कि भगवान श्रीविष्‍णु ही उनके राज्‍य की व्‍यवस्‍था करते हैं । Read more »

रामभक्‍त त्‍यागराज ! 

लगभग ४०० वर्ष पूर्व तमिलनाडु में त्‍यागराज नामक एक रामभक्‍त रहते थे । वह उत्तम कवि भी थे । वह प्रभु राम के भजनों की रचना करते तथा उन्‍हीं भजनों को वह गाते भी थे । वह सदैव रामनाम में ही डूबे रहते थे । Read more »

घमंड का परिणाम !

राजा भोज के दरबार में कालिदास नामक एक महान और विद्वान कवि थे । उन्‍हें अपनी कला और ज्ञान का बहुत घमंड हो गया था । एक बार कवि कालिदास भी यात्रा पर निकले । मार्ग में उन्‍हें बहुत प्‍यास लगी । वह अपनी प्‍यास बुझाने के लिए मार्ग में किसी घर अथवा झोपडी को ढूंढ रहे थे, जहां से पानी मांगकर वह अपनी प्‍यास बुझा सकें । Read more »

भिखारी की संतुष्‍टता !

राजा महेंद्रसिंह अचलानगरी के राजा थे । उन्‍हें अपनी प्रजा से बहुत प्रेम था । राजा महेंद्रसिंह का जन्‍मदिन निकट आ रहा था । राजा ने एक योजना बनाई कि वह जन्‍मदिन की सुबह अपनी नगरी में घूमकर आयेंगे । उन्‍होने सोचा कि उस दिन रास्‍ते में सबसे पहले जो व्‍यक्‍ति मिलेगा, उसे पूर्णत: संतुष्‍ट करेंगे । Read more »

शरणागति का महत्त्व !

एक स्‍थान पर बहुत सारी भेड-बकरियां रहती थीं । वे हरी-हरी घास, लता और पेडों की पत्तियां चरने के लिए नियमितरूप से जंगल में जाती थीं । एक दिन क्‍या हुआ कि जब वह सभी भेड-बकरियां जंगल में चरने गयीं । उनमें से एक बकरी चरते-चरते एक लता में उलझ गई । Read more »

चतुर खरगोश ! 

आज हम एक चतुर खरगोश की कहानी सुनते हैं । एक घने जंगल में एक बहुत बडा शेर रहता था । वह प्रतिदिन शिकार पर निकलता और कई जानवरों को मारकर खा जाता था । इस कारण जंगल के सभी जानवर डर लगने लगा कि यदि शेर इसी प्रकार शिकार करता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा कि जंगल में कोई भी जानवर जीवित नहीं बचेगा । Read more »