लक्ष्मणजी की तपस्‍या ! 

प्रभु श्रीरामजी के साथ लक्ष्मणजी वनवास गए थे । प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण इनमें अगाध प्रेम था । रावण के साथ जब महाभयंकर युद्ध हुआ था, तब लक्ष्मणजी ने रावण के पुत्र इंद्रजित का वध किया था । लक्ष्मणजी ने इंद्रजित का वध कैसे किया था, यह कथा अब हम सुनते है । Read more »

विभीषण प्रभु श्रीरामजी की शरण में ! 

रावण के भाई विभीषण धर्मनिष्‍ठ और नीतिवान थे । वे सदाचारी और धर्म के नियमों का पालन करते थे । विभीषण ने रावण को धर्म के अनुसार आचरण कर माता सीता को मुक्‍त करने के लिए कहा । परंतु अधर्मी रावणने विभीषण का कहना न मानकर उसका अपमानही किया । रावण से अपमानित होकर विभीषण शिघ्रता से आकाशमार्ग से उस स्‍थान पर पहुंचे जहां लक्ष्मण सहित प्रभु श्रीरामजी थे । Read more »

प्रभु श्रीराम की बहन शांता और ऋष्यश्रृंग 

आप सभी को ज्ञात होगा कि श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न राजा दशरथ के पुत्र थे । इनके साथ ही राजा दशरथ और रानी कौशल्या की शांता नाम की एक कन्या भी थी । शांता उनकी पहली संतान थी । अर्थात वह प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न इनकी बहन थी । शांति और सद्भाव का प्रतीक थी । Read more »

प्रभु श्रीराम तथा लक्ष्मण द्वारा मारीच और सुबाहु का वध !

ऋषि विश्वामित्र बडा यज्ञ कर रहे थे तथा राक्षस उनके यज्ञ की अग्नि में मांस, रक्त आदि डालकर उसे अपवित्र कर देते थे । इसलिए महर्षि विश्वामित्र ने अयोध्या में राजा दशरथ से सहायता मांगी तथा यज्ञ की रक्षा के लिए उनके पुत्र प्रभु श्रीराम को साथ भेजने के लिए कहा । महाराज दशरथ की आज्ञा से प्रभु श्रीराम बंधु लक्ष्मण के साथ ऋषि विश्वामित्रजी के गुरुकुल पहुंचे Read more »

भरत का बंधुप्रेम और पादसेवन भक्ति ! 

जब प्रभु श्रीराम वनवास जा रहे थे, तब उनके छोटे भाई भरत अयोध्या में नहीं थे । जब भरत अयोध्या लौटे, तब उन्हें पता चला कि उनकी माता कैकयी ने उन्हें सिंहासन पर बिठाने हेतु बंधु श्रीराम को १४ वर्ष का वनवास दिया है, तब उन्हें बहुत दुख हुआ । अपने बडे भाई श्रीराम को वापस लाने हेतु वे वन में गए । Read more »

प्रभु श्रीरामजीद्वारा देवी अहिल्‍या का उद्धार 

ब्रह्माजी की मानसपुत्री थी जिसका नाम अहिल्‍या था । ब्रह्माजी ने अहिल्‍या को सबसे सुंदर स्‍त्री बनाया था । सभी देवता उनसे विवाह करना चाहते थे । अहिल्‍या से विवाह करने के लिए ब्रह्माजी ने एक शर्त रखी । जो सबसे पहले त्रिलोक का भ्रमण कर आएगा वही अहिल्‍या का वरण करेगा, ऐसे उन्‍होंने कहां । Read more »

प्रभु श्रीराम की पितृभक्ति ! 

राजा दशरथ ने अयोध्या के सिंहासन पर श्रीराम का राजतिलक करने का निर्णय लिया था । राज्याभिषेक से कुछ समय पूर्व रानी कैकेयी ने दशरथ से दो वर मांगे । रानी कैकयी ने दो वरों में से एक वर से भरत का राज्याभिषेक और दूसरे से प्रभु श्रीराम को १४ वर्ष के वनवास की मांग की । Read more »

लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा का वध ! 

हमे पता है कि प्रभु श्रीराम विष्‍णु के अवतार और मर्यादा पुरुषोत्तम थे । उनके अवतार काल मे उन्‍होंने अनेक राक्षसों का वध किया । श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण ने शूर्पणखा नामक राक्षसी का वध किया । अब हम यह कथा सुनेंगे । Read more »

केवट की रामभक्‍ति !

प्रभु श्रीरामजी के चरणों का महत्त्व जाननेवाला केवट प्रभु श्रीरामजी का भक्‍त भी था । केवट एक नाविक था । बालमित्रो, नाविक अपनी नाव से लोगों को नदी पार करवाता है । प्रभु जब वनवास के लिए जा रहे थे, तब उन्‍हें नदी पार करनी थी । Read more »

ताडका वध

महर्षि विश्‍वामित्र विश्‍व कल्‍याण के लिए यज्ञ किया करते थे । उस काल में वन में बहुत से राक्षस रहते थे, जो ऋषि-मुनियों के यज्ञों में बाधा डालते थे । उनके इस कष्‍ट के कारण महर्षि विश्‍वामित्र राजा दशरथ की अयोध्‍या नगरी में पहुंचे तथा राक्षसों के वध के लिए उन्‍होंने प्रभु श्रीराम को साथ भेजने की विनती की । प्रभु श्रीराम के साथ लक्ष्मण भी महर्षि के साथ चल पडे । Read more »