शिवप्रताप दिन के अवसर पर : अफजलखान का वध

आदिलशाह के सभा में उनका एक अत्यंत क्रूर सरदार था, जिसका नाम अफजलखान था । आदिलशाह ने मराठों पर कब्जा करने के लिए अफझल खान को भेजा । अफजलखान का वध कर छत्रपति शिवाजी महाराजजी ने असिम शौर्य से एक इतिहास रचा और आतंकवाद को ऐसेही समाप्त करना चाहिए यह सीख विश्‍व को दी । यह दिन ‘शिवप्रताप दिन’ के नाम से प्रसिद्ध है । Read more »

रामराज्य में शिक्षा कैसी थी ?

श्रीराम ने स्वतंत्र शिक्षा देकर घरघर में श्रीराम निर्मित किए थे ! रामराज्य में आर्थिक योजनाओें के साथ ही उच्च कोटिका राष्ट्रीय चरित्र भी निर्मित किया जाता था । उस समय के लोग निर्लाेभी, सत्यवादी, सरल, आस्तिक एवं परिश्रमी थे । आलसी नहीं थे । Read more »

रामराज्य में शिक्षा कैसे प्रदान की जाती थी ?

रामराज्यमें आर्थिक योजनाके साथ ही उच्च राष्ट्रीय चरित्रका निर्माण किया गया था । तत्कालिन लोक निर्लाेभी, सत्यवादी, अलंपट, आाqस्तक और सक्रिय थे; क्रियाशून्य नहीं थे । जब बेकारभत्ता मिलता है तब मनुष्य क्रियाशून्य बनता है । तत्कालिन लोग स्वतन्त्र थे; कारण शिक्षा स्वतन्त्र थी । Read more »

छत्रपती शिवाजी महाराज जैसा आदर्श राजा बनाना ही खरा शिवराज्याभिषेक दिन !

विद्यार्थी मित्रो, ज्येष्ठ शु. त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११५ को शिवराज्याभिषेक दिन है । आज के शासकों की मानसिकता देखकर हमें ज्ञात होगा कि आज छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे राजा की आवश्यकता क्यों है । शिवाजी महाराज जैसे राजा के कारण ही राष्ट्र की, धर्म की एवं हमारी भी रक्षा होगी । Read more »

रणरागिनी महारानी दुर्गावती

गोंडवाना को स्वतंत्र करने हेतु जिसने प्राणांतिक युद्ध किया और जिसके रुधिर की प्रत्येक बूंद में गोंडवाना के स्वतंत्रता की लालसा थी, वह रणरागिनी थी महारानी दुर्गावती । उनका इतिहास हमें नित्य प्रेरणादायी है । Read more »

बुंदेल केसरी महाराजा छत्रसाल

मध्यकालीन भारत में विदेशी आतताइयों से सतत संघर्ष करने वालों में छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप और बुंदेल केसरी छत्रसाल के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं । बुंदेल केसरी छत्रसाल को ‘शत्रु और संघर्ष’ ही विरासत में मिले थे । Read more »

मराठा साम्राज्य का भय संपूर्ण हिन्दुस्तान में निर्माण करनेवाले ज्येष्ठ बाजीराव पेशवे

ज्येष्ठ बाजीराव पेशवा (अगस्त १८, १६९९ – अपै्रल २५, १७४०) मराठा साम्राज्य के चौथे छत्रपति शाहू महाराज के १७२० से आजीवन पेशवा (मराठों के प्रधान मंत्रियों की उपाधि) थे । Read more »

मेवाड़ का अपराजित राजा महाराणा प्रताप

राजपूताने की वह पावन बलिदान-भूमि, विश्व में इतना पवित्र बलिदान स्थल कोई नहीं । इतिहास के पृष्ठ रंगे हैं उस शौर्य एवं तेज़ की भव्य गाथा से । Read more »

साहसी पृथ्वीसिंह

एक बार सम्राट औरंगजेबने एक बहुत बडे बाघ को पकडा । अगले दिन उसने घमंड से राजसभा में पूछा, ‘‘ऐसा बाघ आपमें से किसीने कभी देखा है क्या ?’’ मुगलों की दास्यता विवशता से स्वीकारनेवाले जोधपुर के राणा Read more »