प्राणार्पण कर ग्रंथरूपी राष्ट्रीय अस्मिता की रक्षा करनेवाले भारतीय !

छठवे शतक में चीनी यात्री हुसेन त्संग धर्मभूमि भारत का दर्शन करने
गैबी का मरुस्थल पार कर भारत आया । बौद्ध तीर्थक्षेत्रों का भ्रमण करते करते
बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय में आकर कुछ वर्ष उन्होंनें भारतीय परंपरा,
समाज एवं कला इत्यादिका अध्ययन किया । Read more »

गुरुकुल रूपी धर्मशिक्षण पद्धती

हमें अपनी प्राचीन गुरुकुल शिक्षण व्यवस्था भारत में लाने के लिए कटिबद्ध होकर, आनेवाली पीढी के लिए चैतन्य और ईश्‍वरी कृपा का आनंद अनुभव करने के लिए सिद्ध हो जाए | Read more »

प्राचीन काल के भारत का शिक्षा वैभव !

भारत में अंग्रेजों का शासन स्थापित करने के उद्देश्य से सर थॉमस मूनरो नामक अंग्रेज अधिकारी ने तत्कालिन भारतीय शिक्षाप्रणाली का गहन सर्वेक्षण किया । इस सर्वेक्षण से प्राचीन काल के भारतीय शिक्षाप्रणाली का वैभव स्पष्ट होता है । Read more »

गुरुकुल शिक्षाप्रणाली

आपने अनेक बार भारत की प्राचीन गुरुकुल पद्धति के विषय में सुना होगा । इस शिक्षापद्धति में गुरुके घर जाकर शिक्षा प्राप्त करना, यही अर्थ आपको ज्ञात है । Read more »

ब्रिटीशपूर्व काल में भारत ज्ञानार्जन के, अर्थात शिक्षा के शिखर पर होना

‘भारत की ब्रिटीशपूर्व काल की शिक्षा उत्कर्ष साधनेवाली थी । इस सन्दर्भ में यूरोपियन यात्रियों एवं शासनकर्ताओं के निःसन्दिग्ध साक्ष्य उपलब्ध हैं । रामस्वरूप ने उनके Education System during Pre-BritishPeriod इस प्रबन्ध में इस विषय में चर्चा की है ।’ Read more »

रामराज्य में शिक्षा कैसी थी ?

श्रीराम ने स्वतंत्र शिक्षा देकर घरघर में श्रीराम निर्मित किए थे ! रामराज्य में आर्थिक योजनाओें के साथ ही उच्च कोटिका राष्ट्रीय चरित्र भी निर्मित किया जाता था । उस समय के लोग निर्लाेभी, सत्यवादी, सरल, आस्तिक एवं परिश्रमी थे । आलसी नहीं थे । Read more »

आनन्ददायी गुरुकुल शिक्षणपद्धति भारत में लाने हेतु कटिबद्ध हो जाए !

पूर्वकाल में ऋषीमुनियों ने अपने आश्रम में विद्यार्थियों को सभी दृष्टिसे सामर्थ्यवान करनेवाली शिक्षा प्रदान की । उसेही गुरुकुल शिक्षा कहते है । Read more »