तिथिका महत्व जानिए !

हिंदुओंका पंचांग कैसा है ?

हिंदू कालगणनाका पंचांग तिथिके अनुसार है । तदनुसार एक माहमें दोपक्ष आते हैं । पूर्णिमासे अमावस्यातक कृष्ण पक्ष तथा अमावस्यासे पूर्णिमातक दूसरा पक्षशुक्ल पक्ष होता है । प्रत्येक पक्षमें प्रतिपदासे चतुर्दशीतक १४ तिथी तथा पंद्रहवां दिनअमावस्या अथवा पूर्णिमा होता है ।

अंग्रेजोंकी पश्चिमी कालगणना

अंग्रेजोंके भारतपर राज्य करना प्रारम्भ करनेपर भारतियोंका परिचय पश्चिमीदिनदर्शिकासे हुआ । अंग्रेजोंने अपने राजकारोबारकी सुविधा हेतु सर्वत्र अंग्रेजीकालगणनाका उपयोग प्रारम्भ किया । आगे जाकर अंग्रेजोंने भारतभर एकछत्र साम्राज्यस्थापित किया, शिक्षाका प्रसार किया । अत: भारतभर अंग्रेजी प्रशासकीय कारोबारमें उनकीही दिनदर्शिकाका उपयोग होने लगा । भारतकी १९ वीं शताब्दीकी शिक्षित पीढी अंग्रेजीशिक्षासे प्रभावित होनेके कारण अंग्रेजी कालगणनाके उपयोगमें वृद्धिहुई ।

हिंदुओंकी कालगणनाका महत्त्व

हिंदुओंकी तिथिपर आधारित कालगणना विश्वकी प्राचीनतम कालगणना है ।तत्पश्चात विश्वकी सभी दिनदर्शिकाओंकी निर्मिति हुई है । हिंदूसंस्कृति वेदनिर्मित अर्थात अपौरुषेय, ईश्वरनिर्मित होनेके कारण शास्त्रशुद्ध एवं परिपूर्ण है। हिंदू संस्कृति ईश्वरनिर्मित होनेके कारण चैतन्यमय है तथा व्यक्तिका सर्वांगीणकल्याणकारी है !

कालगणनाकी विशेषताएं

वर्ष १ जनवरीसे, आर्थिक वर्ष १ अप्रैलसे, व्यापारी वर्ष कार्तिक शुक्लप्रतिपदासे, शैक्षणिक वर्ष जूनसे, सौर वर्ष, चांद्र वर्ष तथा सौरचांद्र वर्ष (लुनी सोलर) इनवर्षोंके भी अलग-अलग वर्षारंभ करनेके दिवस हैं । किंतु इनमें एक धागा समान है । सर्वत्रबारह महीनोंका ही वर्ष है । वर्ष बारह महीनोंका हो, यह बात प्रथम किसने बताई तथाविश्वने उसे कैसे मान लिया ? विश्वमें अनेक पंचांग हैं । तदनुसार विविध वर्षांरंभ हैं ।

किंतुसभी पंचांगोंका एक वर्ष १२ महीनोंमें ही विभाजित हुआ है । बारह महीनोका सबसेप्राचीन निर्देश प्रथम वेदोंमें पाया गया । ‘द्वादशमासैः संवत्सरः ।’ ऐसा वेदोंमें वचन है ।वेदोंने बताया तथा विश्वने वह मान लिया !

तिथिके अनुसार जन्मदिवस अथवा त्यौहार मनानेका महत्व !

तिथिके अनुसार जन्मदिवस, जयंती मनाएं; क्योंकि उस विशिष्ट तिथिको उसव्यक्तिके अथवा महापुरुषके स्पंदनोंसे मिलतीजुलती तरंगें पृथ्वीपर आती हैं तथा उसव्यक्तिको उन तरंगोंका आध्यात्मिक स्तरपर लाभ होता है । तिथिके अनुसार कोई कृत्यकरनेका महत्व इससे ध्यानमें आएगा !

हिंदुओंके त्यौहार विशिष्ट तिथिपर ही प्रतिवर्ष आते है । अत: त्यौहार‘तिथी’नुसार मनाए जाते हैं । उन विशिष्ट तिथिपर उन त्यौहारोंसे संबंधित देवताओंकी तरंगेंपृथ्वीवर आती हैं तथा संबंधित देवताका तत्त्व तरंगोंके माध्यमसे पृथ्वीपर उस विशिष्ट
कालावधिमें अधिक मात्रामें आता है । जो जीव भक्तिभाव तथा धर्मशास्त्रानुसार त्यौहारमनाते हैं उन्हें इन तरंगों लाभ होकर देवताका चैतन्य प्राप्त होता है ।

मित्रों, तिथिनुसार जन्मदिवस मनानेकी पद्धति तथा अपनी जन्मतिथि जानने हेतु यहां क्लिककरें !

विश्वकी सर्वश्रेष्ठ हिंदू संस्कृतिपर गर्व अनुभव करें !

तिथिका ऊपर निर्देशित शास्त्र समझ लेनेपर, हिंदू संस्कृतिका पंचांग कितनापरिपूर्ण, सखोल चिंतनात्मक एवं शास्त्रका अभ्यासकर बनाया गया है, यह बात ध्यानमेंआएगी । यह जाननेपर किस हिंरूका सीना अभिमानसे भर नहीं जाएगा ? हिंदुओं, वर्तमानमेंहम उपयोगमें ला रहे हैं, वह अंग्रेजी पंचांग केवल २ सहस्त्र १४ वर्ष पूर्वका है, किंतुवेदकालीन हिंदू संस्कृतिका पंचांग १ अब्ज ९५ कोटि ५८ लाख ८५ सहस्त्र११० वर्षवर्षपूर्वका है । इससे ऋषिमुिनयोंकी अपनी प्राचीन हिंदू संस्कृतिकी महानता ध्यानमें आएगी!

अपनी संस्कृति हेतु इतना अवश्य करें !

१. अपना जन्मदिवस तिथिनुसार मनाएं !

२. महान पुरुषोंकी जयंती एवं पुण्यतिथि तिथिनुसार ही मनाएं तथा अन्योंको भी इसके लिएप्रेरित करें !

३. भारतका स्वतंत्रतादिवस तथा गणतंत्रदिवस तिथिनुसार मनाएं !

४. नववर्षारंभ १ जनवरीको नहीं, अपितु गुढीपाडवाको ही मनाएं !

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