आदर्श और वैभवसंपन्न विजयनगर !

१. विश्वमें सर्वाधिक रमणीय और प्रेक्षणीय नगर !

‘विजयनगर, कलाकुशलताका एक नगर । यहांपर नगररचनाका एक अपूर्व नमुना देखनेको मिलता है । आज भी उसकी तुलना किसीसे नहीं की जा सकती । शृंगेरीमठके अधिपती विद्यारण्य स्वामाजीने विजयनगरका हिंदु साम्राज्य क्षत्रिय राजवंशद्वारा निर्माण किया । यह राजनगरी तुंगभद्रा नदीकी दक्षिण दिशामें है । विजयनगर जैसा रमणीय और प्रेक्षणीय नगर विश्वमें कहीं भी नहीं था । इस हिंदु साम्राज्यने तीन सौ पचास वर्ष हिंदु धर्म और संस्कृतिकी अखंड रक्षा की । इस विजयनगरका वर्तमान नाम हंपी है ।

२. शत्रुओंसे रक्षा करने हेतु अद्भुत रचना

इस नगरकी रचना अद्भुत है । इसके चारोंओर एकके उपरांत एक, ऐसे सात कोट (किले) हैं । यहांपर एक पुरुष ऊंचाईके पाषाण भूमिमें इतनी दृढतासे गाडे हैं कि घुडसवार और सैनिक उन्हें सहजतासे लांघ भी नहीं पाएंगे । सातवे कोटमें अनेक दालन और मंत्रालय है ।

उत्तर और दक्षिणके द्वारमें आठ मीलोंकी दूरी है । चारों दिशाओंमें दुर्गम बुर्ज हैं । ये बुर्ज आश्रय और सुरक्षाके स्थान हैं ! कोटके बाहर बडे-बडे नुकीले और ऊंचे पाषाण हैं । कोटसे भीतरके परिसरमें पानी ले जानेकी अद्यतन व्यवस्था है । भीतरकी दिशामें दो बडे जलाशय हैं । इन्हें ही ‘पुष्करणी’ कहते हैं ।

३. कलाकुशलतासे समृद्ध प्रचंड वास्तुएं

घोडे और हाथियोंके लिए बडा गोठ (पशुशाला) है । ‘कमलमहल’, राजाके हाथीके लिए एक बडा गोठ ! (The stable of the royal elephants..) अत्यंत सुंदर कलाकुशलतासे समृद्ध प्रचंड वास्तुएं । ग्रेनाईटकी १० मालेकी अट्टलिकाएं अर्थात राममंदिर ! इस राममंदिरमें हिंदु पुराणांतर्गत अतिसुंदर प्रसंग खोदे हैं । दस मीटरके अखंड खोदे हुए पाषाण ! एक सिंहासन, कुछ मंदिर, सात मालोंकी ऊंचाइका उस नगरके चारोंओरका वह कोट, तीस चौरस मीलोंका वह क्षेत्र ! (Its temples, palaces aqueducts and seven rows of fortified walls spread out in an area of twenty six square miles.)

४. भव्यता और सुंदरतासे युक्त राजप्रासाद और मंदिर !

‘फिग्युटेडी’ नामक यात्रीने यह राजप्रासाद देखा था । उसने विजयनगरका किया वर्णन, ‘भूमिसे लेकर छततक सुवर्णपत्रजडित मेघडंबरी, बेतोंकी जालीयां, चौकीयां, हिरे, मोती, रत्नोंसे जडित मंडप । यह देखिए सुंदर विरूपाक्ष मंदिर ! वैभवसंपन्न नगर । यह अतिभव्य और परम रमणीय हजारीका राममंदिर ! यह देखिए, मध्यभागमें स्थित पाषाणसे बना भव्य रथ और पाषाणका यह रथ मेलेके समय चलाकर ले जाते हैं । यह रथ एक भव्य गरूड ही है, अर्थात विष्णुका वाहन है ।’

५. विशाल और सुंदर नगर

दोमिंग पेस (Domingo peas) नामक पुर्तगीज यात्री सोलहवी शताब्दिके मध्यमें विजयनगर आया था । उस समय उसने किया वर्णन, `रोमसे भी अत्यंत विशाल और उससे भी कई गुना सुंदर, ऐसा १६ वी शताब्दिका यह विजयनगर !’ (Vijaynagar at its peak in the mid 16 th century larger than Rome and much more beautiful. The best provided city in the world.)

६. मुघलोंके आक्रमणके उपरांतकी विजयनगरकी स्थिति !

मुघलोंके आक्रमणमें इस नगरीका विध्वंस हुआ; परंतु आज भी ये अवशेष परिपूर्ण (intact)अवस्थामें हैं । आज भी इस विजयगरका विरुपाक्ष मंदिर, राममंदिर और अन्य मंदिरोंमें हिंदु लोग पूजन-अर्चन करते हैं । कोहिनूरसे भी अधिक मात्रामें सुंदर हिरे, रत्न, सुवर्ण और मोतियोंके लिए पूरे विश्वमें विख्यात इस नगरमें आज प्लास्टिककी चूडियां और गुडियां बेची जा रही हैं !’

– गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी (साप्ताहिक सनातन चिंतन, १७.२.२०११)